नई दिल्ली: कोरोना महामारी का प्रभाव इस बार आम की खेती करने वाले ठेकेदारों पर भी देखने को मिल रहा है, जिसके चलते इस बार आम की मिठास भी गायब होती नजर आ रही है. गाजियाबाद के निवाड़ी क्षेत्र में आम के बाग के ठेकेदारी करने वाले लोगों का कहना है कि आम के बाग के मालिक किसान होते हैं, लेकिन उनके द्वारा 2 साल या 3 साल का ठेका आम के ठेकेदारों को दे दिया जाता है और उसकी किस्त समय पर अदा की जाती है.
परिवार के सामने आई भुखमरी
इस बार कोरोना महामारी की वजह से वह किस्त अदा नहीं कर पाएंगे. अब अनलॉक-1 में भी बाजार खुलने की घोषणा तो कर दी गई है, लेकिन फिर भी बाजार पूरी तरीके से नहीं खुल पा रहे हैं, जिसकी वजह से मंडी में आम सप्लाई नहीं हो रहा है. ठेके पर आम का भाग लेने वाले यूनुस ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से मार्केट बंद रहने से सिर्फ 2 घंटे ही आम की बिक्री हो पाती है, लेकिन बाकी के 8 घंटे बाजार बंद रहने से आम की बिक्री कम होती है. उन्होने कहा कि इस हालत में उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया है.
इस बार नहीं जमा कर पाए किस्त
इसके साथ ही ठेकेदार का कहना है कि जैसे सरकार गैस सिलेंडर और गन्ने की मूल्य पर सब्सिडी देती है, ऐसे ही सब्सिडी आम के मालिकों और ठेकेदारों को भी मिलनी चाहिए. क्योंकि वह बाग 2 साल के लिए लेते हैं, लेकिन 1 साल भी मुश्किल से कमा नहीं पाते हैं. जिसकी वजह से उनके घर भी गिरवी रखे रहते हैं.
घर रखना पड़ता है गिरवी
आम के बाग के ठेकेदार यूनुस ने बताया कि वह जब बाग लेते हैं तो बाग के मालिक उनसे पहले बयाना ले लेते हैं फिर वह धीरे-धीरे किस्त देते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से वह किस्त नहीं दे पाए और अब उनके आम भी नहीं बिक रहे हैं.