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किसान आंदोलन: सुनिए बंगाल चुनाव पर क्या बोले टिकैत

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ ग़ाज़ीपुर बार्डर समेत राजधानी दिल्ली की अन्य सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. आंदोलन को अब 100 दिन से अधिक हो चुकें है. किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

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बंगाल चुनाव पर टिकैत
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Published : Mar 9, 2021, 7:15 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर समेत राजधानी दिल्ली की अन्य सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. सर्दी के मौसम में शुरू हुआ किसान आंदोलन अब गर्मी के मौसम में प्रवेश कर चुका है. आंदोलन को अब 100 दिन से अधिक हो चुकें है. गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

सुनिए बंगाल चुनाव पर क्या बोले टिकैत
नहीं आया को सरकार का कोई संदेश

बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार एक कॉल की दूरी पर है. प्रधानमंत्री के इस बयान को करीब एक महीने से अधिक हो चुका है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा न तो सरकार कहीं मिली, ना ही सरकार का कोई संदेश आया और ना सरकार किसानों से बात करना चाहती.

आंदोलन शुरू होने से पहले ही किसानों ने सरकार के सामने प्रस्ताव रख दिया था कि तीनों कृषि कानूनों को सरकार रद्द करें और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर कानून बनाए, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो और किसानों के अन्य मुद्दों और बातचीत हो.

बंगाल कूच करेंगे किसान

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार आज कल बंगाल में है और बंगाल में जाकर सरकार को पकड़ेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता 12,13 और 14 मार्च बंगाल में रहेंगे. 13 मार्च को राकेश टिकैत भी बंगाल में रहेंगे और वहां के स्थानीय किसान संगठनों के साथ बैठक कर महापंचायत करेंगें.

टिकैत ने कहा देश बर्बाद हो गया है, ऐसे में सरकार के खिलाफ अब लोग एकजुट हो रहे हैं. बंगाल में चुनाव होने में चंद हफ्ते बाकी है ऐसे में राकेश टिकैत के बंगाल के दौरे को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है. जब राकेश टिकैत से इसी को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि हम नहीं जानते किसे चुनाव पर क्या असर पड़ेगा लेकिन आंदोलन जरूर मजबूत होगा.

सालभर जारी रहेगा आंदोलन

टिकैत ने कहा यह आंदोलन लगभग साल भर तक जारी रहेगा क्योंकि सरकार सर्दी में ही बात करेगी. पुरानी गांव की कहावत है कि अगर कोई मेले में गुम हो जाता है तो अगले साल वह मेले में जरूर आता है इसलिए मेले का खोया हुआ मेले में मिलता है. सरकार सर्दी में गई तो सर्दी में ज़रूर आएगी.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बार्डर समेत राजधानी दिल्ली की अन्य सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. सर्दी के मौसम में शुरू हुआ किसान आंदोलन अब गर्मी के मौसम में प्रवेश कर चुका है. आंदोलन को अब 100 दिन से अधिक हो चुकें है. गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

सुनिए बंगाल चुनाव पर क्या बोले टिकैत
नहीं आया को सरकार का कोई संदेश

बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार एक कॉल की दूरी पर है. प्रधानमंत्री के इस बयान को करीब एक महीने से अधिक हो चुका है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा न तो सरकार कहीं मिली, ना ही सरकार का कोई संदेश आया और ना सरकार किसानों से बात करना चाहती.

आंदोलन शुरू होने से पहले ही किसानों ने सरकार के सामने प्रस्ताव रख दिया था कि तीनों कृषि कानूनों को सरकार रद्द करें और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर कानून बनाए, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो और किसानों के अन्य मुद्दों और बातचीत हो.

बंगाल कूच करेंगे किसान

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार आज कल बंगाल में है और बंगाल में जाकर सरकार को पकड़ेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता 12,13 और 14 मार्च बंगाल में रहेंगे. 13 मार्च को राकेश टिकैत भी बंगाल में रहेंगे और वहां के स्थानीय किसान संगठनों के साथ बैठक कर महापंचायत करेंगें.

टिकैत ने कहा देश बर्बाद हो गया है, ऐसे में सरकार के खिलाफ अब लोग एकजुट हो रहे हैं. बंगाल में चुनाव होने में चंद हफ्ते बाकी है ऐसे में राकेश टिकैत के बंगाल के दौरे को राजनीतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है. जब राकेश टिकैत से इसी को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि हम नहीं जानते किसे चुनाव पर क्या असर पड़ेगा लेकिन आंदोलन जरूर मजबूत होगा.

सालभर जारी रहेगा आंदोलन

टिकैत ने कहा यह आंदोलन लगभग साल भर तक जारी रहेगा क्योंकि सरकार सर्दी में ही बात करेगी. पुरानी गांव की कहावत है कि अगर कोई मेले में गुम हो जाता है तो अगले साल वह मेले में जरूर आता है इसलिए मेले का खोया हुआ मेले में मिलता है. सरकार सर्दी में गई तो सर्दी में ज़रूर आएगी.

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