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गाजियाबाद: कोरोनाकाल में दर्द और चुनौतियों से भरी है Women Cops की ड्यूटी

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Published : May 28, 2021, 7:06 PM IST

कोरोना महामारी (corona pandemic) में महिला पुलिसकर्मियों (Women policemen) के लिए चुनौतियां अलग स्तर पर हैं. महिला पुलिसकर्मियों (Women policemen) ने इस दौरान परिवार से दूर रहकर जनता की सेवा कर कर्तव्य और जिम्मेदारी का अनूठा परिचय दिया है.

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गाजियाबाद में महिला पुलिसकर्मी

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना महामारी (corona pandemic) की दस्तक के बाद से ही पुलिस कर्मियों की चुनौतियां हालातों के हिसाब से बदलती रही है. जहां लॉकडाउन में पुलिस लोगों से नियमों की अपील करती दिखी. वहीं पुलिस ने मानवीय सेवा (social work of police) को लेकर एक मौका भी नहीं गंवाया. इसी बीच महिला पुलिसकर्मियों (Women policemen) के लिए चुनौती अलग स्तर पर थी.

ऐसे में महिला पुलिसकर्मियों (lady police) ने कोरोना काल में परिवार से दूर रहकर जनता की सेवा कर कर्तव्य और जिम्मेदारी का अनूठा परिचय दिया. आइए आपको मिलवाते हैं कुछ ऐसी ही महिला पुलिसकर्मियों (lady police) से जो कोरोना काल के दौरान लेडी सिंघम की तरह जमीन पर टिकी हैं.

कोरोनाकाल में महिला पुलिसकर्मी

बच्चों से सिर्फ वीडियो कॉल पर करती हैं बात

गाजियाबाद (ghaziabad) में सेक्टर-3 पुलिस चौकी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी प्रीति बताती हैं कि कोरोना काल में खाकी वर्दी और समाज के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए परिवार से काफी दूर होना पड़ा. यहां तक की संक्रमण के डर से अपने बच्चों से मिलने में डर लगता है, इसलिए हफ्ते में एक या दो बार ही अपने बच्चों से मिल पाती हूं.

उन्होंने कहा कि वह बच्चों की सुरक्षा के लिए उनसे वीडियो कॉल पर ही बात करती है.

ये भी पढ़ें: केजरीवाल पर तिरंगे के अपमान का आरोप, केंद्रीय मंत्री ने CM-LG को लिखा पत्र

3 साल के बेटे से नहीं मिल पाना देता है तकलीफ

इसी तरह से महिला थाने में तैनात पुलिसकर्मी सुषमा ने भी परिवार से ज्यादा अपने कर्तव्य को तवज्जो दी है. सुषमा का कहना है कि उनका 3 साल का बेटा है, लेकिन दिनभर सार्वजनिक जगह पर ड्यूटी निभाने के बाद जब घर जाती हैं तो संक्रमण के डर से बच्चे से नहीं मिलती हैं. फिलहाल उन्होंने अपनी बहन को अपने पास बुलाया है, जो बच्चे को संभाल रही हैं.

पहले खाकी का कर्तव्य

वहीं साहिबाबाद थाने में हेल्प डेस्क पर बैठकर लोगों की सेवा करने वाली सब इंस्पेक्टर ज्योति ने बताया कि जितनी हो पाए लोगों की मदद करती हैं. वह बताती है कि घर जाने से पहले खुद को पूरी तरह से सैनिटाइज़ करती हैं.

ये भी पढ़ें: Delhi Lockdown Update: 1 जून से दिल्ली होगी अनलॉक, जानिए कैसे हटेगा लॉकडाउन

नहीं है लेडी सिंघम से कम

कठोर जिम्मेदारी निभाने में ये महिला पुलिसकर्मी (Female policemen) किसी से कम नहीं है. इसी बात का उदाहरण गाजियाबाद की महिला थाना इंचार्ज बताती हैं. उनका कहना है कि सड़क पर जो व्यक्ति कानून का पालन नहीं करता उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है.

जाहिर है कोरोना काल में भी पुरुष पुलिसकर्मियों के कंधे से कंधा मिलाकर सभी महिला पुलिसकर्मी (Women policemen), हिम्मत और हौसले के साथ-साथ कर्तव्य और जिम्मेदारी का बखूबी परिचय दे रही हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना महामारी (corona pandemic) की दस्तक के बाद से ही पुलिस कर्मियों की चुनौतियां हालातों के हिसाब से बदलती रही है. जहां लॉकडाउन में पुलिस लोगों से नियमों की अपील करती दिखी. वहीं पुलिस ने मानवीय सेवा (social work of police) को लेकर एक मौका भी नहीं गंवाया. इसी बीच महिला पुलिसकर्मियों (Women policemen) के लिए चुनौती अलग स्तर पर थी.

ऐसे में महिला पुलिसकर्मियों (lady police) ने कोरोना काल में परिवार से दूर रहकर जनता की सेवा कर कर्तव्य और जिम्मेदारी का अनूठा परिचय दिया. आइए आपको मिलवाते हैं कुछ ऐसी ही महिला पुलिसकर्मियों (lady police) से जो कोरोना काल के दौरान लेडी सिंघम की तरह जमीन पर टिकी हैं.

कोरोनाकाल में महिला पुलिसकर्मी

बच्चों से सिर्फ वीडियो कॉल पर करती हैं बात

गाजियाबाद (ghaziabad) में सेक्टर-3 पुलिस चौकी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी प्रीति बताती हैं कि कोरोना काल में खाकी वर्दी और समाज के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए परिवार से काफी दूर होना पड़ा. यहां तक की संक्रमण के डर से अपने बच्चों से मिलने में डर लगता है, इसलिए हफ्ते में एक या दो बार ही अपने बच्चों से मिल पाती हूं.

उन्होंने कहा कि वह बच्चों की सुरक्षा के लिए उनसे वीडियो कॉल पर ही बात करती है.

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3 साल के बेटे से नहीं मिल पाना देता है तकलीफ

इसी तरह से महिला थाने में तैनात पुलिसकर्मी सुषमा ने भी परिवार से ज्यादा अपने कर्तव्य को तवज्जो दी है. सुषमा का कहना है कि उनका 3 साल का बेटा है, लेकिन दिनभर सार्वजनिक जगह पर ड्यूटी निभाने के बाद जब घर जाती हैं तो संक्रमण के डर से बच्चे से नहीं मिलती हैं. फिलहाल उन्होंने अपनी बहन को अपने पास बुलाया है, जो बच्चे को संभाल रही हैं.

पहले खाकी का कर्तव्य

वहीं साहिबाबाद थाने में हेल्प डेस्क पर बैठकर लोगों की सेवा करने वाली सब इंस्पेक्टर ज्योति ने बताया कि जितनी हो पाए लोगों की मदद करती हैं. वह बताती है कि घर जाने से पहले खुद को पूरी तरह से सैनिटाइज़ करती हैं.

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नहीं है लेडी सिंघम से कम

कठोर जिम्मेदारी निभाने में ये महिला पुलिसकर्मी (Female policemen) किसी से कम नहीं है. इसी बात का उदाहरण गाजियाबाद की महिला थाना इंचार्ज बताती हैं. उनका कहना है कि सड़क पर जो व्यक्ति कानून का पालन नहीं करता उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है.

जाहिर है कोरोना काल में भी पुरुष पुलिसकर्मियों के कंधे से कंधा मिलाकर सभी महिला पुलिसकर्मी (Women policemen), हिम्मत और हौसले के साथ-साथ कर्तव्य और जिम्मेदारी का बखूबी परिचय दे रही हैं.

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