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सुनसान सड़कों पर खाने की आस में भूखे पेट बैठे हुए हैं बंदर

राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद में लाॅकडाउन के बाद से जहां एक और गरीब, दिहाड़ी मजदूरों पर खाने का संकट आ गया है. वहीं दूसरी ओर सड़कों पर घूमने वाले पशुओं पर भी पेट भरने का संकट आ गया है.

Due to the lockdown, the monkeys are starving in the hope of eating on the deserted streets.
खाने की आस में भूखे पेट बैठे हुए हैं बंदर
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Published : Apr 10, 2020, 4:22 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद में लाॅकडाउन के बाद से जहां एक और गरीब, दिहाड़ी मजदूरों पर खाने का संकट आ गया है. वहीं दूसरी ओर सड़कों पर घूमने वाले पशुओं पर भी पेट भरने का संकट आ गया है.

खाने की आस में भूखे पेट बैठे हुए हैं बंदर

प्लास्टिक और मिट्टी

सड़कों पर मौज मस्ती करता दिखाई देने वाला पशु बंदर आजकल सुनसान सड़कों पर अकेला इसी आस में बैठा हुआ है कि कहीं से उसके पेट भरने का कुछ इंतजाम हो जाए. लेकिन कहीं से भी उम्मीद की किरन ना दिखाई देने बाद से वह सड़कों पर पड़ी हुई प्लास्टिक और मिट्टी चाट रहा है.

इतना ही नहीं सड़कों पर पड़े हुए फलों के छिलकों को चाट कर ही भूखे बंदर अपना पेट भरने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि देश में लाॅकडाउन के बाद से इनको फल खाना तो दूर देखने तक को नसीब नहीं हो रहे है.

देश में बहुत सारी सामाजिक संस्थाएं बढ़-चढ़कर गरीबों की मदद कर रही हैं. उन सभी संस्थाओं को सड़कों पर घूमने फिरने वाले आवारा पशुओं के खाने की व्यवस्था भी करनी चाहिए.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद में लाॅकडाउन के बाद से जहां एक और गरीब, दिहाड़ी मजदूरों पर खाने का संकट आ गया है. वहीं दूसरी ओर सड़कों पर घूमने वाले पशुओं पर भी पेट भरने का संकट आ गया है.

खाने की आस में भूखे पेट बैठे हुए हैं बंदर

प्लास्टिक और मिट्टी

सड़कों पर मौज मस्ती करता दिखाई देने वाला पशु बंदर आजकल सुनसान सड़कों पर अकेला इसी आस में बैठा हुआ है कि कहीं से उसके पेट भरने का कुछ इंतजाम हो जाए. लेकिन कहीं से भी उम्मीद की किरन ना दिखाई देने बाद से वह सड़कों पर पड़ी हुई प्लास्टिक और मिट्टी चाट रहा है.

इतना ही नहीं सड़कों पर पड़े हुए फलों के छिलकों को चाट कर ही भूखे बंदर अपना पेट भरने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि देश में लाॅकडाउन के बाद से इनको फल खाना तो दूर देखने तक को नसीब नहीं हो रहे है.

देश में बहुत सारी सामाजिक संस्थाएं बढ़-चढ़कर गरीबों की मदद कर रही हैं. उन सभी संस्थाओं को सड़कों पर घूमने फिरने वाले आवारा पशुओं के खाने की व्यवस्था भी करनी चाहिए.

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