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गाजियाबाद: रोते हुए बोला प्रवासी मजदूर- मर जाऊंगा लेकिन वापस नहीं आऊंगा - ghaziabad migrant labors lockdown

प्रवासी मजदूरों की ऐसी ही दर्दनाक तस्वीर गाजियाबाद के नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के पास देखने को मिली. जहां मजदूर करीब 500 किलोमीटर का दिल्ली से औरैया तक का सफर अपनी ठेली पर करता दिखाई दिया.

labors going home in auraiya
प्रवासी मजदूर ने बताई परेशानी
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Published : May 16, 2020, 3:44 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने को है. लॉकडाउन घोषित हुए तकरीबन 55 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. प्रवासी मजदूरों के लिए अब इनका आशियाना ही इनकी मंजिल है. अपने आशियाने तक पहुंचने के लिए हजारों मीलों का सफर मजदूर पैदल ही तय कर रहे हैं.

प्रवासी मजदूर ने बताई परेशानी

मजबूरी में घर के लिए ठेली लिए निकल गया


प्रवासी मजदूरों की ऐसी ही दर्दनाक तस्वीर गाजियाबाद के नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के पास देखने को मिली. जहां मजदूर करीब 500 किलोमीटर का दिल्ली से औरैया तक का सफर अपनी ठेली पर करता दिखाई दिया.

मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने से करीब एक हफ्ते पहले ही रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था. जहां उसने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए पैसे उधार लेकर रिक्शा खरीदा था. लेकिन कुछ ही दिन बाद लॉकडाउन घोषित हो गया. किसी तरह उसने दिल्ली में करीब 2 महीने तो काट लिए. लेकिन घर परिवार में बुजुर्ग मां-बाप के खराब स्वास्थ्य को देखकर मजदूर हथेली पर ही सवार होकर दिल्ली से औरैया का सफर पूरा करने के लिए निकल पड़ा.


लॉकडाउन में घर जाने के लिए भटक रहे मजदूर

आंखों में आंसू लिए मजदूर ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वो मर जाएगा. लेकिन दिल्ली वापस लौट कर जीवन में कभी नहीं आएगा. ये कहानी केवल एक मजदूर की नहीं बल्कि इस तरह हजारों लाखों मजदूर हैं. जो अपने घर जाने के लिए सड़कों पर करीब डेढ़ महीने से अपने नन्हें बच्चों को साथ लिए भटक रहे हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने को है. लॉकडाउन घोषित हुए तकरीबन 55 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. प्रवासी मजदूरों के लिए अब इनका आशियाना ही इनकी मंजिल है. अपने आशियाने तक पहुंचने के लिए हजारों मीलों का सफर मजदूर पैदल ही तय कर रहे हैं.

प्रवासी मजदूर ने बताई परेशानी

मजबूरी में घर के लिए ठेली लिए निकल गया


प्रवासी मजदूरों की ऐसी ही दर्दनाक तस्वीर गाजियाबाद के नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के पास देखने को मिली. जहां मजदूर करीब 500 किलोमीटर का दिल्ली से औरैया तक का सफर अपनी ठेली पर करता दिखाई दिया.

मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने से करीब एक हफ्ते पहले ही रोजगार की तलाश में दिल्ली आया था. जहां उसने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए पैसे उधार लेकर रिक्शा खरीदा था. लेकिन कुछ ही दिन बाद लॉकडाउन घोषित हो गया. किसी तरह उसने दिल्ली में करीब 2 महीने तो काट लिए. लेकिन घर परिवार में बुजुर्ग मां-बाप के खराब स्वास्थ्य को देखकर मजदूर हथेली पर ही सवार होकर दिल्ली से औरैया का सफर पूरा करने के लिए निकल पड़ा.


लॉकडाउन में घर जाने के लिए भटक रहे मजदूर

आंखों में आंसू लिए मजदूर ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वो मर जाएगा. लेकिन दिल्ली वापस लौट कर जीवन में कभी नहीं आएगा. ये कहानी केवल एक मजदूर की नहीं बल्कि इस तरह हजारों लाखों मजदूर हैं. जो अपने घर जाने के लिए सड़कों पर करीब डेढ़ महीने से अपने नन्हें बच्चों को साथ लिए भटक रहे हैं.

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