ETV Bharat / city

गाजियाबाद का सीकरी महामाया माता मंदिर, यहां के वट वृक्ष पर दी गई थी 131 लोगों को फांसी - Mahamaya Mata Temple is 500 years old

गाजियाबाद जिला के मोदीनगर कस्बे में सीकरी खुर्द ग्राम में स्थित है. यहां स्थित है महामाया माता मंदिर (Sikri Mahamaya Mata Temple in Ghaziabad). इस मंदिर की स्थानीय लोगों में बहुत मान्यता है. मंदिर के प्रांगण में वट का वृक्ष है. इसी वट वृक्ष पर अंग्रेजों ने 131 लोगों को फांसी दी थी (131 people were hanged on banyan tree here). क्या है इस मंदिर की कहानी जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर.

Sikri Mahamaya Mata Temple in Ghaziabad
गाजियाबाद का सीकरी महामाया माता मंदिर
author img

By

Published : Oct 7, 2022, 3:41 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के एक ऐसे मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो करीब 500 साल पुरानी है. इस मंदिर में एक वट वृक्ष है जिस पर 131 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी (131 people were hanged on banyan tree here). मरने वालों में महिलाएं भी थीं. 1857 की क्रांति के दौरान यह सब हुआ था.

हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के मोदीनगर में स्थित सीकरी गांव में मौजूद सीकरी महामाया माता मंदिर (Sikri Mahamaya Mata Temple in Ghaziabad) की. इस मंदिर की मान्यता करीब 500 वर्ष पुरानी है. यहां पर जो भी मन्नत मांगी जाती हैं वह पूरी होती है. भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं. हालांकि कोरोना काल में दो साल तक यहां भक्त नहीं आ रहे थे, लेकिन इस साल यहां बड़ी मात्रा में श्रद्धालु जुटने लगे हैं. उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु यहां आते हैं और माता की पूजा अर्चना करते हैं. पिछले साल सरकार ने इस मंदिर में मौजूद वटवृक्ष को धरोहर भी घोषित कर दिया था. इस वृक्ष की भी अपनी मान्यता है.

गाजियाबाद का सीकरी महामाया माता मंदिर

वटवृक्ष की मान्यता: मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को इस मान्यता से अवगत कराया जाता है. इससे जुड़ी सच्ची कहानी भी बताई जाती है. दरअसल यह वट वृक्ष भी 500 साल से अधिक प्राचीन है. 1857 की क्रांति से भी इस वटवृक्ष की कहानी जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने सीकरी गांव पर हमला कर दिया था. गांव वालों ने भी अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया था.

गांव के बीचो-बीच एक हवेली थी, जहां गांववासी अंग्रेजों के सामने डटकर खड़े हो गए थे, लेकिन अंग्रेज अपने साथ 5 तोप लेकर आए थे और तोप से गांव पर हमला कर दिया था. गांव को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया गया था. इस दौरान वट वृक्ष के नीचे एक तहखाना था जहां पर गांव में मौजूद बच्चे और महिलाओं को छुपा दिया गया था.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद: 6 अगस्त से खुल जाएंगे प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर के कपाट

मगर अंग्रेजों को मुखबिर के माध्यम से पता चल गया था कि वट वृक्ष के नीचे तहखाना है. वहां से लोगों को निकालकर उन्हें अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था. बताया जाता है कि 131 लोगों को इसी वट वृक्ष पर फांसी पर लटका दिया गया था. अपने देश और गांव की रक्षा में कुर्बान हो गए थे. लेकिन अंग्रेजों के सामने उन्होंने हार नहीं मानी थी. तब से इस वट वृक्ष की भी अपनी मान्यता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु वट वृक्ष पर भी पूजा करते हैं. यहां पर मौली बांधते हैं. कहा जाता है कि जो भी मन्नत यहां मांगी जाती है उसे सीकरी माता जरूर पूरा करती है. मन्नत पूरी होने के बाद भी श्रद्धालु दोबारा मंदिर में आते हैं.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के एक ऐसे मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जो करीब 500 साल पुरानी है. इस मंदिर में एक वट वृक्ष है जिस पर 131 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी (131 people were hanged on banyan tree here). मरने वालों में महिलाएं भी थीं. 1857 की क्रांति के दौरान यह सब हुआ था.

हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के मोदीनगर में स्थित सीकरी गांव में मौजूद सीकरी महामाया माता मंदिर (Sikri Mahamaya Mata Temple in Ghaziabad) की. इस मंदिर की मान्यता करीब 500 वर्ष पुरानी है. यहां पर जो भी मन्नत मांगी जाती हैं वह पूरी होती है. भक्त यहां दूर-दूर से आते हैं. हालांकि कोरोना काल में दो साल तक यहां भक्त नहीं आ रहे थे, लेकिन इस साल यहां बड़ी मात्रा में श्रद्धालु जुटने लगे हैं. उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु यहां आते हैं और माता की पूजा अर्चना करते हैं. पिछले साल सरकार ने इस मंदिर में मौजूद वटवृक्ष को धरोहर भी घोषित कर दिया था. इस वृक्ष की भी अपनी मान्यता है.

गाजियाबाद का सीकरी महामाया माता मंदिर

वटवृक्ष की मान्यता: मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को इस मान्यता से अवगत कराया जाता है. इससे जुड़ी सच्ची कहानी भी बताई जाती है. दरअसल यह वट वृक्ष भी 500 साल से अधिक प्राचीन है. 1857 की क्रांति से भी इस वटवृक्ष की कहानी जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने सीकरी गांव पर हमला कर दिया था. गांव वालों ने भी अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया था.

गांव के बीचो-बीच एक हवेली थी, जहां गांववासी अंग्रेजों के सामने डटकर खड़े हो गए थे, लेकिन अंग्रेज अपने साथ 5 तोप लेकर आए थे और तोप से गांव पर हमला कर दिया था. गांव को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया गया था. इस दौरान वट वृक्ष के नीचे एक तहखाना था जहां पर गांव में मौजूद बच्चे और महिलाओं को छुपा दिया गया था.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद: 6 अगस्त से खुल जाएंगे प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर के कपाट

मगर अंग्रेजों को मुखबिर के माध्यम से पता चल गया था कि वट वृक्ष के नीचे तहखाना है. वहां से लोगों को निकालकर उन्हें अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था. बताया जाता है कि 131 लोगों को इसी वट वृक्ष पर फांसी पर लटका दिया गया था. अपने देश और गांव की रक्षा में कुर्बान हो गए थे. लेकिन अंग्रेजों के सामने उन्होंने हार नहीं मानी थी. तब से इस वट वृक्ष की भी अपनी मान्यता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु वट वृक्ष पर भी पूजा करते हैं. यहां पर मौली बांधते हैं. कहा जाता है कि जो भी मन्नत यहां मांगी जाती है उसे सीकरी माता जरूर पूरा करती है. मन्नत पूरी होने के बाद भी श्रद्धालु दोबारा मंदिर में आते हैं.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.