नई दिल्ली: विदेश राज्यमंत्री और गाजियाबाद से सांसद जनरल वीके सिंह ने कहा है कि राजनीतिक सोच के लिए प्रशासनिक सोच से निकलना बहुत जरूरी है. ईटीवी भारत ने जनरल वीके सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
ईटीवी भारत को दिए एक्सलूसिव इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि कोई आर्मी चीफ या बड़े ओहदे का अधिकारी सेवा निवृत्ति के बाद राजनीति में आता है तो क्या कामकाज प्रभावित होता है.
'औपचारिकता भूलनी होगी'
इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक जीवन के लिए आपको हर चीज के लिए अभ्यासरत होना होता है. मैं भी सेवा निवृत्ति के बाद युवाओं और किसानों से जुड़ा. उसके बाद जनतंत्र मोर्चा बनाकर अनेक जगह का दौरा किया.'
'आर्मी चीफ रहते कोई आपसे ये नहीं कहेगा कि मुझे आपके साथ सेल्फी लेनी है. लेकिन सार्वजनिक जीवन में आपको यह करना पड़ेगा. आपको अपनी औपचारिकता को भूलना होगा.'
'प्रशासनिक सोच से निकलना जरूरी'
उनसे जब पूछा गया कि वित्तमंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन यदि राजनीति में आते हैं तो यह भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा.
उन्होंने कहा, 'जब भी कोई किसी फील्ड से आता है तो वह एक अनुभव लेकर आता है. यह अनुभव सहायक साबित होती है. इस तरह के जो भी लोग हैं, यह उन्हीं पर निर्भर करता है कि वह उस फील्ड पर कितना सफल होगा. राजनीतिक सोच के लिए प्रशासनिक सोच से निकलना होता है.'
जनरल वीके सिंह ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान को भी वोट बैंक से प्रेरित बताया जिसमें उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर में अलग से प्रधानमंत्री की व्यवस्था की मांग की थी.
'नेता करते हैं अलगाववाद की बात'
जनरल सिंह कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम कि उमर अब्दुल्ला को इससे कितना वोट मिलेगा, लेकिन जो लोग खुद को मुख्यधारा का नेता बताते हैं, वो भी कहीं न कहीं अलगाववाद की बात करते हैं.
ऐसे अनेक नेता हैं जो ऐसी बात करते थे. बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के एक कद्दावर नेता जब भाषण देते थे, तब हाथ में हरे रंग का एक रुमाल निकालते थे और उसमें नमक बांध कर रखते थे.
भाषण के दौरान कहते थे कि ये देखो पाकिस्तान का नमक है और पाकिस्तान का रंग है. ये सब वोट का चक्कर है और लोगों को गुमराह कर रहे हैं.
अपने क्षेत्र में किए विकास कार्यों के बारे में जनरल वीके सिंह कहते हैं कि हमने इलाके में मेट्रो और डोमेस्टिक हवाई अड्डा दिया.
इतना बड़ा हाइवे बना जिससे होकर आप चंद मिनटों में गाजियाबाद से बागपत पहुंच सकते हैं. इससे गाजियाबाद ट्रैफिक जाम से मुक्त हो गया.
गाजियाबाद में 100 इलेक्ट्रिक बसें चालाने की तैयारी पूरी हो गई है. जल्द ही इसकी सेवा भी बहाल कर दी जाएगी.