नई दिल्ली/गाजियाबाद : इन दिनों मुस्लिम समुदाय का रमजान-उल मुबारक का महीना चल रहा है. जिसमें वह 30 दिनों तक तकरीबन 14 से 15 घंटे का रोजा रखते हैं. लेकिन शाम के वक्त जब वह रोजा इफ्तार करते हैं. तो इसकी शुरुआत खजूर से की जाती है. इसके बाद में वह अन्य सामान खाते हैं. आखिर रोजा इफ्तार खजूर से ही क्यों किया जाता है. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत ने मौलाना से खास बातचीत की.
ईटीवी भारत को बाबे हरम मस्जिद के मौलाना मोहम्मद हारुन कासमी ने बताया कि खजूर हमारे रसूल की सुन्नत है. अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु वालेहिवसल्लम को अरब में नबी बनाकर भेजा गया था. जहां पर खजूरों के बाग अधिक होते हैं. इसीलिए रोजा इफ्तार के वक्त हमारे रसूल ने खजूर से रोजा इफ्तार किया था. इसीलिए हुजूर की सुन्नत पर अमल करना हर एक मुसलमान का फर्ज है. इसीलिए सभी मुसलमान खजूर से ही रोजा इफ्तार करते हैं.
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पानी से भी इफ्तार कर सकते हैं रोजेदार
मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिनों तक रोजा रखते हैं. जिसकी वजह से उनके शरीर में थोड़ी बहुत कमजोरी आ जाती है. वहीं दूसरी ओर खजूर में बहुत सारे विटामिन होते हैं. जिसको इफ्तार के वक्त खाने से शरीर की कमजोरी भी दूर हो जाती है. अगर कोई किसी कारणवश रोजा इफ्तार में खजूर नहीं खा पाता है. तो वह पानी से भी रोजा इफ्तार कर सकता है.
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इफ्तार में खजूर खाने के फायदे
खजूर में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. इसके सेवन से डाइजेशन बेहतर होता है. साथ ही एसिडिटी की समस्या भी दूर होती है. खजूर से रोजा खोलने से एसिडिटी से राहत मिलती है. साथ ही खजूर में कैल्शियम, मैगनीज और कॉपर की भी भरपूर मात्रा होती है. इसके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है. इसके अलावा खजूर में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम ब्लड प्रेशर को बढ़ने से रोकते हैं. इफ्तार के समय 2-3 खजूर का सेवन ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है.