नई दिल्ली/गाजियाबाद: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इस साल कावड़ यात्रा नहीं होगी, क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चर्चा की.
इसमें तीनों मुख्यमंत्रियों के बीच इस बार कांवड़ यात्रा स्थगित करने को लेकर सहमति बन गई है. वहीं कावड़ यात्रा के दौरान NH-58 का माहौल कैसा होता था, इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय लोगों से बातचीत की.
मुरादनगर में ठहरते थे श्रद्धालु
ईटीवी भारत की टीम मुरादनगर के पास NH-58 पर पहुंची. जहां पर सावन का महीना शुरू होने से पहले कावड़ लेकर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़े-बड़े शिविर लगना शुरू हो जाते थे.
मुरादनगर बस स्टैंड के पास ही एक पुरानी सराय बनी हुई है जिसका इस्तेमाल कावड़ यात्रा के दौरान खाना बनाने और कावड़ियों के विश्राम करने के लिए किया जाता था.
लाखों की संख्या में आते थे श्रद्धालु
ईटीवी भारत को मुरादनगर निवासी ओमप्रकाश चांदना ने बताया कि NH-58 पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु कावड़ लेकर आते थे. यह रोड ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया जाता था, रोड पर डीजे बजते थे. इसके साथ ही उनका कहना है कि इस बार कोरोना वायरस के चलते कावड़ यात्रा नहीं होगी इसका उन्हें दुख है लेकिन हम देश के साथ हैं.
रोड पर लगते थे बड़े-बड़े शिविर
ईटीवी भारत को स्थानीय निवासी अंकित ने बताया कि कावड़ यात्रा के दौरान इस रोड पर लाखों की तादाद में भीड़ होती थी, डीजे बजता रहता था. हरिद्वार से जल लेकर आने वाले कावड़ियों को लोग देर रात तक डिवाइडर पर बैठकर देखा करते थे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वह खुद भी कावड़ लेकर जाते थे, लेकिन इस बार कावड़ यात्रा रद्द होने का उनको भी दुख है.