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गाजियाबाद: अब आपके मकान को मिलेगी Digital पहचान, घर का पता बताएगी यूनिक ID

गाजियाबाद में रहने वाले लोगों को अब अपनों की जानकारी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि गाजियाबाद नगर निगम हर घरेलू और व्यावसायिक भवनों को 17 अंकों की एक यूनिक आईडी नंबर जारी कर रही है, जिसकी शुरुआत शुक्रवार को कर दी गई है. अब लोगों को एक क्लिक में आवास के बकाया टैक्स से लेकर क्षेत्रफल तक की जानकारी उनके मोबाइल पर ही मिल जाएगी.

Unique ID of buildings in Ghaziabad
Unique ID of buildings in Ghaziabad
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Published : Jul 30, 2022, 2:03 PM IST

नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: गाजियाबाद में अब घरेलू और व्यवसायिक भवनों की यूनिक आईडी दी जा रही है. यूनिक आईडी बनने के बाद हर घर, दुकान, होटल, ढाबे, संपत्ति के ऊपर स्थाई प्लेट लगाई जाएगी. डिजिटल डोर नंबर होने से संपत्ति को एक विशिष्ट पहचान मिलेगी. इससे बिजली, पानी और सीवरेज कनेक्शन समेत अन्य सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने में भी मदद मिलेगी.

नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक गाजियाबाद नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाली संपत्ति का रिकॉर्ड व्यवस्थित करने के क्रम में शहर के आवासों को यूनिक आईडी दी जा रही है. जिसमें 17 अंकों का यूआईडी नंबर जारी किया जा रहा है, जिससे शहर वासियों को लाभ प्राप्त होगा. किस आवास का कितना क्षेत्रफल है, किस आवास का कितना टैक्स होना चाहिए, आवास शहर में किस लोकेशन पर है, इस प्रकार की अन्य कई सुविधाएं गाजियाबाद नगर निगम इस रिकॉर्ड से मेंटेन कर पाएगा.

महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक जारी की जाने वाले 17 डिजिट की यूआईडी नंबर में पहले दो अंक जिसमें स्टेट कोड को दर्शाया गया है, उसके बाद तीन नंबर जिसमें यूएलबी कोड को दर्शाया गया है, उसके उपरांत दो अंक जिसमें जोन कोड को दिखाया गया है तथा इसके बाद तीन अंक में वार्ड कोड को दर्शाया गया है. 6 अंक के अंदर रनिंग सीरियल नंबर को दिखाया गया है. इसके बाद लास्ट में अल्फाबेटिक से प्रॉपर्टी का टाइप दिखाया गया है कि वह रेजिडेंशियल है या कमर्शियल, इस प्रकार कुल 17 नंबरों का यूआईडी नंबर जनरेट कर गाजियाबाद नगर निगम द्वारा आवासों के बाहर नंबर प्लेट लगाई जा रही है.

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने बताया कि शहर में संपत्ति के ब्योरे को डिजिटल रूप से मेंटेन करने के लिए कार्य चल रहा है, जिसके अंतर्गत यूआईडी नंबर भी प्रत्येक संपत्ति का जनरेट किया गया है. कार्य जीआईएस की टीम द्वारा किया जा रहा है. शहर वासियों को इसका लाभ प्राप्त होगा. 17 अंकों के लास्ट में अल्फाबेट 'R' से रेजिडेंशियल तथा 'C' से कमर्शियल की जानकारी भी प्राप्त हो जाएगी. ऐसे कमर्शियल तथा रेजिडेंशियल क्षेत्र जो टैक्स के दायरे से यदि बचे हुए हैं तो वह भी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे और गाजियाबाद नगर निगम की आय भी प्रभावित होगी.

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नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: गाजियाबाद में अब घरेलू और व्यवसायिक भवनों की यूनिक आईडी दी जा रही है. यूनिक आईडी बनने के बाद हर घर, दुकान, होटल, ढाबे, संपत्ति के ऊपर स्थाई प्लेट लगाई जाएगी. डिजिटल डोर नंबर होने से संपत्ति को एक विशिष्ट पहचान मिलेगी. इससे बिजली, पानी और सीवरेज कनेक्शन समेत अन्य सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने में भी मदद मिलेगी.

नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक गाजियाबाद नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाली संपत्ति का रिकॉर्ड व्यवस्थित करने के क्रम में शहर के आवासों को यूनिक आईडी दी जा रही है. जिसमें 17 अंकों का यूआईडी नंबर जारी किया जा रहा है, जिससे शहर वासियों को लाभ प्राप्त होगा. किस आवास का कितना क्षेत्रफल है, किस आवास का कितना टैक्स होना चाहिए, आवास शहर में किस लोकेशन पर है, इस प्रकार की अन्य कई सुविधाएं गाजियाबाद नगर निगम इस रिकॉर्ड से मेंटेन कर पाएगा.

महेंद्र सिंह तंवर के मुताबिक जारी की जाने वाले 17 डिजिट की यूआईडी नंबर में पहले दो अंक जिसमें स्टेट कोड को दर्शाया गया है, उसके बाद तीन नंबर जिसमें यूएलबी कोड को दर्शाया गया है, उसके उपरांत दो अंक जिसमें जोन कोड को दिखाया गया है तथा इसके बाद तीन अंक में वार्ड कोड को दर्शाया गया है. 6 अंक के अंदर रनिंग सीरियल नंबर को दिखाया गया है. इसके बाद लास्ट में अल्फाबेटिक से प्रॉपर्टी का टाइप दिखाया गया है कि वह रेजिडेंशियल है या कमर्शियल, इस प्रकार कुल 17 नंबरों का यूआईडी नंबर जनरेट कर गाजियाबाद नगर निगम द्वारा आवासों के बाहर नंबर प्लेट लगाई जा रही है.

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने बताया कि शहर में संपत्ति के ब्योरे को डिजिटल रूप से मेंटेन करने के लिए कार्य चल रहा है, जिसके अंतर्गत यूआईडी नंबर भी प्रत्येक संपत्ति का जनरेट किया गया है. कार्य जीआईएस की टीम द्वारा किया जा रहा है. शहर वासियों को इसका लाभ प्राप्त होगा. 17 अंकों के लास्ट में अल्फाबेट 'R' से रेजिडेंशियल तथा 'C' से कमर्शियल की जानकारी भी प्राप्त हो जाएगी. ऐसे कमर्शियल तथा रेजिडेंशियल क्षेत्र जो टैक्स के दायरे से यदि बचे हुए हैं तो वह भी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे और गाजियाबाद नगर निगम की आय भी प्रभावित होगी.

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