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गाजियाबाद : कोई स्कूल बना तालाब, तो कहीं टपक रही क्लासरूम की छत

कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल खस्ताहाल हो चुके हैं. गाजियाबाद के Government Schools का हाल बुरा है. कहीं क्लासरूम की छत टपक रही है तो कोई स्कूल तालाब बन गया है. ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के सरकारी स्कूलों का जायजा लिया तो क्लास रूम के दरवाजों पर दीमक और परिसर में गंदगी और कीचड़ देखने को मिला.

कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल खस्ताहाल
स्कूल खस्ताहाल
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Published : Jul 29, 2021, 7:59 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कोरोना काल में स्कूल लगातार बंद रहे. गाजियाबाद में बच्चों के अभाव में स्कूलों का हाल खस्ताहाल हो चुका है. जी हां ! हम NCR के स्कूलों की बात कर रहे हैं. करीब डेढ़ साल से स्कूलों में Corona के चलते बच्चों की मौजूदगी नहीं होने से, यहां की तस्वीर बद से बदतर हो गई है.

ETV Bharat गाजियाबाद के 2 सरकारी स्कूलों में इसी को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. पता चला कि बच्चों कि गैरमौजूदगी में स्कूलों की हालत काफी खराब हो चुकी है. आप भी सरकारी स्कूलों के हालातों के बारे में जानेंगे, तो समझ जाएंगे कि अगर आने वाले वक्त में स्कूल खोलने की इजाजत मिलती है, तो भी बच्चों के लिए. ये सरकारी स्कूल कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं.

कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल खस्ताहाल
सबसे पहले आपको गाजियाबाद के अर्थला इलाके के प्राइमरी विद्यालय का हाल बताते हैं. थोड़ी सी बारिश के बाद ही स्कूल का ग्राउंड किसी तालाब में तब्दील हो जाता है. यही नहीं स्कूल के क्लास रूम में इतनी ज्यादा सीलन है कि यहां पर 2 मिनट खड़े रह पाना भी किसी के लिए आसान नहीं है. स्कूल में क्लास रूम की छत टपकने लगती है, एक दिन की बारिश के बाद कई दिनों तक स्कूल में पानी भरा रहता है. जिससे यहां पर कई अन्य बीमारियों का खतरा भी पैदा हो जाता है.

ऐसे में आप अंदाजा लगाइए कि अगर बच्चे स्कूल आएंगे, तो उनकी पढ़ाई यहां कैसे हो पाएगी. एक तरफ कोरोना की बीमारी से पहले ही खतरा पसरा है, तो वहीं स्कूलों में इस तरह की हालत बच्चों को दूसरी बीमारियों का शिकार बना सकती है.

कुछ इसी तरह का हाल साहिबाबाद के Kailashvati Inter College में देखने को मिला. क्लास रूम के दरवाजों पर दीमक लग चुकी है. दीवारों की हालत भी खराब है. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल 21 जून से ही खुल चुका है. शासन को रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है, कि कितने पेरेंट्स चाहते हैं, कि स्कूल खुल जाए.

ये भी पढ़ें-गाजियाबाद: स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने का वीडियो वायरल, शिक्षा विभाग में हड़कंप

इससे साफ जाहिर है कि आने वाले वक्त में यूपी में भी स्कूलों को लेकर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श चल रहा है. मगर सवाल यही है कि अगर इस तरह के बुरे हालातों में यह स्कूल खुलते हैं, तो बच्चों के लिए बीमारियों को दावत देने जैसा होगा. सिर्फ यही दो स्कूल नहीं, बल्कि कुछ अन्य सरकारी स्कूलों में भी इसी तरह की तस्वीर है, जिसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें-गाजियाबाद: स्कूल खोलने की चल रही हैं चर्चा, पेरेंट्स ने जताया विरोध


आरोप है कि मामले में लगातार शिकायतें की गई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिसके चलते फिलहाल टीचर्स भी गंदगी और कीचड़ में से होकर स्कूलों में जाने को मजबूर हैं. वहीं मामले में फिलहाल शिक्षा विभाग की तरफ से इतना ही कहा गया है, कि जल्द से जल्द सभी चुनौतियों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. जल्द व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें-सीईएल की मदद से प्राइमरी स्कूल का बदला कायाकल्प, बच्चों को मिली सुविधाएं

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कोरोना काल में स्कूल लगातार बंद रहे. गाजियाबाद में बच्चों के अभाव में स्कूलों का हाल खस्ताहाल हो चुका है. जी हां ! हम NCR के स्कूलों की बात कर रहे हैं. करीब डेढ़ साल से स्कूलों में Corona के चलते बच्चों की मौजूदगी नहीं होने से, यहां की तस्वीर बद से बदतर हो गई है.

ETV Bharat गाजियाबाद के 2 सरकारी स्कूलों में इसी को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. पता चला कि बच्चों कि गैरमौजूदगी में स्कूलों की हालत काफी खराब हो चुकी है. आप भी सरकारी स्कूलों के हालातों के बारे में जानेंगे, तो समझ जाएंगे कि अगर आने वाले वक्त में स्कूल खोलने की इजाजत मिलती है, तो भी बच्चों के लिए. ये सरकारी स्कूल कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं.

कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल खस्ताहाल
सबसे पहले आपको गाजियाबाद के अर्थला इलाके के प्राइमरी विद्यालय का हाल बताते हैं. थोड़ी सी बारिश के बाद ही स्कूल का ग्राउंड किसी तालाब में तब्दील हो जाता है. यही नहीं स्कूल के क्लास रूम में इतनी ज्यादा सीलन है कि यहां पर 2 मिनट खड़े रह पाना भी किसी के लिए आसान नहीं है. स्कूल में क्लास रूम की छत टपकने लगती है, एक दिन की बारिश के बाद कई दिनों तक स्कूल में पानी भरा रहता है. जिससे यहां पर कई अन्य बीमारियों का खतरा भी पैदा हो जाता है.

ऐसे में आप अंदाजा लगाइए कि अगर बच्चे स्कूल आएंगे, तो उनकी पढ़ाई यहां कैसे हो पाएगी. एक तरफ कोरोना की बीमारी से पहले ही खतरा पसरा है, तो वहीं स्कूलों में इस तरह की हालत बच्चों को दूसरी बीमारियों का शिकार बना सकती है.

कुछ इसी तरह का हाल साहिबाबाद के Kailashvati Inter College में देखने को मिला. क्लास रूम के दरवाजों पर दीमक लग चुकी है. दीवारों की हालत भी खराब है. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल 21 जून से ही खुल चुका है. शासन को रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है, कि कितने पेरेंट्स चाहते हैं, कि स्कूल खुल जाए.

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इससे साफ जाहिर है कि आने वाले वक्त में यूपी में भी स्कूलों को लेकर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श चल रहा है. मगर सवाल यही है कि अगर इस तरह के बुरे हालातों में यह स्कूल खुलते हैं, तो बच्चों के लिए बीमारियों को दावत देने जैसा होगा. सिर्फ यही दो स्कूल नहीं, बल्कि कुछ अन्य सरकारी स्कूलों में भी इसी तरह की तस्वीर है, जिसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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आरोप है कि मामले में लगातार शिकायतें की गई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिसके चलते फिलहाल टीचर्स भी गंदगी और कीचड़ में से होकर स्कूलों में जाने को मजबूर हैं. वहीं मामले में फिलहाल शिक्षा विभाग की तरफ से इतना ही कहा गया है, कि जल्द से जल्द सभी चुनौतियों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. जल्द व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जाएगा.

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