नई दिल्ली/गाजियाबाद: लॉकडाउन के बाद से हमने सभी जगह से आर्थिक तंगी और परेशानी की तस्वीरें देखी है, लेकिन इस बीच गाजियाबाद से एक सकारात्मक तस्वीर भी सामने आई है. ये सकारात्मक तस्वीर, एमबीए दुल्हन और व्यापारी दूल्हे की शादी से जुड़ी है जो बिना दहेज लेन-देन के हुई है. ये शादी पुरानी गलत प्रथाओं पर चोट पहुंचाती है.
शादी में नहीं हुआ कोई खर्च
भले ही दौर आर्थिक तंगी का हो, लेकिन आर्थिक तंगी के दौर में समाज क कुछ लोगों के प्रयास से कई पुरानी चली आ रही गलत प्रथाएं टूटने लगी हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण गाजियाबाद से सामने आया है.
साहिबाबाद की रहने वाली शशि और वसुंधरा के रहने वाले देवा की लॉकडाउन में शादी हुई. शादी की खास बात ये है कि इसमें किसी भी तरह के दहेज का लेन-देन नहीं हुआ. दुल्हन शशि अपने ससुराल आ चुकी हैं.
नए जीवन की शुरुआत
शशि कहती हैं कि उनके पिता ने काफी मुश्किल हालातो में परिवार चलाया, लेकिन लॉकडाउन के बाद बेटी की शादी के लिए कुछ भी नहीं बचा था. ऐसे में वसुंधरा के रहने वाले देवा से शादी तय हुई.
मगर जैसे ही देवा ने कहा कि वो दहेज के सख्त खिलाफ हैं, वैसे ही शशि और उनके परिवार ने राहत की सांस ली. सामान्य तरीके से हुई इस शादी में किसी भी तरह का खर्च नहीं हुआ और दुल्हन विदा कर दी गई.
व्यापारी देवा और एमबीए दुल्हन शशि, लॉकडाउन में हुई इस शादी के बाद अपने नए जीवन की शुरुआत कर चुके हैं. बिना दहेज लिए हुई यह शादी चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि लॉकडाउन में सामने आई, ये एक सकारात्मक तस्वीर है. दूल्हे देवा ने लड़की के गुण देखें और शादी कर ली.
ससुराल वालों को धन्यवाद
दुल्हन शशि ने कहा कि वो अपनी पापा और सास का धन्यवाद करती हैं. पिता ने पाल पोस कर बड़ा किया और सासू मां ने बिना दहेज के रिश्ता कबूल किया. जहां आजकल शादी के लिए लड़की फाइनल करने से पहले ज्यादातर लड़के वाले ये पूछते हैं कि कितना दहेज दोगे, वहीं कई ऐसे लोग प्रेरणा देते हैं, जहां पर दूल्हे खुद कह देते हैं कि उन्हें किसी तरह का दहेज नहीं चाहिए.