नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना काल मे आई मंदी की मार गाजियाबाद तहसील पर भी पड़ी है. तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश त्यागी का कहना है कि रजिस्ट्री का काम 50 फीसदी तक ठप हो गया है. इस हिसाब से देखा जाए, तो करीब 50 करोड़ रुपये महीने का राजस्व का नुकसान हो रहा है.
तहसील के कार्य से जुड़े अधिवक्ताओं, टाइपिस्ट और बैनामा लेखक आदि करीब 1200 लोगों के रोजगार पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है. इस मामले में जानकार कह रहे हैं कि प्रॉपर्टी के सेक्टर रेट में कमी की जानी चाहिए. जिससे रजिस्ट्री करवाने वालों की संख्या बढ़ेगी और राजस्व भी बढ़ेगा.
नया काम ना के बराबर
बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ता का कहना है कि इस समय तहसील में जो काम आ रहा है, वह सिर्फ पुराना काम है, जो पेंडिंग रह गया था. नया काम ना के बराबर है. ऐसे में अगर यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में स्थिति और ज्यादा संकट पूर्ण हो जाएगी. इससे एक तरफ राजस्व का तो नुकसान होगा, लेकिन साथ ही तहसील के कार्यों से जुड़े हुए लोगों के रोजगार जाने का भी खतरा पैदा हो जाएगा. इसमें सरकार को जरूरी और ठोस कदम जल्द उठाने जरूरी हैं.
नोटबंदी से बड़ा झटका
जानकार बताते हैं कि नोटबंदी के बाद प्रॉपर्टी के काम पर काफी बुरा असर पड़ा था. रियल एस्टेट कारोबार में मंदी की वजह से तहसील का काम लगभग नोटबंदी के बाद ठप हो गया था, लेकिन धीरे-धीरे उससे सब उभर रहे थे. उसी दौरान कोरोना काल आ गया. जिसकी वजह से दोहरा अटैक हो गया. कुछ बैनामा लेखक और रोजमर्रा के तहसील कार्य से जुड़े प्राइवेट लोग बताते हैं कि इस समय के हालात यह हैं, कि खर्चा निकाल पाना भी काफी मुश्किल हो रहा है. ऐसा प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में काफी ज्यादा गिरावट आने से हुआ है. प्रॉपर्टी बूम तभी आ सकता है, जब सरकार इससे संबंधित ठोस कदम उठाए.