नई दिल्लीः दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि महज व्हाट्सऐप ग्रुप का सदस्य होना किसी अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है. जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 4 मार्च को करने का आदेश दिया.
आज सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने दिल्ली पुलिस की ओर से साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए व्हाट्सऐप ग्रुप चैटिंग पर कहा कि उमर खालिद तीन व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल जरूर था लेकिन शायद ही किसी ग्रुप में मैसेज भेजा हो. उन्होंने कहा कि किसी व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल होना किसी गलती का संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि उमर खालिद ने किसी के पूछने पर केवल विरोध स्थल का लोकेशन शेयर किया था.
व्हाट्सऐप ग्रुप का सदस्य होना अपराध नहीं: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि उमर खालिद जामिया अवेयरनेस व्हाट्सऐप ग्रुप का हिस्सा नहीं था और गवाहों का ये कहना कि उमर खालिद ने इस ग्रुप को बनाया, एक सुनी-सुनाई बात है. त्रिदिप पेस ने कहा कि उमर खालिद के पास से कोर्ट ने कुछ भी बरामद नहीं किया है, और न ही किसी सीसीटीवी को नष्ट किया गया है.
उमर खालिद के वकील त्रिदिप पेस ने कहा कि उमर खालिद लंबे समय से विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में है. उन्होंने कहा कि ट्रायल में देरी भी एक वजह से है, जिसकी वजह से उमर खालिद को जमानत मिलनी चाहिए. पेस ने कहा कि इस मामले के जिन चार आरोपियों को जमानत मिली है, उनसे समानता के आधार पर उमर खालिद को भी जमानत मिलनी चाहिए.
उमर खालिद को 7 दिनों की अंतरिम जमानत: बता दें कि कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिसंबर 2024 में उमर खालिद को परिवार में एक शादी में शामिल होने के लिए सात दिनों की अंतरिम जमानत दी थी, जिसके बाद उन्होंने 3 जनवरी को सरेंडर कर दिया था.
दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश का आरोप: बता दें कि उमर खालिद को 2020 दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया था, तब से वो हिरासत में है. दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और काफी लोग घायल हुए थे.
कोर्ट ने तीन आरोपियों की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया: उधर, एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन यूनाईटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के स्वयंभू आर्मी चीफ थोकचोम श्यामजय सिंह समेत तीन आरोपियों की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने कहा कि एनआईए गिरफ्तारी का कारण बताने में असफल रहा इसलिए गिरफ्तारी को अवैध करार दिया जाता है. हाईकोर्ट ने कहा क एनआईए ने थोकचोम श्यामजय सिंह समेत तीनो आरोपियों को गिरफ्तार करते समय या गिरफ्तारी के बाद गिरफ्तारी की लिखित वजह बताने में नाकाम रहा. यहां तक की एनआईए ने आरेस्ट मेमो और हिरासत की मांग करने वाली याचिकाओं में भी गिरफ्तारी की वजह नहीं बता सका. याचिकाकर्ताओं ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें गिरफ्तार करते समय अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 50 और 43बी के प्रावधानों का उल्लंघन किया. ऐसे में उनकी गिरफ्तारी अवैध है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी संविधान की धारा 22(1) का उल्लंघन है.
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