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गाजियाबाद में कफन ओढ़ कर धरना दे रहा 'आजाद', कारण जान रह जाएंगे दंग

गाजियाबाद के जिला मुख्यालय के बाहर एक व्यक्ति कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है. धरना दे रहे शख्स का कहना है कि वह एक लेखक है और उसकी स्क्रिप्ट चुरा ली गई है, लेकिन इंसाफ नहीं मिला. इसलिए कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है.

Azad  protest Against Ghaziabad Administration by Muffling himself
कफन ओढ़ कर धरना
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Published : Feb 10, 2020, 9:08 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के जिला मुख्यालय के बाहर एक व्यक्ति कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है. यह व्यक्ति खुद को आजाद पुलिस बताता है. धरना दे रहे शख्स का कहना है कि वह एक लेखक है और उसकी स्क्रिप्ट चुरा ली गई है लेकिन इंसाफ नहीं मिला. इसलिए कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है.

कफन ओढ़ कर धरना

लोगों के बीच मचा हड़कंप
जिन लोगों ने आजाद को रोड किनारे कफन ओढ़े देखा शुरू में वह समझ नहीं पाया. इसके बाद यहां हड़कंप जैसी स्थिति हो गई. पर बाद में पता चला कि आजाद जिंदा है और कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है.


मामला हापुड़ का धरना गाजियाबाद में
आजाद का मामला हापुड़ से जुड़ा हुआ है लेकिन वह धरना गाजियाबाद में दे रहा है. पिछले कई सालों से आजाद को गाजियाबाद जिला मुख्यालय के आसपास घूमते हुए देखा गया है. कई लोग उसे मानसिक रूप से कमजोर बताते हैं.

जेल भी जा चुका है आजाद
आजाद ने सरकारी दफ्तर में अपना विरोध जाहिर करने के लिए ताला लगा दिया था जिसके चलते उसे हवालात की हवा भी खानी पड़ी थी. कई बड़े नेताओं के पोस्टर पर उसने कालिख पोतने की भी कोशिश की थी जिसके चलते भी उसकी गिरफ्तारी हुई थी.

अब कोई ध्यान नहीं देता
आजाद पर अब किसी का ध्यान नहीं जाता है पर वो अलग-अलग तरीके से अपना विरोध जाहिर करता है. उसका कहना है कि वह समाज के लिए ऐसा कार्य करता रहेगा क्योंकि उसकी निजी मांग के साथ-साथ सामाजिक मांगे भी हैं जिनको वह पूरा करवाना चाहता है. इसलिए वह खुद को आजाद पुलिस कहता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के जिला मुख्यालय के बाहर एक व्यक्ति कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है. यह व्यक्ति खुद को आजाद पुलिस बताता है. धरना दे रहे शख्स का कहना है कि वह एक लेखक है और उसकी स्क्रिप्ट चुरा ली गई है लेकिन इंसाफ नहीं मिला. इसलिए कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है.

कफन ओढ़ कर धरना

लोगों के बीच मचा हड़कंप
जिन लोगों ने आजाद को रोड किनारे कफन ओढ़े देखा शुरू में वह समझ नहीं पाया. इसके बाद यहां हड़कंप जैसी स्थिति हो गई. पर बाद में पता चला कि आजाद जिंदा है और कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है.


मामला हापुड़ का धरना गाजियाबाद में
आजाद का मामला हापुड़ से जुड़ा हुआ है लेकिन वह धरना गाजियाबाद में दे रहा है. पिछले कई सालों से आजाद को गाजियाबाद जिला मुख्यालय के आसपास घूमते हुए देखा गया है. कई लोग उसे मानसिक रूप से कमजोर बताते हैं.

जेल भी जा चुका है आजाद
आजाद ने सरकारी दफ्तर में अपना विरोध जाहिर करने के लिए ताला लगा दिया था जिसके चलते उसे हवालात की हवा भी खानी पड़ी थी. कई बड़े नेताओं के पोस्टर पर उसने कालिख पोतने की भी कोशिश की थी जिसके चलते भी उसकी गिरफ्तारी हुई थी.

अब कोई ध्यान नहीं देता
आजाद पर अब किसी का ध्यान नहीं जाता है पर वो अलग-अलग तरीके से अपना विरोध जाहिर करता है. उसका कहना है कि वह समाज के लिए ऐसा कार्य करता रहेगा क्योंकि उसकी निजी मांग के साथ-साथ सामाजिक मांगे भी हैं जिनको वह पूरा करवाना चाहता है. इसलिए वह खुद को आजाद पुलिस कहता है.

Intro:गाजियाबाद। जिला मुख्यालय के बाहर एक व्यक्ति कफन ओढ़ कर लेट गया। यह व्यक्ति खुद को आजाद पुलिस बताता है। धरना दे रहे शख्स का कहना है कि वह एक लेखक है। और उसकी स्क्रिप्ट चुरा ली गई। लेकिन इंसाफ नहीं मिला। इसलिए कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है।


Body:लोगों के बीच मचा हड़कंप

जिसने भी आजाद को रोड किनारे कफन ओढ़ कर लेटे हुए देखा शुरू में वह समझ नहीं पाया। जाहिर है इसके बाद हड़कंप जैसी स्थिति हो गई। लेकिन बाद में पता चल गया कि आजाद जिंदा है। और कफन ओढ़ कर धरना दे रहा है।

मामला हापुड़ का धरना गाजियाबाद में

आजाद का मामला हापुड़ से जुड़ा हुआ है। लेकिन वह धरना गाजियाबाद में दे रहा है। पिछले कई सालों से आजाद को गाजियाबाद जिला मुख्यालय के आसपास घूमते हुए देखा गया है। कई लोग उसे मानसिक रूप से कमजोर बताते हैं।


पूर्व में गया हवालात

पूर्व में आजाद ने सरकारी दफ्तर में अपना विरोध जाहिर करने के लिए ताला लगा दिया था। जिसके चलते उसे हवालात की हवा भी खानी पड़ी थी। कई बड़े नेताओं के पोस्टर पर उसने कालिख पोतने की भी कोशिश की थी। जिसके चलते उसकी गिरफ्तारी हुई थी।


Conclusion:अब कोई ध्यान नहीं देता

आजाद पर अब किसी का ध्यान नहीं जाता, तो अलग अलग तरीके से अपना विरोध जाहिर करता है। उसका कहना है कि वह समाज के लिए ऐसा कार्य करता रहेगा क्योंकि उसकी निजी मांग के साथ-साथ सामाजिक मांगे भी हैं। जिनको वह पूरा करवाना चाहता है। इसलिए वह खुद को आजाद पुलिस कहता है।


बाईट आजाद
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