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गाजियाबाद: बिट्टू के जज्बे को सलाम, एक पैर गंवाने के बाद भी कर रहे हैं काम

इंदिरापुरम का रहने वाला बिट्टू 7 साल पहले रिक्शा चलाया करता था, लेकिन एक हादसे में वो अपना एक पैर गंवा बैठे. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपनी मेहनत से बिट्टू ने टायर पंचर लगाना शुरू कर दिया. वो इस काम मे किसी का सहारा नहीं लेते.

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Published : May 15, 2020, 1:12 PM IST

Bittu is still working in ghaziabad
बिट्टू के जज्बे को सलाम

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम थाने के सामने टायर पंचर लगाने वाले बिट्टू की कहानी काफी प्रेरणादायक है. 7 साल पहले बिट्टू रिक्शा चलाया करता था, लेकिन एक हादसे में वो अपना एक पैर गंवा बैठे. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपनी मेहनत से बिट्टू ने टायर पंचर लगाना शुरू कर दिया. वो इस काम मे किसी का सहारा नहीं लेते. लॉकडाउन से पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन उन पर कहर बनकर टूटा.

बिट्टू के जज्बे को सलाम


लोगों के लिए प्रेरणा

बिट्टू के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था. कई हफ्ते बाद आज बिट्टू ने पंचर लगाने का काम दोबारा शुरू किया, लेकिन रोड पर गाड़ियां कम होने की वजह से सिर्फ 15 रुपये ही कमा पाए. फिर भी बिट्टू ने हालात के सामने घुटने नहीं टेके हैं.

चिलचिलाती धूप में वो अपने काम में लगे हुए हैं. बिट्टू को जानने वाले लोग भी कहते हैं कि बिट्टू में काफी जज्बा है. एक तरफ जहां प्रवासी मजदूर हालात से डरकर पलायन करके चले गए, लेकिन बिट्टू हिम्मत से हालातों के सामने डटे हुए हैं.


बिट्टू के ग्राहक हैं फिक्स

कुछ लोगों का कहना है कि बिट्टू के जज्बे को देखते हुए वह सिर्फ बिट्टू से ही पंचर लगवाने के लिए आते हैं. गाड़ी के टायरों में हवा भरवाने के लिए भी वो अलग-अलग जगह से बिट्टू के पास ही आते हैं. जिससे बिट्टू का भला हो सके, क्योंकि बिट्टू अपनी मेहनत से सब कुछ कर रहा है. बिट्टू को उम्मीद है कि लॉकडाउन खुलने के बाद उसका काम फिर से पहले जैसा हो जाएगा. जिसके लिए वो पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारेगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम थाने के सामने टायर पंचर लगाने वाले बिट्टू की कहानी काफी प्रेरणादायक है. 7 साल पहले बिट्टू रिक्शा चलाया करता था, लेकिन एक हादसे में वो अपना एक पैर गंवा बैठे. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपनी मेहनत से बिट्टू ने टायर पंचर लगाना शुरू कर दिया. वो इस काम मे किसी का सहारा नहीं लेते. लॉकडाउन से पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन उन पर कहर बनकर टूटा.

बिट्टू के जज्बे को सलाम


लोगों के लिए प्रेरणा

बिट्टू के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था. कई हफ्ते बाद आज बिट्टू ने पंचर लगाने का काम दोबारा शुरू किया, लेकिन रोड पर गाड़ियां कम होने की वजह से सिर्फ 15 रुपये ही कमा पाए. फिर भी बिट्टू ने हालात के सामने घुटने नहीं टेके हैं.

चिलचिलाती धूप में वो अपने काम में लगे हुए हैं. बिट्टू को जानने वाले लोग भी कहते हैं कि बिट्टू में काफी जज्बा है. एक तरफ जहां प्रवासी मजदूर हालात से डरकर पलायन करके चले गए, लेकिन बिट्टू हिम्मत से हालातों के सामने डटे हुए हैं.


बिट्टू के ग्राहक हैं फिक्स

कुछ लोगों का कहना है कि बिट्टू के जज्बे को देखते हुए वह सिर्फ बिट्टू से ही पंचर लगवाने के लिए आते हैं. गाड़ी के टायरों में हवा भरवाने के लिए भी वो अलग-अलग जगह से बिट्टू के पास ही आते हैं. जिससे बिट्टू का भला हो सके, क्योंकि बिट्टू अपनी मेहनत से सब कुछ कर रहा है. बिट्टू को उम्मीद है कि लॉकडाउन खुलने के बाद उसका काम फिर से पहले जैसा हो जाएगा. जिसके लिए वो पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारेगा.

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