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गोल्डन बाबा की हो जल या आश्रम समाधि- साध्वी कंचन गिरि - जूना अखाड़ा

जूना अखाड़े की श्रीमहंत साध्वी कंचन गिरि ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत करके बताया कि संत समाज के व्यक्ति के निधन के बाद उन्हें जल समाधि दी जाती है या फिर आश्रम में ही उनको समाधि दी जाती है. यह बात उन्होंने गोल्डन बाबा की मौत के बाद उपजे विवाद को लेकर कही है.

Sadhvi Kanchan Giri of Juna Arena said on the death of Golden Baba
जूना अखाड़े की साध्वी कंचन गिरि ने गोल्डन बाबा की मृत्यु पर कही यह बात
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Published : Jul 1, 2020, 2:26 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गोल्डन बाबा की मौत के बाद इस बात को लेकर विवाद हो गया है कि उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाए. इस मामले में ईटीवी भारत की टीम ने जूना अखाड़े की श्रीमहंत साध्वी कंचन गिरि से बात की. उनका कहना है कि संत समाज के व्यक्ति के निधन के बाद उन्हें जल समाधि दी जाती है या फिर आश्रम में ही उनको समाधि दी जाती है.

जूना अखाड़े की साध्वी कंचन गिरि ने गोल्डन बाबा की मृत्यु पर कही यह बात

संतो के लिए यह है नियम

जूना अखाड़े की साध्वी श्री महंत कंचन गिरि का कहना है कि संत समाज गृहस्थ जीवन से अलग होते हैं और उनके लिए अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अलग होती है. उनको जल समाधि दी जाती है या फिर आश्रम में दी जाने वाली समाधि के बाद भी वह अपने भक्तों और अनुयायियों के बीच ही रहते हैं. उनके अनुयाई और भक्त उनकी समाधि पर जाकर फूल अर्पित करते हैं. यह सैकड़ों वर्षो से चला आ रहा है. इसलिए किसी तरह का विवाद ना करके उनको जल समाधि या आश्रम में समाधि ही दी जाए.

दीक्षा लेते समय ही पिंड दान

एक सन्यासी दीक्षा लेते समय ही अपना पिंड दान कर देते हैं. उनका परिवार से कोई संबंध नहीं रहता. अखाड़े की भी यही परंपरा है और उसी परंपरा को संत आगे बढ़ाते हैं. इसलिए गोल्डन बाबा के निधन के बाद भी उनकी इच्छा अनुसार जल समाधि या आश्रम में समाधि दी जाए. अगर उन्होंने पहले से कोई इच्छा जाहिर नहीं की है तो संत समाज संबंधित फैसला ले सकता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गोल्डन बाबा की मौत के बाद इस बात को लेकर विवाद हो गया है कि उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाए. इस मामले में ईटीवी भारत की टीम ने जूना अखाड़े की श्रीमहंत साध्वी कंचन गिरि से बात की. उनका कहना है कि संत समाज के व्यक्ति के निधन के बाद उन्हें जल समाधि दी जाती है या फिर आश्रम में ही उनको समाधि दी जाती है.

जूना अखाड़े की साध्वी कंचन गिरि ने गोल्डन बाबा की मृत्यु पर कही यह बात

संतो के लिए यह है नियम

जूना अखाड़े की साध्वी श्री महंत कंचन गिरि का कहना है कि संत समाज गृहस्थ जीवन से अलग होते हैं और उनके लिए अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अलग होती है. उनको जल समाधि दी जाती है या फिर आश्रम में दी जाने वाली समाधि के बाद भी वह अपने भक्तों और अनुयायियों के बीच ही रहते हैं. उनके अनुयाई और भक्त उनकी समाधि पर जाकर फूल अर्पित करते हैं. यह सैकड़ों वर्षो से चला आ रहा है. इसलिए किसी तरह का विवाद ना करके उनको जल समाधि या आश्रम में समाधि ही दी जाए.

दीक्षा लेते समय ही पिंड दान

एक सन्यासी दीक्षा लेते समय ही अपना पिंड दान कर देते हैं. उनका परिवार से कोई संबंध नहीं रहता. अखाड़े की भी यही परंपरा है और उसी परंपरा को संत आगे बढ़ाते हैं. इसलिए गोल्डन बाबा के निधन के बाद भी उनकी इच्छा अनुसार जल समाधि या आश्रम में समाधि दी जाए. अगर उन्होंने पहले से कोई इच्छा जाहिर नहीं की है तो संत समाज संबंधित फैसला ले सकता है.

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