नई दिल्ली / गाजियाबाद: कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर गाजीपुर बॉर्डर समेत राजधानी दिल्ली के नए सीमाओं पर किसानों का आन्दोलन जारी है. एक तरफ विभिन्न बॉर्डर पर किसान अपने आंदोलन में डटे हुए हैं.
दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत विभिन्न प्रदेशों में जाकर किसान महापंचायत कर रहे हैं. केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान नेता उन राज्यों में भी जा रहे हैं जहां चुनाव घोषित हो चुके हैं. इसी के मद्देनजर संयुक्त किसान मोर्चा ने पश्चिम बंगाल में तीन दिनों का कार्यक्रम रखा है.
किसानों का राजनीतिक रण
बंगाल में 27 मार्च को पहले चरण का मतदान होना है. एसे में किसान मोर्चा की इन महापंचायतों को राजनैतिक चश्मे से भी देखा जा रहा है. शनिवार को राकेश टिकैत बंगाल पहुँचकर नंदीग्राम में महापंचायत को संबोधित करेंगे.
किसान नेता राजवीर जादौन का कहना है कि पश्चिम बंगाल के किसान अपनी समस्याओं को लेकर लंबे समय से राकेश टिकैत के संपर्क में थे. जादौन का कहना है कि नंदीग्राम आंदोलन की भूमि है. किसानों की महापंचायत को राजनीति बताना गलत है.
ये भी पढ़ें: किसानों से मुलाकात करने गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे अधिकारी, बिजली-पानी-गंदगी पर चर्चा
ये भी पढ़ें: गर्मियों की तैयारी में जुटे किसान, कहा- लंबा चलेगा आंदोलन
महापंचायत यानी किसानों के हक की लड़ाई
राजवीर जादौन का कहना है कि राकेश टिकैत किसान महापंचायतों में केवल किसानों के हक की आवाज ही उठाते आए हैं. महापंचायतों का मकसद किसानों को एकजुट कर किसानों के हक़ की लड़ाई लड़ना है.
महापंचायतों का उद्देश्य केवल किसानों को फायदा पहुंचाना है. उनकी समस्याओं को उभारना है जिससे कि किसान की समस्याओं का जल्द समाधान हो. किसानों का आंदोलन और महापंचायत पूरी तरह से अराजनैतिक है. राजनीतिक लोग इसके क्या कुछ मायने निकालते हैं यह उनके ऊपर ही निर्भर करता है.