नई दिल्ली/गाजियाबाद: कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी पर कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर तकरीबन तीन महीने से किसानों का आंदोलन जारी है. सर्दी के मौसम में शुरू हुआ किसान आंदोलन गर्मी के मौसम में प्रवेश कर चुका है.
गरीब वर्ग का उत्पीड़न
किसान नेता डीपी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों के दबाव में आकर किसान, मजदूर वह गरीब वर्ग का उत्पीड़न करने में लगी हुई है. सरकार द्वारा आम जनता के साथ साथ गाजीपुर बॉर्डर पर एम्बुलेंस का रास्ता भी बंद करा दिया गया है. ऐसे में सरकार को यह सोचना चाहिए कि देश का किसान किन परिस्थितियों में बॉर्डर पर डटा हुआ है.
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किसानों के लीगल पैनल के वकील वासू कुकरेजा ने कहा कि लीगल पैनल को बने अभी एक हफ़्ता ही हुआ है. आंदोलन से जुड़े बुजुर्गों, महिलाओं और वकीलों के पास नोटिस पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही देश के सभी किसानों से अपील करते हुए कहा गया है कि कोई भी किसान नोटिस आने पर बिना किसी वकील के कोर्ट या पुलिस प्रशासन के आगे हाजिर न हो.
किसानों की सारी जिम्मेदारी वकीलों के लीगल पैनल की होगी
उन्होंने कहा कि अगर किसी भी किसान पर नोटिस पहुंचता है तो वह सबसे पहले किसान संयुक्त मोर्चा को अवगत कराए. जिसके बाद किसानों की सारी जिम्मेदारी वकीलों के लीगल पैनल की होगी. साथ ही उन्होंने बताया कि गाजीपुर बॉर्डर पर आज शाम तक पंजाब से 10 वकीलों का पैनल पहुंच रहा है. जो कि किसानों को क़ानूनी कार्रवाई से जुड़े मुद्दों की जानकारी देगा.