नई दिल्ली/गाजियाबाद: दुनिया भर में हर दिन तकरीबन एक लाख पेड़ काटे जाते हैं जिसमें से तकरीबन 60 फीसदी से अधिक पेड़ों का इस्तेमाल कागज बनाने में होता है. एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में कागज की प्रति व्यक्ति खपत में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत खपत के मामले में सबसे तेजी से बढ़ते बाजार के रूप में उभरा है.
अब से तक़रीबन दो दशक पहले एक किताब से कई घरों के लोग पढ़ाई करते थे. किताबों को सहेजकर रखा जाता था. एक संस्था की पहल से अब वहीं पुराना दौर वापस लौट रहा है. गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन आरटी बुक एक्सचेंज प्रोग्राम (Ghaziabad Parents Association RT Book Exchange Program) चलाया जा रहा है. पुस्तक विनिमय कार्यक्रम (Book Exchange Program) के तहत किताबें एक्सचेंज होती हैं. उदाहरण के तौर पर यदि कोई छठी कक्षा पास करके सातवीं कक्षा में आया है तो वह अपनी छठी कक्षा की किताबों को देकर उसके बदले सातवीं कक्षा की किताबें ले सकता है. बुक एक्सचेंज प्रोग्राम से न केवल लोगों को आर्थिक तौर पर फायदा हो रहा है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी ये कवायद कारगर साबित हो रही है.
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गाज़ियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह (Ghaziabad Parents Association Secretary Anil Singh) ने बताया कि पांच साल पहले एसोसिएशन द्वारा बुक एक्सचेंज प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी. हर साल तकरीबन 15 से 20 हज़ार अभिभावकों को बुक एक्सचेंज प्रोग्राम का लाभ मिल रहा है. एक्सचेंज प्रोग्राम से न सिर्फ अभिभावकों को आर्थिक लाभ मिल रहा है बल्कि पर्यावरण को संरक्षित रखने में भी कदम आगे बढ़ रहे हैं.
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गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की मीडिया प्रभारी विवेक त्यागी (media incharge of Ghaziabad Parents Association Vivek Tyagi) ने बताया कि एसोसिएशन की मुहिम रंग ला रही है. बीते पांच सालों में गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा शुरू की गई. मुहिम देश-प्रदेश के कई जिलों में फैल चुकी है. एसोसिएशन द्वारा इस बार बुक एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत एक लाख लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है. औसतन एक कक्षा के लिए 10 किताबें प्रयोग में आती हैं. अगर हम एक लाख लोगों को लाभान्वित करते हैं तो सीधे तौर पर 10 लाख किताबों के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज को बचाया जा सकता है, जो कि पर्यावरण संरक्षण एक बड़ा योगदान होगा. सैकड़ों पेड़ कटने से बच सकेंगे.
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शास्त्री नगर निवासी अभिभावक पूनम जैन बताती हैं कि वह नई किताबें खरीदने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को मद्देनजर रखते हुए नई किताबें न खरीदने का प्रयास करती हैं. उन्होंने बताया कि जब पुरानी किताबों से पढ़ाई हो सकती है तो फिर नई किताबें खरीदकर पर्यावरण को नुकसान क्यों पहुंचाना है. पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लोगों को बड़े स्तर पर इस मुहिम से जुड़ना चाहिए. बुक एक्सचेंज प्रोग्राम पूरी तरह से निशुल्क होता है और किसी प्रकार का इसमें कोई शुल्क यह चीज नहीं देनी पड़ती है.
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