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गाजियाबाद: जानिए किस हाल में हैं किसान, सीधे खेत से ग्राउंड रिपोर्ट - सब्जी उत्पादक किसान अशोक कश्यप आर्थिक तंगी

सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को इन दिनों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गाजियाबाद के किसान अशोक कुमार कश्यप का कहना है कि लागत भी नहीं निकल पा रही है.

vegetable farmer facing financial problem
सब्जियों की खेती करने वाले किसान परेशान
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Published : Jun 8, 2021, 4:22 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: एक किसान दिन रात खेतों में खड़ी अपनी फसल में इसलिए मेहनत करता है कि जब यह पक कर तैयार हो जाएगी तो वह इसे बेच कर अच्छे से अपना गुजारा कर सकेगा, लेकिन फिलहाल सब्जियों की खेती करने वाले किसान वाजिब दाम न मिल पाने की वजह से मायूस हैं.

सब्जियों की खेती करने वाले किसान अशोक कुमार कश्यप ने बताया कि इस समय उन्होंने जितनी लागत टमाटर, कद्दू, तोरी और करेले में लगाई है, वो भी नहीं निकल पा रही है. फिर ऐसी खेती से क्या फायदा. अशोक ने बताया कि फसल की बुवाई में दो से तीन महीने का समय लगता है. सभी जमा पूंजी उन्होंने फसल में लगा दी है, लेकिन बाजार में इसके भाव सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.

सब्जियों की खेती करने वाले किसान परेशान

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन से परेशान सब्जी किसान, खराब हो रही सब्जियां

एक किसान जब सब्जियों को लेकर बाजार पहुंचता है तो तोरी का भाव 3 रुपये किलो, करेले का 5 रुपये किलो, कद्दू का 3 रुपये किलो और लौकी 10 रुपये किलो मिलती है. वहीं सब्जी की उपज का खर्च जोड़ें तो सिर्फ सिंचाई के लिए ही 100 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से पानी देना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: देवेंद्र बबली-किसान विवाद: किसान नेता मक्खन सिंह की नहीं हुई रिहाई, फिर शुरू हो सकता है धरना


अशोक का कहना है कि एक मजदूर आदमी को अगर मजदूरी ही नहीं मिलेगी तो क्या फायदा ऐसी खेती. ब्याज पर पैसा लेना पड़ता है, जो लागत लगा दिया वो भी अब तक पूरी नहीं मिली है. अब उम्मीद है लॉकडाउन के बाद कुछ राहत मिलेगी. सरकार से मांग है कि 5-6 रुपये का भाव कम से कम मिले.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: एक किसान दिन रात खेतों में खड़ी अपनी फसल में इसलिए मेहनत करता है कि जब यह पक कर तैयार हो जाएगी तो वह इसे बेच कर अच्छे से अपना गुजारा कर सकेगा, लेकिन फिलहाल सब्जियों की खेती करने वाले किसान वाजिब दाम न मिल पाने की वजह से मायूस हैं.

सब्जियों की खेती करने वाले किसान अशोक कुमार कश्यप ने बताया कि इस समय उन्होंने जितनी लागत टमाटर, कद्दू, तोरी और करेले में लगाई है, वो भी नहीं निकल पा रही है. फिर ऐसी खेती से क्या फायदा. अशोक ने बताया कि फसल की बुवाई में दो से तीन महीने का समय लगता है. सभी जमा पूंजी उन्होंने फसल में लगा दी है, लेकिन बाजार में इसके भाव सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.

सब्जियों की खेती करने वाले किसान परेशान

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एक किसान जब सब्जियों को लेकर बाजार पहुंचता है तो तोरी का भाव 3 रुपये किलो, करेले का 5 रुपये किलो, कद्दू का 3 रुपये किलो और लौकी 10 रुपये किलो मिलती है. वहीं सब्जी की उपज का खर्च जोड़ें तो सिर्फ सिंचाई के लिए ही 100 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से पानी देना पड़ता है.

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अशोक का कहना है कि एक मजदूर आदमी को अगर मजदूरी ही नहीं मिलेगी तो क्या फायदा ऐसी खेती. ब्याज पर पैसा लेना पड़ता है, जो लागत लगा दिया वो भी अब तक पूरी नहीं मिली है. अब उम्मीद है लॉकडाउन के बाद कुछ राहत मिलेगी. सरकार से मांग है कि 5-6 रुपये का भाव कम से कम मिले.

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