नई दिल्ली/गाजियाबाद: देश में प्रदूषण के मामले में अव्वल आए गाजियाबाद में लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. गले में इंफेक्शन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. अस्पतालों में इंफेक्शन के मरीजों की संख्या को डॉक्टर्स चिंताजनक बता रहे हैं. लोगों को घर से निकलने से पहले कुछ एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है.
गाजियाबाद में गर्मी के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ता जा रहा है. हवा में एक तरह का धुंधलापन महसूस किया जा सकता है. जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में गाजियाबाद को सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया है.
बढ़ रहे इंफेक्शन के मरीज
प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से गले में इंफेक्शन के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. डॉक्टर संजय बताते हैं कि सबसे ज्यादा मरीज गले में इंफेक्शन के आ रहे हैं और उनको एहतियात बरतने को कहा जा रहा है.
सभी से कहा जा रहा है कि घर से बाहर निकलते समय अपने चेहरे खासकर नाक और मुंह को ढककर ही निकले. क्योंकि प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है.
इससे गले में इंफेक्शन का खतरा बन जाता है. बाद में यही इंफेक्शन बुखार और अन्य बीमारियों में तब्दील हो जाता है.
प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण
जानकार बताते हैं कि गाजियाबाद में प्रदूषण बढ़ने की मुख्य वजह डीजल गाड़ियों की बढ़ती संख्या है. जिसको लेकर कोई प्लान तैयार नहीं हो पाया है.
इसके अलावा शहर में कूड़े को डंप करने के लिए भी कोई खास व्यवस्था नहीं है. इसी वजह से गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन वर्क के दौरान होने वाली लापरवाही और फैक्ट्रियों का धुआं भी प्रदूषण बढ़ा रहा है.
पुलिसकर्मी भी परेशान
रोड पर गाड़ियों का शोर और प्रदूषण का बढ़ता स्तर आम लोगों के साथ-साथ पुलिस वालों के काम में भी रुकावट बन रहा है. गाजियाबाद में प्रदूषण की वजह से ट्रैफिक कंटोल करना भी मुश्किल होता है. पुलिस वाले भी अपना चेहरा ढक कर ही काम कर रहे हैं.
बढ़ता प्रदूषण प्रशासन के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है, अब तक डंपिंग ग्राउंड की व्यवस्था नहीं हो पाई है. जिसकी वजह से शहर का कूड़ा सड़कों पर फेंका जा रहा है.
जानकार मानते हैं कि दिल्ली में जिस तरह से ऑड-इवन फार्मूला लगाया गया था, उससे डीजल के धुएं से लोगों को काफी राहत मिली थी. इसलिए इस पर दोबारा विचार किया जा सकता है.