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गाजियाबाद: मजबूरी के हालातों के बीच हौसले की मिसाल है इरशाद की दास्तां

बचपन से ही इरशाद चल फिर नहीं सकते, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी मजबूरी नहीं बनने दिया. जानिए इरशाद की कहानी...

Know Irshad story exemplifies courage amid conditions of compulsion in Ghaziabad
गाजियाबाद: मजबूरी के हालातों के बीच हौसले की मिसाल हैं इरशाद की दास्तान
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Published : Apr 20, 2021, 4:56 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : मजबूरी के बीच हिम्मत और हौसले की मिसाल किसे कहते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण हैं बरेली के रहने वाले इरशाद. बचपन से ही इरशाद चल फिर नहीं सकते, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी मजबूरी नहीं बनने दिया.

बरेली से दिल्ली आकर इरशाद यहां पर कपड़े पर कढ़ाई का काम कर रहे थे, लेकिन दिल्ली में करीब 1 हफ्ते का लॉकडाउन लगने के चलते इरशाद वापस अपने घर बरेली लौट रहे हैं. उनका कहना है कि उनके घर में उनकी पत्नी, बच्चे और बूढ़ी मां है. जिनका गुजारा इरशाद की कमाई से ही चलता है, लेकिन फिलहाल संपूर्ण लॉकडाउन की आशंका के चलते इरशाद वापस अपने घर लौट रहे हैं.

हौसले की मिसाल
ये भी पढ़ें: जानिए, आखिर रमजान में ही क्यों दिया जाता है जकात और फितरा?

हिम्मत के साथ अकेले सामान लेकर लौट रहे इरशाद

इरशाद अकेले ही अपना सभी सामान लेकर गाजियाबाद के कौशांबी बस डिपो पर पहुंचे, जहां उनसे बातचीत में उनके बारे में काफी कुछ पता चला. उन्होंने बताया कि साल 2020 के लॉकडाउन में भी उन्हें काफी मशक्कत करके अपने घर लौटना पड़ा था. एक बार फिर अपने होम टाउन वापस लौट रहे हैं. इरशाद को उम्मीद है कि जल्द देश में फिर से हालात सामान्य होंगे और वो दिल्ली लौट कर अपने काम को सुचारू कर पाएंगे.

ये भी पढ़ें: गाजियाबाद: अब रेस्तरां में बैठ कर नहीं खा सकेगें खाना, DM ने जारी किए आदेश

खुद को नहीं बनने दिया दया का पात्र

इरशाद से बात करके पता चला कि उन्होंने बचपन से लेकर अपनी करीब अधेड़ उम्र की अब तक की जिंदगी में कभी खुद को दया का पात्र नहीं बनने दिया. उन्होंने हमेशा अपने दम पर जीवन जिया है और बरेली से दिल्ली आकर भी हौसले के साथ काम किया. हालांकि दूसरी बार लगातार आए कोरोना संकट ने उन्हें परेशान जरूर किया है, लेकिन इरशाद मानते हैं कि हर अंधेरे के बाद एक सवेरा होता है और वह सवेरा जल्द आएगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : मजबूरी के बीच हिम्मत और हौसले की मिसाल किसे कहते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण हैं बरेली के रहने वाले इरशाद. बचपन से ही इरशाद चल फिर नहीं सकते, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी मजबूरी नहीं बनने दिया.

बरेली से दिल्ली आकर इरशाद यहां पर कपड़े पर कढ़ाई का काम कर रहे थे, लेकिन दिल्ली में करीब 1 हफ्ते का लॉकडाउन लगने के चलते इरशाद वापस अपने घर बरेली लौट रहे हैं. उनका कहना है कि उनके घर में उनकी पत्नी, बच्चे और बूढ़ी मां है. जिनका गुजारा इरशाद की कमाई से ही चलता है, लेकिन फिलहाल संपूर्ण लॉकडाउन की आशंका के चलते इरशाद वापस अपने घर लौट रहे हैं.

हौसले की मिसाल
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हिम्मत के साथ अकेले सामान लेकर लौट रहे इरशाद

इरशाद अकेले ही अपना सभी सामान लेकर गाजियाबाद के कौशांबी बस डिपो पर पहुंचे, जहां उनसे बातचीत में उनके बारे में काफी कुछ पता चला. उन्होंने बताया कि साल 2020 के लॉकडाउन में भी उन्हें काफी मशक्कत करके अपने घर लौटना पड़ा था. एक बार फिर अपने होम टाउन वापस लौट रहे हैं. इरशाद को उम्मीद है कि जल्द देश में फिर से हालात सामान्य होंगे और वो दिल्ली लौट कर अपने काम को सुचारू कर पाएंगे.

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खुद को नहीं बनने दिया दया का पात्र

इरशाद से बात करके पता चला कि उन्होंने बचपन से लेकर अपनी करीब अधेड़ उम्र की अब तक की जिंदगी में कभी खुद को दया का पात्र नहीं बनने दिया. उन्होंने हमेशा अपने दम पर जीवन जिया है और बरेली से दिल्ली आकर भी हौसले के साथ काम किया. हालांकि दूसरी बार लगातार आए कोरोना संकट ने उन्हें परेशान जरूर किया है, लेकिन इरशाद मानते हैं कि हर अंधेरे के बाद एक सवेरा होता है और वह सवेरा जल्द आएगा.

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