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गाजियाबाद में पांच महीने की बच्ची ने खेल-खेल में निगला क्लचर, आपरेशन से बची जान

गाजियाबाद में एक पांच महीने की बच्ची ने खेलते समय बालों में लगाने वाले हेयर क्लेचर निगल लिया. जब घर वालों को पता चला की बच्ची ने कुछ निगल लिया है तो परिवार वाले परेशान हो गए. बच्ची को आसपास के अस्पताल ले गए, मगर सभी डॉक्टरों ने इलाज करने से मना का दिया. लेकिन गाजियाबाद के एक निजी डॉक्टर ने बच्ची का ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई. five month old girl swallows clutcher in ghaziabad

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Published : Oct 3, 2022, 10:19 PM IST

Updated : Oct 3, 2022, 10:47 PM IST

नई दिल्ली: गाज़ियाबाद के उदल नगर इलाके में रहने वाले जितेंद्र की 5 महीने की भतीजी रिया ने खेलते समय बालों में लगाने वाले क्लचर को निगल लिया. क्लचर तकरीबन पौन सेंटीमीटर का था. रिया की मां ने जब बच्ची को रोता-बिलखता हुआ देखा तो उसको गोद में लिया, लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि आखिर बच्ची रो क्यों रही है. फिर उन्हें एहसास हुआ कि उसके गले में कुछ फंस गया है. उन्होंने तुरंत अपने परिवार वालों को बताया, जो बच्ची को आसपास के अस्पताल में लेकर दौड़े. शहर के कई नामचीन अस्पतालों ने बच्ची को दिल्ली लेकर जाने की बात कही लेकिन परिवार वाले डरे हुए थे. वह चाहते थे कि जल्द से जल्द उसके गले में जो फंसा हुआ है, वह निकल जाए क्योंकि सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी.

दर्द से छटपटा रही थी रिया

रिया के ताऊ जितेंद्र बताते हैं की बच्ची दर्द से छटपटा रही थी. हम सब घबराए हुए थे. कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें. हमारे पास वक्त नहीं था, फिर किसी ने हमें बताया कि लोहिया नगर स्थित डॉक्टर संजय सैनी के यहां ले जाओ. हम बच्ची को डॉ सैनी के यहां लेकर भागे. उन्होंने बच्ची का एक्सरे करवाने को कहा. डॉक्टर ने कहा यह बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. बच्ची को कुछ भी हो सकता है. हमें डॉक्टर पर भरोसा था और हमने उनसे कहा कि जो भी होता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी हमारी होगी. आप बस ऑपरेशन करो. तकरीबन 25 मिनट की मशक्कत के बाद क्लचर निकाला गया. शाम में तकरीबन 7:00 बजे बच्ची ने क्लचर निगला था, जिसके बाद तकरीबन 9:00 बजे के आसपास उस क्लचर को बाहर निकाला गया. फिर बच्ची को दूध पिलाया और उसे सुकून मिला.

गाजियाबाद में पांच महीने की बच्ची ने खेल-खेल में निगला क्लचर

बेटी है देवी का रूप

रिया की मां शिप्रा बताती हैं कि बच्ची के क्लचर निगलने के बाद हम काफी परेशान हो गए थे. नवरात्रि में देवी माँ ने हमारी पुकार सुनी. हम अपनी बेटी को देवी मां का रूप मानते हैं. हमारी बेटी दोबारा वापस लौट कर आई है, जो माता की देन है. माता को प्रसन्न करने के लिए आज हमने घर में अष्टमी पूजन किया है. घर में करने और गोमाता जमाई है. रिया की दादी सरोज बताती हैं कि देवी माँ नवरात्र में हमे बेटी दी है.

ये भी पढ़ें: ऑपरेशन के बाद दो मरीजों की मौत, परिजनों का आरोप- अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते गई जान

परिजनों ने दिखाई हिम्मत

डॉ संजय सैनी ने बताया कि परिवार वाले शनिवार को तकरीबन 7:00 बजे बच्ची को लेकर आए थे हमने गला चेक किया तो कुछ दिखाई नहीं दिया. एक्स-रे करवाया तो उसमें प्लास्टिक का क्लचर तो नहीं दिखा लेकिन उसमें लगी स्टील की स्प्रिंग दिखाई दी. 5 महीने के बच्चे को एनेस्थीसिया देने के लिए कोई डॉक्टर तैयार नहीं था. बच्ची को दिल्ली लेकर जाने के लिए कहा तो मां-बाप रोने लगे. परिजनों का कहना था कि दिल्ली तक पहुंचना मुश्किल है आप कुछ भी करके इसे निकालो. हमने ऊपर वाले का नाम लिया और क्लचर को निकालने का काम शुरू किया. कुछ ही देर में क्लचर निकल गया.


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नई दिल्ली: गाज़ियाबाद के उदल नगर इलाके में रहने वाले जितेंद्र की 5 महीने की भतीजी रिया ने खेलते समय बालों में लगाने वाले क्लचर को निगल लिया. क्लचर तकरीबन पौन सेंटीमीटर का था. रिया की मां ने जब बच्ची को रोता-बिलखता हुआ देखा तो उसको गोद में लिया, लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि आखिर बच्ची रो क्यों रही है. फिर उन्हें एहसास हुआ कि उसके गले में कुछ फंस गया है. उन्होंने तुरंत अपने परिवार वालों को बताया, जो बच्ची को आसपास के अस्पताल में लेकर दौड़े. शहर के कई नामचीन अस्पतालों ने बच्ची को दिल्ली लेकर जाने की बात कही लेकिन परिवार वाले डरे हुए थे. वह चाहते थे कि जल्द से जल्द उसके गले में जो फंसा हुआ है, वह निकल जाए क्योंकि सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी.

दर्द से छटपटा रही थी रिया

रिया के ताऊ जितेंद्र बताते हैं की बच्ची दर्द से छटपटा रही थी. हम सब घबराए हुए थे. कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें. हमारे पास वक्त नहीं था, फिर किसी ने हमें बताया कि लोहिया नगर स्थित डॉक्टर संजय सैनी के यहां ले जाओ. हम बच्ची को डॉ सैनी के यहां लेकर भागे. उन्होंने बच्ची का एक्सरे करवाने को कहा. डॉक्टर ने कहा यह बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. बच्ची को कुछ भी हो सकता है. हमें डॉक्टर पर भरोसा था और हमने उनसे कहा कि जो भी होता है, उसकी पूरी जिम्मेदारी हमारी होगी. आप बस ऑपरेशन करो. तकरीबन 25 मिनट की मशक्कत के बाद क्लचर निकाला गया. शाम में तकरीबन 7:00 बजे बच्ची ने क्लचर निगला था, जिसके बाद तकरीबन 9:00 बजे के आसपास उस क्लचर को बाहर निकाला गया. फिर बच्ची को दूध पिलाया और उसे सुकून मिला.

गाजियाबाद में पांच महीने की बच्ची ने खेल-खेल में निगला क्लचर

बेटी है देवी का रूप

रिया की मां शिप्रा बताती हैं कि बच्ची के क्लचर निगलने के बाद हम काफी परेशान हो गए थे. नवरात्रि में देवी माँ ने हमारी पुकार सुनी. हम अपनी बेटी को देवी मां का रूप मानते हैं. हमारी बेटी दोबारा वापस लौट कर आई है, जो माता की देन है. माता को प्रसन्न करने के लिए आज हमने घर में अष्टमी पूजन किया है. घर में करने और गोमाता जमाई है. रिया की दादी सरोज बताती हैं कि देवी माँ नवरात्र में हमे बेटी दी है.

ये भी पढ़ें: ऑपरेशन के बाद दो मरीजों की मौत, परिजनों का आरोप- अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते गई जान

परिजनों ने दिखाई हिम्मत

डॉ संजय सैनी ने बताया कि परिवार वाले शनिवार को तकरीबन 7:00 बजे बच्ची को लेकर आए थे हमने गला चेक किया तो कुछ दिखाई नहीं दिया. एक्स-रे करवाया तो उसमें प्लास्टिक का क्लचर तो नहीं दिखा लेकिन उसमें लगी स्टील की स्प्रिंग दिखाई दी. 5 महीने के बच्चे को एनेस्थीसिया देने के लिए कोई डॉक्टर तैयार नहीं था. बच्ची को दिल्ली लेकर जाने के लिए कहा तो मां-बाप रोने लगे. परिजनों का कहना था कि दिल्ली तक पहुंचना मुश्किल है आप कुछ भी करके इसे निकालो. हमने ऊपर वाले का नाम लिया और क्लचर को निकालने का काम शुरू किया. कुछ ही देर में क्लचर निकल गया.


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Last Updated : Oct 3, 2022, 10:47 PM IST
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