नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के दूधेश्वरनाथ मंदिर के इतिहास को रावण काल से जोड़ा जाता है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव को जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जिसके चलते दूधेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन करने और जलाभिषेक करने के लिए केवल दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि विदेश से भी भक्त आते हैं. महाशिवरात्रि के माैके पर साेमवार देर रात से ही दूधेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थी. सुबह होते होते भक्तों की कतार घंटाघर पुलिस चौकी तक पहुंच गयी थी.
महाशिवरात्रि को लेकर दूधेश्वरनाथ मंदिर में तकरीबन एक हफ्ते से तैयारियां चल रही थी. कोरोना वायरस के चलते बीते दो वर्षों से मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि का भव्य आयोजन नहीं हो पा रहा था. इस बार कोरोना वायरस की रफ्तार धीमी होने के बाद महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाई जा रही है. मंदिर परिसर समेत आसपास पुलिस प्रशासन के साथ सिविल डिफेंस और मंदिर कमेटी के लोग भी तैनात थे, ताकि मंदिर में आ रहे भक्तों को किसी प्रकार की कोई असुविधा ना हो. मंदिर के महंत महाराज नारायण गिरी के मुताबिक हर वर्ष मंदिर में तकरीबन छह से आठ लाख भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं.
दूधेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता काफी पुरानी है. प्राचीन काल में यहां रावण के पिता ने भी पूजा-अर्चना की थी. मंदिर को महाशिवरात्रि के मौके पर दुल्हन की तरह सजाया गया है. बताया जा रहा है कि, प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. यही नहीं, रावण ने अपना 10 वां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था. इस मान्यता को भक्त भी जानते हैं और दूर दूर से यहां आते हैं. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था.जहां पर गाय स्वयं दूध देती थी, वहीं भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं.
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हिंदू पंचांग के अनुसार शिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है. इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं. शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता ये भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था.
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शिवपुराण के अनुसार व्रती को प्रात: काल उठकर स्नान ध्यान कर्म से निवृत्त होने पर मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्ष माला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को प्रणाम करना चाहिए. उसके बाद उसे श्रद्धापूर्वक व्रत का इस प्रकार संकल्प करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिष उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं. महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तभी इसका फल मिलता है.
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