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दूधेश्वरनाथ मंदिर में गणेश उत्सव, लगेगा 21 हजार लड्डुओं का भोग - Ganesh Chaturthi 2022

इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर विशेष योग बन रहा है. जिस समय माता पार्वती ने भगवान गणेश को प्रकट किया था, उस दिन जो मुहूर्त था आज भी वही मुहूर्त है. काेराेना के कारण दाे साल तक गणेश उत्सव नहीं मनाया जा सका था. इस साल दूधेश्वर नाथ मंदिर में गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. (Ganesh Utsav at Dudheshwarnath Temple in Ghaziabad)

गणेश उत्सव
गणेश उत्सव
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Published : Aug 31, 2022, 5:23 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ में गणेश चतुर्थी के मौके पर 11 हजार लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया गया है (Ganesh Utsav at Dudheshwarnath Temple in Ghaziabad). अनंत चतुर्दशी तक रोजाना भगवान श्रीगणेश को 11 सौ लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा. जबकि आखिरी दिन 10 हजार लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा. बुधवार से इसकी शुरुआत हो गई है. दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ देश के आठ प्रसिद्ध मंदिर मठों में से एक है.

दूधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा पाठ की जिम्मेदारी संभाल रहे आचार्य लक्ष्मीकांत ने बताया कि बीते दाे वर्षों में कोरोना वायरस के चलते धूमधाम से गणेश उत्सव नहीं मनाया गया था. इस साल धूमधाम से मंदिर में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है (ganesh festival in ghaziabad). गणेश उत्सव को लेकर मंदिर में काफी पहले से तैयारियां चल रही थी. बुधवार काे भगवान गणेश को 1100 लड्डुओं का भोग लगाया गया है. ठीक इसी प्रकार प्रतिदिन भगवान को भोग लगाया जाएगा. आखिरी दिन 10 हजार लड्डू समेत मोदक का भोग भगवान को लगाया जाएगा. इस तरह से गणेश उत्सव के दौरान गणपति को कुल 21000 लड्डुओं का भोग लगेगा (21 thousand laddus Bhog in Dudheshwarnath temple). जिसके बाद भक्तों को लड्डू का प्रसाद वितरित किया जाएगा.

दूधेश्वरनाथ मंदिर में गणेश उत्सव

इसे भी पढ़ेंः Ganesh Chaturthi 2022 : इन चीजों से बनायी जाती हैं गणेश भगवान की प्रतिमाएं, देखिए 13 कलाकारों की कलाकारी

आचार्य ने बताया कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर विशेष योग बन रहा है. जिस समय माता पार्वती ने भगवान गणेश को प्रकट किया था, उस दिन जो मुहूर्त था आज भी वही मुहूर्त है. तीन सौ साल के बाद ये मुहूर्त आया है. वही तिथि और वही नक्षत्र है. इस विशेष योग में जो भी भगवान गणपति की पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. बता दें, हिन्दू धर्मशास्त्रों में 33 कोटि देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेश को माना गया है. जिनकी महिमा अनन्त है. भारतीय संस्कृति में हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्वविघ्नविनाशक अनन्तगुण विभूषित बुद्धि प्रदायक सुखदाता मंगलमूर्ति प्रथम पूज्यदेव भगवान श्री गणेश जी के जन्मोत्सव का महापर्व उमंग व उल्लास के साथ मनाने की मान्यता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ में गणेश चतुर्थी के मौके पर 11 हजार लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया गया है (Ganesh Utsav at Dudheshwarnath Temple in Ghaziabad). अनंत चतुर्दशी तक रोजाना भगवान श्रीगणेश को 11 सौ लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा. जबकि आखिरी दिन 10 हजार लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा. बुधवार से इसकी शुरुआत हो गई है. दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ देश के आठ प्रसिद्ध मंदिर मठों में से एक है.

दूधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा पाठ की जिम्मेदारी संभाल रहे आचार्य लक्ष्मीकांत ने बताया कि बीते दाे वर्षों में कोरोना वायरस के चलते धूमधाम से गणेश उत्सव नहीं मनाया गया था. इस साल धूमधाम से मंदिर में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है (ganesh festival in ghaziabad). गणेश उत्सव को लेकर मंदिर में काफी पहले से तैयारियां चल रही थी. बुधवार काे भगवान गणेश को 1100 लड्डुओं का भोग लगाया गया है. ठीक इसी प्रकार प्रतिदिन भगवान को भोग लगाया जाएगा. आखिरी दिन 10 हजार लड्डू समेत मोदक का भोग भगवान को लगाया जाएगा. इस तरह से गणेश उत्सव के दौरान गणपति को कुल 21000 लड्डुओं का भोग लगेगा (21 thousand laddus Bhog in Dudheshwarnath temple). जिसके बाद भक्तों को लड्डू का प्रसाद वितरित किया जाएगा.

दूधेश्वरनाथ मंदिर में गणेश उत्सव

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आचार्य ने बताया कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर विशेष योग बन रहा है. जिस समय माता पार्वती ने भगवान गणेश को प्रकट किया था, उस दिन जो मुहूर्त था आज भी वही मुहूर्त है. तीन सौ साल के बाद ये मुहूर्त आया है. वही तिथि और वही नक्षत्र है. इस विशेष योग में जो भी भगवान गणपति की पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. बता दें, हिन्दू धर्मशास्त्रों में 33 कोटि देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेश को माना गया है. जिनकी महिमा अनन्त है. भारतीय संस्कृति में हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्वविघ्नविनाशक अनन्तगुण विभूषित बुद्धि प्रदायक सुखदाता मंगलमूर्ति प्रथम पूज्यदेव भगवान श्री गणेश जी के जन्मोत्सव का महापर्व उमंग व उल्लास के साथ मनाने की मान्यता है.

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