नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को चपेट में ले रखा है. उत्तर प्रदेश में भी कोरोना ने कोहराम मचा रखा है. बढ़ते कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगा रखा है. कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए कोरोना कर्फ्यू के दौरान एक तरफ गरीब लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का इंतेज़ाम करने की समस्याएं खड़ी हुई हैं तो वहीं दूसरी तरफ सड़कों पर घूम रहे आवारा और बेसहारा जानवरों के सामने भी खाने-पीने का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
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वी लिव फॉर एनिमल्स संस्था ने उठाया मुद्दा
कोरोना कर्फ्यू के चलते आम लोग घरों से बाहर ना के बराबर निकल रहे हैं. ऐसे में आवारा पशुओं को भी खाना मिलना बंद हो गया है. सड़क पर भूखे पेट घूम रहे आवारा पशुओं का पेट भरने का ज़िम्मा वी लिव फ़ॉर एनिमल्स (WE LIVE FOR ANIMALS) संस्था ने उठाया है.
बेजुबानों का पेट भर रही संस्था
वी लिव फ़ॉर एनिमल्स (WE LIVE FOR ANIMALS) संस्थान कई वर्षों से बेजुबान जानवरों और पक्षियों के लिए काम कर रही है. संस्था के सचिव निपुण नंदा ने बताया बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर इंसानों के साथ पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है. बीते वर्ष जब लॉकडाउन लगा सब संस्था द्वारा पशु पक्षियों के लिए खाने-पीने का इंतजाम करने का प्रयास शरू किया गया. इस साल भी कोरोना कर्फ्यू के दौरान ज़िले के विभिन्न स्थानों पर पशुओं के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया जाता है.
दोनों वक्त बेज़ुबानों का भरते हैं पेट
निपुण के मुताबिक संस्था के पदाधिकारी और सदस्य दो शिफ्टों में पशु-पक्षियों के लिए खाने पीने का इंतेज़ाम करने निकलते हैं. कोरोना कर्फ्यू के दौरान सुबह शाम 6 से 8 पशु-पक्षियों के लिए खाने और पानी की व्यवस्था की जाती है.
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भूखा ना रह जाए कोई बेजुबान
पशु प्रेमी (ANIMAL ACTIVIST) मनुदीप श्रीमोनी कई सालों से वी लिव फ़ॉर एनिमल्स संस्थान से जुड़े हुए हैं. मनुदीप बताते हैं पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी संस्था का प्रयास है कि गाजियाबाद में कोई भी पशु पक्षी कोरोना कर्फ्यू के दौरान भूखा-प्यासा ना रहे. पिछले वर्ष दर्जनों स्थान चिन्हित किए गए थे जहां आवारा पशु घूमते दिखाई देते हैं इस साल भी ऐसे तमाम स्थानों पर आवारा पशुओं के लिए खाना-पानी की व्यवस्था की जा रही है.
संस्था द्वारा आवारा गौवंशो के चारा, कुत्तों के रोटी और पेडिग्री, पक्षियों के लिए बाजरा आदि की व्यवस्था की जा रही है. संस्था के पदाधिकारी और सदस्य मिनी ट्रक में चारा लेकर निकलते और विभिन्न स्थानों पर गौवंशों के लिए चारा डालते हैं.