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गाजियाबाद में लंपी स्किन वायरस के बाद पशुपालन विभाग अलर्ट, जल्द शुरू होगा Vaccination

उत्तर प्रदेश में खतरनाक लंपी वायरस के दस्तक से पशु पालकाें में हड़कंप मच गया है. गाजियाबाद में 11 गायों में लंपी बीमारी के लक्षण पाए जाने के बाद से पशुपालन विभाग के अधिकारी अलर्ट मोड पर आ गए हैं. चार रैपिड रिस्पांस टीम डोर टू डोर जाकर निगरानी कर रही है. पशुपालकों को जागरूक भी कर रही है. Lumpy Skin Disease in ghaziabad

लंपी स्किन वायरस
लंपी स्किन वायरस
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Published : Aug 25, 2022, 6:50 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी लंपी स्किन वायरस (Lumpy Skin Disease) ने दस्तक दे दी है. अब तक गाजियाबाद में 11 गायों में लंपी बीमारी के लक्षण मिल चुके हैं. चार सैंपल जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्था (Indian Veterinary Research Institute) बरेली भेजे जा चुके हैं. जिन 11 पशुओं में लंपी के लक्षण देखने को मिले थे, उनमें से चार पशु इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो गए हैं.

पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ महेश कुमार के मुताबिक, अभी तक जिले में किसी भी पशु में Lumpy Skin Disease की पुष्टि नहीं हुई है. डॉ मुकेश कुमार के मुताबिक, पशुओं को Lumpy Skin Disease से बचाव के लिए 80 हजार टीकों (Cow Pox Vaccine) की मांग शासन को पत्र भेजकर की गई है. इसी सप्ताह वैक्सीन आने की उम्मीद है. वैक्सीन प्राप्त होते ही पशुओं का टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा. 19वीं पशु जनगणना के मुताबिक जिले में एक लाख से अधिक गोवंशीय पशु और दो लाख से अधिक महिषवंशीय पशु हैं.

गाजियाबाद में लंपी स्किन वायरस के बाद पशुपालन विभाग अलर्ट

उन्होंने बताया कि गायों में लंपी के लक्षण मिलने के बाद गायों को आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है. मच्छरों के माध्यम से लंपी का वायरस फैलता है. ऐसे में आसपास फॉगिंग कराई गई है. ताकि वायरस और न फैले. जिले में लंपी से बचाव और रोकथाम के लिए चार रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है. रैपिड रिस्पांस टीम डोर टू डोर जाकर निगरानी कर रही है. साथ ही पशुपालकों को जागरूक भी कर रही है. टीम ने पशुपालकों को पशुओं को साफ स्थान पर रखने की हिदायत दी है. अभी तक जिले में लंपी के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है.

लंपी का उपचार एवं रोकथाम

वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बीमारी की शुरुआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अन्तराल में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है. किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारण है. प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए.

लंपी के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण बुखार तेज हो जाना और पूरे शरीर पर फोड़े निकलना है. फोड़े जैसे-जैसे बड़े होते हैं वह फूट भी जाते हैं और पशु के मुंह में से लार गिरती रहती है. इस स्थिति में जब पशु बीमार होगा तो वह खाना भी कम कर देता है. इससे अन्य समस्या भी पशु में बढ़ सकती है. इसके प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है, साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती है. कुछ मामलों में यह बीमारी नर व मादा पशुओं में लंगड़ापन, निमोनिया और बांझपन का कारण बन सकता है.

कहां से आई लंपी

लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई. 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है. हालांकि, हाल में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं. देश में प्रमुख प्रभावित राज्यों में गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी लंपी स्किन वायरस (Lumpy Skin Disease) ने दस्तक दे दी है. अब तक गाजियाबाद में 11 गायों में लंपी बीमारी के लक्षण मिल चुके हैं. चार सैंपल जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्था (Indian Veterinary Research Institute) बरेली भेजे जा चुके हैं. जिन 11 पशुओं में लंपी के लक्षण देखने को मिले थे, उनमें से चार पशु इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो गए हैं.

पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ महेश कुमार के मुताबिक, अभी तक जिले में किसी भी पशु में Lumpy Skin Disease की पुष्टि नहीं हुई है. डॉ मुकेश कुमार के मुताबिक, पशुओं को Lumpy Skin Disease से बचाव के लिए 80 हजार टीकों (Cow Pox Vaccine) की मांग शासन को पत्र भेजकर की गई है. इसी सप्ताह वैक्सीन आने की उम्मीद है. वैक्सीन प्राप्त होते ही पशुओं का टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा. 19वीं पशु जनगणना के मुताबिक जिले में एक लाख से अधिक गोवंशीय पशु और दो लाख से अधिक महिषवंशीय पशु हैं.

गाजियाबाद में लंपी स्किन वायरस के बाद पशुपालन विभाग अलर्ट

उन्होंने बताया कि गायों में लंपी के लक्षण मिलने के बाद गायों को आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है. मच्छरों के माध्यम से लंपी का वायरस फैलता है. ऐसे में आसपास फॉगिंग कराई गई है. ताकि वायरस और न फैले. जिले में लंपी से बचाव और रोकथाम के लिए चार रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है. रैपिड रिस्पांस टीम डोर टू डोर जाकर निगरानी कर रही है. साथ ही पशुपालकों को जागरूक भी कर रही है. टीम ने पशुपालकों को पशुओं को साफ स्थान पर रखने की हिदायत दी है. अभी तक जिले में लंपी के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है.

लंपी का उपचार एवं रोकथाम

वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बीमारी की शुरुआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अन्तराल में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है. किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारण है. प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए.

लंपी के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण बुखार तेज हो जाना और पूरे शरीर पर फोड़े निकलना है. फोड़े जैसे-जैसे बड़े होते हैं वह फूट भी जाते हैं और पशु के मुंह में से लार गिरती रहती है. इस स्थिति में जब पशु बीमार होगा तो वह खाना भी कम कर देता है. इससे अन्य समस्या भी पशु में बढ़ सकती है. इसके प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है, साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती है. कुछ मामलों में यह बीमारी नर व मादा पशुओं में लंगड़ापन, निमोनिया और बांझपन का कारण बन सकता है.

कहां से आई लंपी

लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई. 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है. हालांकि, हाल में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं. देश में प्रमुख प्रभावित राज्यों में गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं.

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