नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार दोपहर श्मशान घाट के प्रवेश द्वार के साथ बने गलियारे की छत गिरने से मलबे में दबकर करीब 25 लोगों की मौत हो गई और 2 दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए. श्मशान में गलियारे का निर्माण घटिया निर्माण सामग्री से किया जा रहा था. जिससे साफ तौर पर यह पता चलता है कि श्मशान घाट का निर्माण करने वाले अधिकारियों और ठेकेदार ने तो सैकड़ों जान लेने की तैयारी पूरी कर रखी थी, लेकिन कहा जाता है कि मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है.
युवकों से की खास बातचीत
मुरादनगर शमशान घाट हादसे की सूचना मिलते ही क्षेत्र के रहने वाले कुछ युवक मसीहा बनकर घटनास्थल पर पहुंचे और वहां से आनन-फानन में मलबे में दबे लोगों को समय रहते बाहर निकाला और जान बचाई. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मसीहा बनकर सामने आए युवकों से की खास बातचीत की. ईटीवी भारत को मुरादनगर निवासी गुलशन राजपूत ने बताया कि श्मशान घाट में हादसा होते ही उनको सूचना मिली तो वह मोटरसाइकिल से झटपट घटनास्थल की ओर दौड़े, जहां पर लेंटर के नीचे दबे लोग चीख पुकार रहे थे. इसके बाद उन्होंने पुलिस की मदद से लेटर के नीचे दबे लोगों को निकाला और मौके पर स्ट्रेचर ना होने के हालात में उन्होंने अपनी शाल उतार कर उसको स्ट्रेचर का आकार देकर 4 से 5 लोगों को एंबुलेंस तक पहुंचाया.
युवकोंं ने घायलों को स्पताल में भर्ती कराया
ईटीवी भारत को स्थानीय युवक सुधीर कुमार ने बताया कि वह अपने घर के बाहर खड़े थे. जहां उन्होंने घायलों को अपने घर के बाहर से ले जाते हुए देखा, जिसके बाद वह तुरंत मौके पर पहुंचे और मुरादनगर थाना अध्यक्ष के साथ मिलकर, उन्होंने घायलों को अपने कंधे पर लादकर एंबुलेंस तक पहुंचाया. श्मशान घाट हादसे में 25 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हैं. हालांकि मौके पर युवा मसीहा बनकर पहुंचे. जिन्होंने एनडीआरएफ और मेडिकल टीम के पहुंचने से पहले कई घायलों को मलबे से बाहर निकाला और अस्पताल में भर्ती कराया.