लॉकडाउन में किसान परेशान, देखिए रावली गांव से ग्राउंड रिपोर्ट - किसान शौकेन्द्र चौधरी
लॉकडाउन की वजह से जहां कामगारों को काफी मुसीबतों को सामना करना पड़ रहा है वहीं किसान भी काफी परेशान हैं. ईटीवी भारत की टीम ने गाजियाबाद के रावली गांव में पहुंचकर किसानों की समस्याएं जानी.
नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से निपटने के लिए देश को 14 अप्रैल तक लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन के दौरान किसानों को खेती करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें क्या समस्याएं हो रही हैं ?
इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने मुरादनगर स्थित रावली गांव पहुंचकर किसानों से बातचीत की. इस दौरान किसानों ने अपनी व्यथा बताई तो वहीं ये भी बताया कि खेत में खड़ी फसल बाजार तक नहीं पहुंच पाने से काफी नुकसान हो रहा है.
किसान शौकेन्द्र चौधरी ने बताई समस्याएं
रावली गांव के निवासी किसान शौकेंद्र चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन के कारण फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. किसान फूल तोड़कर मंडी में बेचने ले जाया करता था जहां से फूल मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों के बाहर बिकते थे लेकिन लॉकडाउन के कारण सब कुछ बंद हो गया है और किसानों को फूलों की खड़ी फसलें जोतनी पड़ रही हैं जिससे कि मुनाफा तो दूर किसान अपनी लागत भी वसूल नही पाया. इसके अलावा गेहूं की फसलें तैयार हैं. लॉकडाउन की वजह से इस सीजन की कई फसलें प्रभावित हो रही हैं.
खेतों में जाने से डर रहे लोग
वहीं एक और किसान देव चौधरी ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से लोग खेतों में जाने से भी डर रहे हैं. पशुओं के खाने के लिए चारा नहीं है लेकिन पुलिस के डर से लोग खेतों में नहीं जा पा रहे हैं. वहीं खेतों में काम करने वाले मजदूर गौरव ने बताया कि लॉकडाउन से पहले 500 रुपये दिहाड़ी मिलता था लेकिन अब केवल 200 रुपये ही मिल पा रहा है.
बता दें कि ये समस्या सिर्फ गांव के खेतों में काम करने वाले मजदूरों की ही नहीं है बल्कि बड़े-बड़े शहरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की भी यही हालत है. लॉकडाउन की वजह से सभी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि छोटे किसानों और मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.