नई दिल्ली: कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की गारंटी की मांग को लेकर 10 महीने से गाजीपुर बॉर्डर समेत दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. किसान आंदोलन को तेज करने के लिए किसान नेता तमाम कवायद कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किसान आंदोलन के 10 महीने पूरे होने पर 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है. भारत बंद का समर्थन करने के लिए कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने पर अनिल चौधरी टेंटों में मौजूद किसानों से मिले. इस दौरान अनिल चौधरी के साथ भारी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे.
भारत बंद के तहत किसान दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाले) पर जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं. जब कांग्रेस नेता अनिल चौधरी कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर पहुंचे और वहां पहुंच कर कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की, तो तुरंत ही किसान नेताओं ने अनिल चौधरी को धरना स्थल खाली करने के लिए कहा.
किसान नेताओं ने माइक से अनाउंसमेंट करते हुए कहा कि हम सभी राजनीतिक पार्टियों का भारत बंद का समर्थन करने के लिए धन्यवाद करते हैं, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के मंच को किसी भी राजनीतिक पार्टी का अड्डा नहीं बनने देंगे. अनाउंसमेंट के बाद तमाम कांग्रेस नेता गाजीपुर बॉर्डर से रवाना हो गए.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता अनिल चौधरी ने कहा देश का किसान खेत खलियान छोड़कर गाजीपुर बॉर्डर पर 10 महीनों से बैठा हुआ है, लेकिन सरकार किसानों की सुध नहीं ले रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले सबका साथ सबका विकास का नारा दिया था. सत्ता में आने के बाद चंद उद्योगपतियों का विकास हो रहा है.
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उन्होंने कहा कि किसान लंबे समय से यह कहता आ रहा है कृषि कानूनों से आने वाली फसलों को बेहद नुकसान होगा, जो सरकार सुनने को तैयार नहीं है. कांग्रेस पार्टी सड़क से संसद तक किसानों की आवाज उठा रही है. सरकार के बंद कानों को खोलने का प्रयास लगातार कांग्रेस पार्टी कर रही है.
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चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि किसान 10 महीने से आंदोलन कर रहे हैं. किसान दिल्ली में संसद लगाते हैं, लेकिन फिर भी सरकार सुन नहीं रही है. प्रधानमंत्री के पास सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट को देखने जाने के लिए वक्त है. पार्टी कार्यालय जा सकते हैं. कार्यकर्ताओं के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं, लेकिन किसानों से बात करने के लिए समय नहीं है.