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गाजियाबाद: मौत के बाद महिला टीचर ने दी कई लोगों को जिंदगी, मानवता की बनी मिसाल

गाजियाबाद की रहने वाली महिला टीचर ने मौत के बाद भी कई लोगों को नए जीवन की रोशनी दे दी. साथ ही इस महिला टीचर और परिवार ने भाईचारे की मिसाल भी कायम की. मुस्लिम टीचर ने मौत से पहले अपने बॉडी ऑर्गन को जरूरतमंदों को दान कर दिया.

After the death, the female teacher of Ghaziabad gave life to many people
मौत से पहले अंगदान किया
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Published : Dec 27, 2020, 5:02 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की रहने वाली महिला टीचर ने मौत के बाद भी कई लोगों को नए जीवन की रोशनी दे दी. साथ ही इस महिला टीचर और परिवार ने भाईचारे की मिसाल भी कायम की. मुस्लिम टीचर ने मौत से पहले अपने बॉडी ऑर्गन को जरूरतमंदों को दान कर दिया.

मौत से पहले अंगदान किया


2 को मिली आंखों की रोशनी, कई को मिली जिंदगी

मामला इंदिरापुरम इलाके का है. दुबई में बतौर टीचर कार्यरत रफत परवीन की उम्र 41 साल थी. हाल ही में वो गाजियाबाद में अपने परिवार के पास आई थी. 19 दिसंबर को रफत को सिर में तेज दर्द हुआ और वैशाली के मैक्स अस्पताल में उन्हें एडमिट कराया गया. इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई. लेकिन मौत से पहले उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर कर दी. उन्होंने अंगदान का फैसला अपने परिवार को बता दिया था. परिवार ने भी इस बात पर रजामंदी जाहिर करते हुए रफत की बात को माना.

यह भी पढ़ें:-घिटोरनी गांव के कुछ युवकों ने बुरी तरह घायल मोर को दी नई जिंदगी

मैक्स अस्पताल की डॉक्टर निधि के मुताबिक रफत की मौत के बाद उनकी किडनी, लीवर और हार्ट समेत दोनों आंखें ऐसे जरूरतमंद लोगों के काम आए, जिससे उनकी जिंदगी बच पाई. उनकी आंखों ने 2 लोगों को नई रोशनी प्रदान की.


सबसे बड़ी बात ये है कि जिन लोगों को रफत के ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए, वे सभी हिंदू परिवार से हैं. जाहिर है रफत और उनके परिवार ने भाईचारे की एक बड़ी मिसाल कायम की है.


मानवीय फैसले से दोबारा जिंदगी मिल पाई


वहीं जिन लोगो को रफत और उनके इस मानवीय फैसले की वजह से दोबारा जिंदगी मिल पाई,उनके परिवार भी रफत का धन्यवाद अदा कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है सुमन कुमार. सुमन की पत्नी महुआ को रफत की किडनी ट्रांसप्लांट की गई है.




खून का रंग सिर्फ मानवता के रंग से पहचाना जाता है


जाहिर है अपनी मौत के बाद रफत एक ऐसी मिसाल बन गई हैं, जिनकी चर्चा हर जगह हो रही है. रफत और उनके परिवार ने साबित कर दिया है कि खून का रंग सिर्फ मानवता के रंग से पहचाना जाता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद की रहने वाली महिला टीचर ने मौत के बाद भी कई लोगों को नए जीवन की रोशनी दे दी. साथ ही इस महिला टीचर और परिवार ने भाईचारे की मिसाल भी कायम की. मुस्लिम टीचर ने मौत से पहले अपने बॉडी ऑर्गन को जरूरतमंदों को दान कर दिया.

मौत से पहले अंगदान किया


2 को मिली आंखों की रोशनी, कई को मिली जिंदगी

मामला इंदिरापुरम इलाके का है. दुबई में बतौर टीचर कार्यरत रफत परवीन की उम्र 41 साल थी. हाल ही में वो गाजियाबाद में अपने परिवार के पास आई थी. 19 दिसंबर को रफत को सिर में तेज दर्द हुआ और वैशाली के मैक्स अस्पताल में उन्हें एडमिट कराया गया. इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई. लेकिन मौत से पहले उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर कर दी. उन्होंने अंगदान का फैसला अपने परिवार को बता दिया था. परिवार ने भी इस बात पर रजामंदी जाहिर करते हुए रफत की बात को माना.

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मैक्स अस्पताल की डॉक्टर निधि के मुताबिक रफत की मौत के बाद उनकी किडनी, लीवर और हार्ट समेत दोनों आंखें ऐसे जरूरतमंद लोगों के काम आए, जिससे उनकी जिंदगी बच पाई. उनकी आंखों ने 2 लोगों को नई रोशनी प्रदान की.


सबसे बड़ी बात ये है कि जिन लोगों को रफत के ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए, वे सभी हिंदू परिवार से हैं. जाहिर है रफत और उनके परिवार ने भाईचारे की एक बड़ी मिसाल कायम की है.


मानवीय फैसले से दोबारा जिंदगी मिल पाई


वहीं जिन लोगो को रफत और उनके इस मानवीय फैसले की वजह से दोबारा जिंदगी मिल पाई,उनके परिवार भी रफत का धन्यवाद अदा कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है सुमन कुमार. सुमन की पत्नी महुआ को रफत की किडनी ट्रांसप्लांट की गई है.




खून का रंग सिर्फ मानवता के रंग से पहचाना जाता है


जाहिर है अपनी मौत के बाद रफत एक ऐसी मिसाल बन गई हैं, जिनकी चर्चा हर जगह हो रही है. रफत और उनके परिवार ने साबित कर दिया है कि खून का रंग सिर्फ मानवता के रंग से पहचाना जाता है.

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