नई दिल्ली/गाजियाबाद: सरकार की ओर से जारी किए गए आदेश के अनुसार प्रदेश के सभी जोन में शराब बिक्री की अनुमति होगी. यह आदेश रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के सभी जिलों में लागू होगा. सरकार के इस आदेश के बाद गाजियाबाद जिले में जैसे ही शराब की दुकानें खुली, तो दुकानों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगनी शुरू हो गई.
सरकार के इस फैसले पर शराब के शौकीन लोगों ने खुशी जताई है. साथ ही सरकार का भी कहना है कि इससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय परशुराम परिषद सरकार के इस फैसले से असंतुष्ट दिखाई दे रही है और इसका विरोध कर रही है.
समाज में बढ़ेंगे घरेलू हिंसा और अपराध
राष्ट्रीय परशुराम परिषद के जिलाध्यक्ष बॉबी पंडित का कहना है कि सरकार को अगर शराब की दुकानों से अधिक राजस्व प्राप्त होता है तो फिर लाॅकडाउन के दौरान उनको बंद ही क्यों रखा गया, इससे अच्छा सरकार शराब की बिक्री समय दिन में 2 से 3 घंटे का निर्धारित कर देती.
अब डेढ़ महीने लाॅकडाउन के बाद लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं है. ऐसे में वह घर से जबरदस्ती पैसा लेकर शराब खरीदेंगे जिससे समाज में घरेलू हिंसा और अपराध बढ़ेंगे. उनका कहना है कि देश में लगभग 45000 के करीब कोरोना वायरस के मरीज हैं. लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद अब महामारी फैलने का खतरा अधिक बढ़ गया हैं.
शराब पर वसूला जाए 200% टैक्स
इसके साथ ही उनका कहना है कि वह चाहते हैं कि शराब की बोतल पर 200% टैक्स लगा देना चाहिए और दूसरी ओर बिना राशन कार्ड के किसी को भी शराब नहीं दी जाए. भारत सरकार की ओर से उनके राशन कार्ड पर एक मोहर लगा देनी चाहिए, जिससे कि वह कल को सरकारी राशन लेने जाए तो उसको राशन नहीं मिलना चाहिए. क्योंकि वह आदमी कभी भी गरीब नहीं हो सकता जो इस लाॅकडाउन में भी ₹1000 की शराब पी सकता है. इसीलिए वह पूरी राष्ट्रीय परशुराम परिषद की ओर से सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करते हैं.