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जानिए, आखिर किन-किन वजहों से टूट सकता है रोजा

मौलाना का कहना है कि हमारे शरीर के 360 अंग का रोजा होता है. अगर हम आंखों से कुछ गलत देखते हैं तो हमारा आंखों का रोजा टूट जाता है. कानों से गलत सुनते हैं, तो हमारे कानों का रोजा टूट जाता है. इसी तरीके से शरीर के हर एक अंग को बुराई से महफूज रखना जरूरी होता है.

Know, what are the reasons by which which muslim Roza in ramadaan  can break
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Published : May 14, 2020, 3:48 PM IST

नई दिल्ली: इन दिनों मुस्लिम समुदाय का रमजान का पाक और मुकद्दस महीने चल रहा है. जिसमें वह 14 से 16 घंटे बिना कुछ खाए पिए सख्त गर्मी में परवरदिगार की इबादत में गुजारते है. तो वहीं रोजेदार को इस बात का डर भी सताता है कि कहीं उसके किसी गलत अमल की वजह से रोजा मकरूह है या फिर टूट न गया हो. आखिर वह कौन सी वजह है. जिनसे रोजा टूट और मकरूह हो सकता है, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मौलाना से की बातचीत.

रमजान को लेकर खास बातचीत
ईटीवी भारत को मौलाना मोहम्मद रिजवान और जमीयत उलेमा ए हिंद मुरादनगर के नगर अध्यक्ष ने बताया कि रोजे में जानबूझकर खाने पीने और सोहबत करने से रोजा टूट जाता है और रोजे के मुकरूह होने की वजह किसी का दिल दुखाना, पीठ पीछे चुगली करना, किसी की बुराई करना और झूठ बोलने से रोजा मुकरूह हो जाता हैं.



शरीर के 360 अंग का होता है रोजा
इसके साथ ही मौलाना ने बताया कि हमारे शरीर के 360 अंग का रोजा होता है. अगर हम अपनी आंख से किसी गलत चीज को देखेंगे तो हमारी आंख का रोजा टूट जाएगा, अगर हम अपने पैरों से गलत चीज की ओर चल कर गए तो पैरों का रोजा टूट जाएगा, अगर हमने गलत काम करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो हाथ का रोजा टूट जाएगा और अगर हम ने जुबान से किसी को गलत बात कह दी तो हमारी जुबान का रोजा टूट जाएगा, मतलब रोजा नाम है तमाम शरीर के सभी अंगों को सही रखने का नाम रोजा हैं.



भूखे प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं

इसके साथ ही उनका कहना है कि सिर्फ भूखे प्यासे रहने से ही रोजा नहीं हो जाता बल्कि पूरे बदन की इबादत करना रोजा है. हमें अपने खुदा और रसूल के मुताबिक अपने बदन को सही रखना हैं.


रोजे में लगवा सकते हैं ग्लूकोस और इंजेक्शन

ईटीवी भारत को मौलाना रिजवान ने महत्वपूर्ण बात बताते हुए कहा कि अगर कोई शख्स रोजे की हालत में गलती से कुछ खा लेता है या पी लेता है और फौरन उसको अपना रोजा याद आ जाए और वह खाना छोड़ देता है तो उसका रोजा नहीं टूटता है और रोजे की हालत में अगर कोई बीमार हो जाता है तो वह अपने इंजेक्शन या ग्लूकोस लगवा सकता हैं.

नई दिल्ली: इन दिनों मुस्लिम समुदाय का रमजान का पाक और मुकद्दस महीने चल रहा है. जिसमें वह 14 से 16 घंटे बिना कुछ खाए पिए सख्त गर्मी में परवरदिगार की इबादत में गुजारते है. तो वहीं रोजेदार को इस बात का डर भी सताता है कि कहीं उसके किसी गलत अमल की वजह से रोजा मकरूह है या फिर टूट न गया हो. आखिर वह कौन सी वजह है. जिनसे रोजा टूट और मकरूह हो सकता है, इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मौलाना से की बातचीत.

रमजान को लेकर खास बातचीत
ईटीवी भारत को मौलाना मोहम्मद रिजवान और जमीयत उलेमा ए हिंद मुरादनगर के नगर अध्यक्ष ने बताया कि रोजे में जानबूझकर खाने पीने और सोहबत करने से रोजा टूट जाता है और रोजे के मुकरूह होने की वजह किसी का दिल दुखाना, पीठ पीछे चुगली करना, किसी की बुराई करना और झूठ बोलने से रोजा मुकरूह हो जाता हैं.



शरीर के 360 अंग का होता है रोजा
इसके साथ ही मौलाना ने बताया कि हमारे शरीर के 360 अंग का रोजा होता है. अगर हम अपनी आंख से किसी गलत चीज को देखेंगे तो हमारी आंख का रोजा टूट जाएगा, अगर हम अपने पैरों से गलत चीज की ओर चल कर गए तो पैरों का रोजा टूट जाएगा, अगर हमने गलत काम करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो हाथ का रोजा टूट जाएगा और अगर हम ने जुबान से किसी को गलत बात कह दी तो हमारी जुबान का रोजा टूट जाएगा, मतलब रोजा नाम है तमाम शरीर के सभी अंगों को सही रखने का नाम रोजा हैं.



भूखे प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं

इसके साथ ही उनका कहना है कि सिर्फ भूखे प्यासे रहने से ही रोजा नहीं हो जाता बल्कि पूरे बदन की इबादत करना रोजा है. हमें अपने खुदा और रसूल के मुताबिक अपने बदन को सही रखना हैं.


रोजे में लगवा सकते हैं ग्लूकोस और इंजेक्शन

ईटीवी भारत को मौलाना रिजवान ने महत्वपूर्ण बात बताते हुए कहा कि अगर कोई शख्स रोजे की हालत में गलती से कुछ खा लेता है या पी लेता है और फौरन उसको अपना रोजा याद आ जाए और वह खाना छोड़ देता है तो उसका रोजा नहीं टूटता है और रोजे की हालत में अगर कोई बीमार हो जाता है तो वह अपने इंजेक्शन या ग्लूकोस लगवा सकता हैं.

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