नई दिल्ली/नूंह: जिले में महज 1 माह के अंदर डिप्थीरिया के दर्जन भर संदिग्ध केस सामने आ चुके हैं. जिनमें से चार बच्चों की मौत हो चुकी है. कोरोना एवं मलेरिया के सीजन के बीच डिप्थीरिया ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग अभी इन केसों की पूरी तरह पुष्टि नहीं कर रहा है, लेकिन संभावित मान रहा है.
जानकारी के अनुसार गत 11 अगस्त को इस सीजन में डिप्थीरिया ( गलघोटू) का पहला केस सामने आया था. सितंबर माह के आधे बीतने के साथ ही केसों की संख्या बढ़कर दर्जनभर हो चुकी है. डिप्थीरिया के लिए नियुक्त किए गए जिला नोडल अधिकारी डॉ. बसंत दुबे ने कहा कि जिले में दर्जन भर से अधिक डिप्थीरिया के केस मिले हैं. जिनमें अधिकतर केस 10 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चे हैं. जिनमें से चार बच्चों की मौत भी हो चुकी है.
जिला नोडल अधिकारी ने बताया कि शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में डिप्थीरिया यानि गलघोटू का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर गले में खाने- पीने के दौरान कोई दिक्कत है या फिर सांस लेने में परेशानी है तो ऐसी सूरत में तुरंत सरकारी अस्पताल में जाकर अपनी जांच कराएं.
गौरतलब है कि पिछले सीजन में डिप्थीरिया ने नूंह जिले में काफी कहर बरपाया था. डिप्थीरिया से तकरीबन 33 बच्चों की जान चली गई थी और 150 के करीब बच्चे तकरीबन 70 गांव में डिप्थीरिया की चपेट में आ गए थे.
डॉक्टर दुबे ने कहा कि डिप्थीरिया जानलेवा बीमारी है. अगर गले में किसी तरह की कोई दिक्कत आती है तो जांच कराकर उसका समय रहते इलाज अवश्य कराएं और अकसर ये बीमारी बच्चों में बड़ी तेजी से फैलती है. स्वास्थ्य विभाग के सामने कोविड-19 के साथ-साथ डिप्थीरिया एक बड़ी समस्या बन कर खड़ा हो गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग इससे निपटने का दावा कर रहा है.