नई दिल्ली/पलवल: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जिले में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के कार्य को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लिया जा रहा है. भूमि की ऊर्वरक शक्ति को बढ़ाने के लिए भूमि एवं जल परीक्षण प्रयोगशाला में किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जा रहे है.
कृषि उपनिदेशक डॉ. महावीर सिहं ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई. योजना के अनुसार किसानों की मिट्टी और पानी की गुणवत्ता का अध्ययन करके एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया जा रहा है ताकि किसान फसल की पैदावार के दौरान जरूरत के अनुसार ही रसायनिक खादों का प्रयोग करें. किसानों को एक अच्छी फसल प्राप्त करने में सहायता मिल सके. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के पहले चरण में पलवल जिले में 1 लाख 23 हजार 269 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए.
दूसरे चरण में 1 लाख 11 हजार 353 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर दिए गए है. वर्ष 2020 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के कार्य को पायलेट प्रोजक्ट के तौर पर लिया जा रहा है. जिसके अंर्तगत जिले में चार गांवों को चिहिंत किया गया है. विभागीय टीम गांवों में जाकर 406 किसानों के खेतों की मिट्टी और पानी के सेंपल लेकर जांच की गई और उनकों मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर दिए गए है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए किसान निकटतम कृषि अधिकारी कार्यालय में जाकर मिट्टी और पानी की जांच के फायदों के बारे में जानकारी हांसिल कर सकते है.
जारी कर दिए जाएंगे 'मृदा स्वास्थ्य कार्ड'
मिट्टी और पानी का सेंपल लेकर जांच करने के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर दिए जाएगें. ये कार्य निशुल्क किया जाएगा. मृदा स्वास्थ्य कार्ड में ये दर्शाया गया है कि जमीन में किन पोषक तत्वों की मात्रा कम है और कौन से ऐसे तत्व है जिनकी मात्रा अधिक है. भूमि की ऊपजाऊ क्षमता को कैसे बढाया जा सकता है. भूमि के स्वास्थ्य के अनुरूप कौन कौन सी फसलें ली जा सकती है. भूमि में फसल की पैदावार के लिए कितनी मात्रा में खाद डाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि फसल की पैदावार के दौरान अधिक खाद की मात्रा डालने से फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ता है. फसल की पैदावार बढने की बजाय घट जाती है. इसके अलावा किसानों पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है. किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दिए गए मानकों के अनुरूप ही रसायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग करें. किसान जैविक खाद,नीम खाद,हरी खाद और कैचुआ की खादों का प्रयोग करें.
'भूमि की ऊर्वरक शक्ति भी बनी रहती है'
सोयल टेस्टिंग अधिकारी सुमेर सिहं ने बताया कि भूमि एवं जल परीक्षण प्रयोगशाला में किसानों के खेतों से लिए गए सैंपलों की नियमित रूप से जांच की जा रही है. उसके बाद में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है. उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड से ये फायदा होता है कि किसान जरूरत के हिसाब से ही खाद डालता है. ऐसा करने से खाद की बचत होती है और भूमि की ऊर्वरक शक्ति भी बनी रहती है.