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फरीदाबाद: ग्राम पंचायतों ने मास्क और सैनिटाइजर को लेकर किया करोड़ों का घोटाला !

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Published : Jun 11, 2020, 1:07 AM IST

फरीदाबाद में बिना प्रशासन की अनुमति के पंचायत द्वारा मास्क और सैनिटाइजर पर लाखों रुपए खर्च करने के मामले में दो ग्राम सचिवों को सस्पेंड किया गया है. वहीं दो सरपंचों को भी नोटिस जारी किया गया है.

scam by panchayats in faridabad
मास्क सैनिटाइजर को लेकर घोटाला

नई दिल्ली/फरीदाबाद: जिले में मुंझेड़ी और नीमका ग्राम पंचायत ने लॉकडाउन के दौरान 3 करोड़ रुपये का खर्च दर्शाया. इसमें ग्राम पंचायत ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान विकास कार्यों, मास्क और सैनिटाइजर पर ये पैसे खर्च किए. मामला सामने आते ही प्रशासन में हलचल मच गई और आनन-फानन में दोनों गांव के ग्राम सचिवों को निलंबित कर दिया गया. वहीं दोनों सरपंचों से लिखित में स्पष्टीकरण के लिए नोटिस भेज दिए हैं. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर निलंबन जैसी कार्रवाई का भी दावा किया जा रहा है.

पंचायत और ग्राम सचिव ने मिलीभगत कर किया घोटाला

मार्च के आखिरी सप्ताह में शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान नीमका गांव की ग्राम पंचायत ने 62 लाख रुपये के मास्क व सैनिटाइजर की खरीद दिखाई है. इसके लिए ग्राम सचिव विजयपाल ने भुगतान भी कर दिया. इस बाबत पंचायत विभाग के अधिकारियों से कोई अनुमति नहीं ली गई. ठीक इसी तरह से फरीदाबाद के गांव मुंझेड़ी की ग्राम पंचायत ने विभिन्न विकास कार्यों पर 2 करोड़ 32 लाख रुपए खर्च होने दर्शाए हैं. इस पंचायत ने भी ग्राम सचिव पवन कुमार के साथ मिलकर बिलों का भुगतान करा लिया.

जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राकेश मोड़ को जब इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कार्रवाई करते हुए ग्राम सचिव पवन कुमार और विजय पाल को निलंबित कर दिया. राकेश मोर ने बताया कि वह खुद हैरान हैं कि एक पंचायत 62 लाख रुपए के मास्क व सैनिटाइजर किस तरह से बांट सकती है. उन्होंने कहा कि सरपंचों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और अगर इस नोटिस में वह संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ भी निलंबन जैसी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत और ग्राम सचिव का ज्वाइंट अकाउंट बैंक में होता है. ग्राम पंचायत को केवल 10 लाख रु तक का अधिकार है जो वह बिना किसी अनुमति के खर्च कर सकते हैं.

वहीं इन दोनों गांवों की पंचायतों और ग्राम सचिवों ने इतनी बड़ी रकम को खर्च करने के लिए प्रशासन से किसी प्रकार की मंजूरी नहीं ली है जिसके चलते इनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है. हालांकि इस मामले में प्रशासन के द्वारा दोनों ग्राम सचिवों को निलंबित कर दिया गया है और सरपंचों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, लेकिन एक सवाल ये भी उठता है कि बिना विभागीय अधिकारियों की अनुमति के इतनी बड़ी राशि खर्च कैसे हुई?

नई दिल्ली/फरीदाबाद: जिले में मुंझेड़ी और नीमका ग्राम पंचायत ने लॉकडाउन के दौरान 3 करोड़ रुपये का खर्च दर्शाया. इसमें ग्राम पंचायत ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान विकास कार्यों, मास्क और सैनिटाइजर पर ये पैसे खर्च किए. मामला सामने आते ही प्रशासन में हलचल मच गई और आनन-फानन में दोनों गांव के ग्राम सचिवों को निलंबित कर दिया गया. वहीं दोनों सरपंचों से लिखित में स्पष्टीकरण के लिए नोटिस भेज दिए हैं. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर निलंबन जैसी कार्रवाई का भी दावा किया जा रहा है.

पंचायत और ग्राम सचिव ने मिलीभगत कर किया घोटाला

मार्च के आखिरी सप्ताह में शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान नीमका गांव की ग्राम पंचायत ने 62 लाख रुपये के मास्क व सैनिटाइजर की खरीद दिखाई है. इसके लिए ग्राम सचिव विजयपाल ने भुगतान भी कर दिया. इस बाबत पंचायत विभाग के अधिकारियों से कोई अनुमति नहीं ली गई. ठीक इसी तरह से फरीदाबाद के गांव मुंझेड़ी की ग्राम पंचायत ने विभिन्न विकास कार्यों पर 2 करोड़ 32 लाख रुपए खर्च होने दर्शाए हैं. इस पंचायत ने भी ग्राम सचिव पवन कुमार के साथ मिलकर बिलों का भुगतान करा लिया.

जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राकेश मोड़ को जब इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने कार्रवाई करते हुए ग्राम सचिव पवन कुमार और विजय पाल को निलंबित कर दिया. राकेश मोर ने बताया कि वह खुद हैरान हैं कि एक पंचायत 62 लाख रुपए के मास्क व सैनिटाइजर किस तरह से बांट सकती है. उन्होंने कहा कि सरपंचों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और अगर इस नोटिस में वह संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ भी निलंबन जैसी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत और ग्राम सचिव का ज्वाइंट अकाउंट बैंक में होता है. ग्राम पंचायत को केवल 10 लाख रु तक का अधिकार है जो वह बिना किसी अनुमति के खर्च कर सकते हैं.

वहीं इन दोनों गांवों की पंचायतों और ग्राम सचिवों ने इतनी बड़ी रकम को खर्च करने के लिए प्रशासन से किसी प्रकार की मंजूरी नहीं ली है जिसके चलते इनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है. हालांकि इस मामले में प्रशासन के द्वारा दोनों ग्राम सचिवों को निलंबित कर दिया गया है और सरपंचों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, लेकिन एक सवाल ये भी उठता है कि बिना विभागीय अधिकारियों की अनुमति के इतनी बड़ी राशि खर्च कैसे हुई?

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