नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी दिल्ली की अन्य सीमाओं पर किसानों का देशव्यापी आंदोलन जारी है. सर्दी के मौसम में शुरू हुआ आंदोलन को अब 100 दिन से भी अधिक का समय पूरा हो चुका है. किसानों ने पहले दिन से यह साफ कर दिया है कि जब तक कानून वापसी नहीं होगी तब तक वह घर नहीं लौटेंगे. वहीं दूसरी तरफ गाजीपुर बॉर्डर हो या सिंघु हर सीमा पर किसान आंदोलन में बुजुर्ग किसान लगातार पूरे जोश के साथ बैठे हुए हैं.
ये भी पढे़ं : कम हुई आलू की पैदावार, किसान बोले 'नहीं निकलती है पूरी लागत'
आंदोलन में बैठे बुज़ुर्ग किसानों का जोश युवाओं के बराबर दिखाई देता है. वहीं आंदोलन में कई किसान ऐसे भी हैं जो तीन महीने से गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं और एक बार भी अपने गांव नहीं लौटे हैं.
गाजीपुर बॉर्डर पर मुज़फ्फरनगर के सिसौली गांव के रहने वाले 70 साल के बुज़ुर्ग किसान सुक्खा पिछले तीन महीने से आंदोलन में डटे हुए हैं. 70 की उम्र में भी उनकी कड़क आवाज सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है. वहीं आंदोलन में सुक्खा युवाओं को बाबा टिकैत के दौर में हुए आंदोलनों के किस्से भी सुनाते हैं.
ये भी पढे़ं : गाजियाबाद : रिहायशी इलाके में चल रही पावरलूम फैक्ट्री से लोग परेशान
सुक्खा बताते हैं कि आंदोलन में उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो रही है क्योंकि घर पर मौजूद उनके भाई और बेटे खेतों में खड़ी फसलों को देख रहे हैं. वह कहते हैं कि जब तक आंदोलन जारी रहेगा तब तक वह आंदोलन में डटे रहेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि वह बाबा टिकैत के साथ लगभग सभी आंदोलनों और छोटे बड़े धरने-प्रदर्शन में साथ रहे हैं. कई बार आवाज उठाने पर वह जेल की हवा खाकर आए हैं. सुक्खा बताते हैं बाबा टिकैत की अगुवाई में हुए आंदोलन और धरना प्रदर्शन के चलते वह 27 बार जेल जा चुके हैं. वह भारतीय किसान यूनियन के शुरुआती दिनों से सुक्खा यूनियन से भी जुड़े रहे हैं.