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केंद्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य महंगाई को भी कवर नहीं करता: राकेश टिकैत

राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार (central government) के जरिए घोषित समर्थन मूल्य भी महंगाई को कवर नहीं कर सकता है. साथ ही टिकैत ने कहा कि सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया है. कुछ फसलों जैसे मक्का में केवल 20 रुपये की वृद्धि की गई है, जो समर्थन मूल्य का सबसे बड़ा मजाक है.

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राकेश टिकैत
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Published : Jun 9, 2021, 11:01 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार ने बुधवार को फसल वर्ष 2021-22 के दौरान धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 72 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. इसके साथ ही खरीफ मौसम (Kharif season) की अन्य फसलों के एमएसपी (MSP) भी बढ़ाये गये हैं.

भारतीय किसान यूनियन(Indian Farmer Union) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) ने कहा भारत सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया है. कुछ फसलों जैसे मक्का में केवल 20 रुपये की वृद्धि की गई है, जो समर्थन मूल्य का सबसे बड़ा मजाक है. जिन फसलों में ज्यादा वृद्धि की गई है, वह भी महंगाई को कवर नहीं करती है. जैसे दालों की अगर बात करे तो जब किसान को समर्थन मूल्य मिलता ही नहीं, तो घोषित करने से क्या मतलब निकलता है. किसानों की फसलों की मंडी में लूट होती है.

ये भी पढ़ें:-पूरे देश की प्रॉपर्टी बेचकर जब सरकार फ्री हो जाए, तब बात कर लेंगे: राकेश टिकैत

ये भी पढ़ें:-आंदोलनरत किसानों को वैक्सीन लगवाने की मांग, जानिए क्या बोले राकेश टिकैत

टिकैत ने कहा देश के किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य(Minimum Support Price) को लेकर कानून बनाया जाए. इसी के लिये किसान सड़को पर संघर्ष कर रहे है. केंद्र सरकार हाल में लाए गए तीनो कृषि कानूनों (all three agricultural laws) को रद्द कर किसानों आंदोलन (Farmer movement) को समाप्त कर किसानों की उन्नति हेतु कार्य करे.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार ने बुधवार को फसल वर्ष 2021-22 के दौरान धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 72 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. इसके साथ ही खरीफ मौसम (Kharif season) की अन्य फसलों के एमएसपी (MSP) भी बढ़ाये गये हैं.

भारतीय किसान यूनियन(Indian Farmer Union) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) ने कहा भारत सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया है. कुछ फसलों जैसे मक्का में केवल 20 रुपये की वृद्धि की गई है, जो समर्थन मूल्य का सबसे बड़ा मजाक है. जिन फसलों में ज्यादा वृद्धि की गई है, वह भी महंगाई को कवर नहीं करती है. जैसे दालों की अगर बात करे तो जब किसान को समर्थन मूल्य मिलता ही नहीं, तो घोषित करने से क्या मतलब निकलता है. किसानों की फसलों की मंडी में लूट होती है.

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टिकैत ने कहा देश के किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य(Minimum Support Price) को लेकर कानून बनाया जाए. इसी के लिये किसान सड़को पर संघर्ष कर रहे है. केंद्र सरकार हाल में लाए गए तीनो कृषि कानूनों (all three agricultural laws) को रद्द कर किसानों आंदोलन (Farmer movement) को समाप्त कर किसानों की उन्नति हेतु कार्य करे.

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