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गाजियाबाद: सीबीआई रिमांड पर घोटालेबाज यादव सिंह, खुलेंगे नए राज

आरोपी यादव सिंह को 954 करोड़ के घोटाले के 3 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. लेकिन सोमवार को सीबीआई ने 76 करोड़ के भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामले में यादव सिंह की दोबारा गिरफ्तारी की थी.

Scamster Yadav Singh is in CBI remand ghaziabad
घोटालेबाज यादव सिंह को सीबीआई ने लिया रिमांड पर
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Published : Feb 12, 2020, 12:26 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: नोएडा टेंडर घोटाले के आरोपी यादव सिंह से सीबीआई नए राज उगलवाने में लगी है. सोमवार को सीबीआई ने यादव सिंह को दूसरी बार गिरफ्तार किया था. गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट के बाहर से गिरफ्तारी की गई थी. मंगलवार को सीबीआई कोर्ट के आर्डर के बाद से यादव सिंह सीबीआई की रिमांड में है.

घोटालेबाज यादव सिंह को सीबीआई ने लिया रिमांड पर

पुराने ठिकानों पर मिलेंगे नए राज

सूत्र बता रहे हैं कि यादव सिंह को सीबीआई उसके कई पुराने ठिकानों पर लेकर जा रही है. जहां से यादव सिंह कुछ नए राज उगल सकता है. मंगलवार से शुरू हुई कस्टडी रिमांड की मियाद के मुताबिक सीबीआई के पास नए राज निकलवाने के लिए कुल 48 घंटे हैं.

आपको बता दें कि 954 करोड़ के घोटाले के आरोपी यादव सिंह को 3 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. लेकिन सोमवार को सीबीआई ने 76 करोड़ के भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामले में यादव सिंह की दोबारा गिरफ्तारी की थी.

क्या है पूरा मामला

यादव सिंह पर लगे आरोपों के मुताबिक यह घोटाला साल 2007 से शुरू हुआ था. साल 2012 तक इस घोटाले में करोड़ों रुपए का हेरफेर सामने आया था. आरोप के मुताबिक यादव सिंह ने नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर पद का गलत इस्तेमाल किया था. इस मामले में यादव सिंह समेत सात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. इन आरोपितों में यादव सिंह की पत्नी का भी नाम है.

पांच कंपनियों पर दर्ज हुआ मुकदमा

वहीं पांच कंपनियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया था. एफआईआर के मुताबिक घोटालेबाज यादव सिंह के अलावा कई कंपनियां और उनके डायरेक्टर भी आरोपी हैं. 2007 से 2012 के बीच जो कॉन्ट्रैक्ट कराए गए थे. वह नियमों को ताक पर रखकर यादव सिंह की मौजूदगी में हुए थे. उन कॉन्ट्रैक्टों में करोड़ों का घोटाला हुआ था.

यादव सिंह की बढ़ीं मुश्किलें दोगुनी

इसके अलावा साल 2011 से 2014 के बीच भी कुछ कॉन्ट्रैक्ट में बड़े हेरफेर का आरोप यादव सिंह पर लगा था. कुल मिलाकर यादव सिंह पर तीन एफआईआर दर्ज की गईं. 3 महीने पहले उसे जमानत मिली थी. लेकिन 3 महीने के भीतर ही यादव सिंह पर सीबीआई ने दूसरे मामले में शिकंजा कस दिया. जिससे वह फिर सलाखों के पीछे पहुंच गया. यानी दूसरी बार गिरफ्तारी के बाद यादव सिंह की मुश्किलें दोगुनी बढ़ गई हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: नोएडा टेंडर घोटाले के आरोपी यादव सिंह से सीबीआई नए राज उगलवाने में लगी है. सोमवार को सीबीआई ने यादव सिंह को दूसरी बार गिरफ्तार किया था. गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट के बाहर से गिरफ्तारी की गई थी. मंगलवार को सीबीआई कोर्ट के आर्डर के बाद से यादव सिंह सीबीआई की रिमांड में है.

घोटालेबाज यादव सिंह को सीबीआई ने लिया रिमांड पर

पुराने ठिकानों पर मिलेंगे नए राज

सूत्र बता रहे हैं कि यादव सिंह को सीबीआई उसके कई पुराने ठिकानों पर लेकर जा रही है. जहां से यादव सिंह कुछ नए राज उगल सकता है. मंगलवार से शुरू हुई कस्टडी रिमांड की मियाद के मुताबिक सीबीआई के पास नए राज निकलवाने के लिए कुल 48 घंटे हैं.

आपको बता दें कि 954 करोड़ के घोटाले के आरोपी यादव सिंह को 3 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. लेकिन सोमवार को सीबीआई ने 76 करोड़ के भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामले में यादव सिंह की दोबारा गिरफ्तारी की थी.

क्या है पूरा मामला

यादव सिंह पर लगे आरोपों के मुताबिक यह घोटाला साल 2007 से शुरू हुआ था. साल 2012 तक इस घोटाले में करोड़ों रुपए का हेरफेर सामने आया था. आरोप के मुताबिक यादव सिंह ने नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर पद का गलत इस्तेमाल किया था. इस मामले में यादव सिंह समेत सात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. इन आरोपितों में यादव सिंह की पत्नी का भी नाम है.

पांच कंपनियों पर दर्ज हुआ मुकदमा

वहीं पांच कंपनियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया था. एफआईआर के मुताबिक घोटालेबाज यादव सिंह के अलावा कई कंपनियां और उनके डायरेक्टर भी आरोपी हैं. 2007 से 2012 के बीच जो कॉन्ट्रैक्ट कराए गए थे. वह नियमों को ताक पर रखकर यादव सिंह की मौजूदगी में हुए थे. उन कॉन्ट्रैक्टों में करोड़ों का घोटाला हुआ था.

यादव सिंह की बढ़ीं मुश्किलें दोगुनी

इसके अलावा साल 2011 से 2014 के बीच भी कुछ कॉन्ट्रैक्ट में बड़े हेरफेर का आरोप यादव सिंह पर लगा था. कुल मिलाकर यादव सिंह पर तीन एफआईआर दर्ज की गईं. 3 महीने पहले उसे जमानत मिली थी. लेकिन 3 महीने के भीतर ही यादव सिंह पर सीबीआई ने दूसरे मामले में शिकंजा कस दिया. जिससे वह फिर सलाखों के पीछे पहुंच गया. यानी दूसरी बार गिरफ्तारी के बाद यादव सिंह की मुश्किलें दोगुनी बढ़ गई हैं.

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