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DU: रिसर्च स्कॉलर्स कई समस्याओं से हैं परेशान, 30 विभागों के 1600 छात्रों ने कुलपति को सौंपा ज्ञापन - research scholars

दिल्ली विश्‍वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर्स कई समस्याओं से परेशान है. रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने बताया कि डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स 2017 से ऑनलाइन जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं साथ ही

डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स कई समस्याओं से हैं परेशान etv bharat
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Published : Jul 28, 2019, 6:54 AM IST

नई दिल्ली: डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स को आए दिन किसी न किसी समस्या से परेशान होना पड़ रहा है. इन्हीं समस्याओं को दूर करने की मांग को लेकर रिसर्च स्कॉलर के प्रतिनिधि मंडल ने अभिषेक वर्मा की अगुवाई में डीयू के रजिस्ट्रार और कुलपति से मुलाकात की. साथ ही उन्हें 30 विभागों के लगभग 1600 छात्रों द्वारा हस्ताक्षर किए हुए ज्ञापन भी सौंपा.


इस मुलाकात के बाद डीयू प्रशासन द्वारा उन्हें जल्दी ही समस्याओं से निजाद मिलने का आश्वासन दिया गया है. वहीं रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने कहा कि यदि प्रशासन उनकी मांगों को लेकर कोई उचित कार्रवाई नहीं करता है तो मजबूरन उन्हें विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा.

डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स कई समस्याओं से हैं परेशान

रिसर्च स्कॉलर्स नहीं एक्सेस कर पा रहे ऑनलाइन जर्नल
समस्याओं को लेकर केमिस्ट्री से पीएचडी रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने बताया कि डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स 2017 से ऑनलाइन जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शोध कार्य के लिए अक्सर उन्हें ऑनलाइन जर्नल एक्सेस करना पड़ता है.


इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे शोधकार्यों और नवीन तकनीकों के बारे में जानने के लिए इंटरनेशनल जर्नल भी एक्सेस करना होता है. ऐसे में प्रशासन द्वारा सब्सक्रिप्शन फीस जमा न किये जाने के चलते छात्र कोई भी जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं.


उन्होंने बताया कि दिसंबर 2017 तक एमएचआरडी ही ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन फीस जमा करती थी लेकिन 2017 के बाद से कोई फीस जमा नहीं हुई.

शोध कार्य में हो रही कठिनाई
अभिषेक ने कहा कि केवल यही एक समस्या नहीं है जिससे रिसर्च स्कॉलर जूझ रहे हैं. छात्रों को जो प्लेजरिस्म मिलता था उसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. अभिषेक ने बताया की पहले 20 फीसदी प्लेजरिस्म था लेकिन अब यह महज 10 फीसदी रह गया है जिससे शोध कार्य और भी कठिन हो गया है.

शोधकर्ताओं के लिए कोई शिकायत समिति नहीं
डीयू प्रशासन से बार बार गुहार लगाने पर भी किसी तरह की मदद न मिलने को लेकर अभिषेक ने कहा कि रिसर्च स्कॉलर्स का कोई प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं है जिसके चलते उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता. साथ ही डीयू में शोधकर्ताओं के लिए कोई शिकायत समिति भी नहीं है जो उनकी समस्याओं का निदान कर सके.

रैंकिंग में पिछड़ा डीयू
वहीं एनआरएफ की रैंकिंग में हुई गिरावट को लेकर छात्र अभिषेक ने कहा कि इसके लिए डीयू की रिसर्च टीम जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग होती है तो उसके इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं के साथ-साथ उसमें किये जा रहे शोध कार्यों को गिना जाता है.


लेकिन डीयू द्वारा रिसर्च स्कॉलर्स को जरूरी और बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाये जाने से जो शोधकार्य में कमी आयी है उसी के चलते डीयू रैंकिंग में पिछड़ गया.

नई दिल्ली: डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स को आए दिन किसी न किसी समस्या से परेशान होना पड़ रहा है. इन्हीं समस्याओं को दूर करने की मांग को लेकर रिसर्च स्कॉलर के प्रतिनिधि मंडल ने अभिषेक वर्मा की अगुवाई में डीयू के रजिस्ट्रार और कुलपति से मुलाकात की. साथ ही उन्हें 30 विभागों के लगभग 1600 छात्रों द्वारा हस्ताक्षर किए हुए ज्ञापन भी सौंपा.


इस मुलाकात के बाद डीयू प्रशासन द्वारा उन्हें जल्दी ही समस्याओं से निजाद मिलने का आश्वासन दिया गया है. वहीं रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने कहा कि यदि प्रशासन उनकी मांगों को लेकर कोई उचित कार्रवाई नहीं करता है तो मजबूरन उन्हें विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा.

डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स कई समस्याओं से हैं परेशान

रिसर्च स्कॉलर्स नहीं एक्सेस कर पा रहे ऑनलाइन जर्नल
समस्याओं को लेकर केमिस्ट्री से पीएचडी रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने बताया कि डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स 2017 से ऑनलाइन जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शोध कार्य के लिए अक्सर उन्हें ऑनलाइन जर्नल एक्सेस करना पड़ता है.


इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे शोधकार्यों और नवीन तकनीकों के बारे में जानने के लिए इंटरनेशनल जर्नल भी एक्सेस करना होता है. ऐसे में प्रशासन द्वारा सब्सक्रिप्शन फीस जमा न किये जाने के चलते छात्र कोई भी जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं.


उन्होंने बताया कि दिसंबर 2017 तक एमएचआरडी ही ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन फीस जमा करती थी लेकिन 2017 के बाद से कोई फीस जमा नहीं हुई.

शोध कार्य में हो रही कठिनाई
अभिषेक ने कहा कि केवल यही एक समस्या नहीं है जिससे रिसर्च स्कॉलर जूझ रहे हैं. छात्रों को जो प्लेजरिस्म मिलता था उसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. अभिषेक ने बताया की पहले 20 फीसदी प्लेजरिस्म था लेकिन अब यह महज 10 फीसदी रह गया है जिससे शोध कार्य और भी कठिन हो गया है.

शोधकर्ताओं के लिए कोई शिकायत समिति नहीं
डीयू प्रशासन से बार बार गुहार लगाने पर भी किसी तरह की मदद न मिलने को लेकर अभिषेक ने कहा कि रिसर्च स्कॉलर्स का कोई प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं है जिसके चलते उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता. साथ ही डीयू में शोधकर्ताओं के लिए कोई शिकायत समिति भी नहीं है जो उनकी समस्याओं का निदान कर सके.

रैंकिंग में पिछड़ा डीयू
वहीं एनआरएफ की रैंकिंग में हुई गिरावट को लेकर छात्र अभिषेक ने कहा कि इसके लिए डीयू की रिसर्च टीम जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग होती है तो उसके इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं के साथ-साथ उसमें किये जा रहे शोध कार्यों को गिना जाता है.


लेकिन डीयू द्वारा रिसर्च स्कॉलर्स को जरूरी और बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाये जाने से जो शोधकार्य में कमी आयी है उसी के चलते डीयू रैंकिंग में पिछड़ गया.

Intro:नई दिल्ली ।

दिल्ली विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर्स को आए दिन किसी न किसी समस्या से दो चार होना पड़ रहा हैं. इन्हीं समस्याओं को दूर करने की मांग को लेकर रिसर्च स्कॉलर के प्रतिनिधि मंडल ने अभिषेक वर्मा की अगुवाई में डीयू के रजिस्ट्रार और कुलपति से भी मुलाकात की और उन्हें 30 विभागों के लगभग 1600 छात्रों द्वारा हस्ताक्षर किए हुए ज्ञापन सौंपा. इस मुलाकात के बाद डीयू प्रशासन द्वारा उन्हें जल्दी ही समस्याओं से निजाद मिलने का आश्वासन दिया गया है. वहीं रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने कहा कि यदि प्रशासन उनकी मांगों को लेकर कोई उचित कार्यवाई नहीं करता तो मजबूरन उन्हें विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा.



Body:वहीं आये दिन आने वाली समस्याओं को लेकर केमिस्ट्री से पीएचडी रिसर्च स्कॉलर अभिषेक वर्मा ने बताया कि डीयू के रिसर्च स्कॉलर्स 2017 से ऑनलाइन जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शोध कार्य के लिए अक्सर उन्हें ऑनलाइन जर्नल एक्सेस करना पड़ता है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे शोधकार्यों और नवीन तकनीकों के बारे में जानने के लिए इंटरनेशनल जर्नल भी एक्सेस करना होता है जो हर तरह के शोध के लिए मूलभूत आवश्यकता है. ऐसे में दी प्रशासन द्वारा सब्सक्रिप्शन फीस जमा न किये जाने के चलते छात्र कोई भी जर्नल एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिसंबर 2017 तक एमएचआरडी ही ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन फीस जमा करती थी लेकिन 2017 के बाद से कोई फीस जमा नहीं हुई.

वहीं छात्र अभिषेक ने कहा कि केवल यही एक समस्या नहीं है जिससे रिसर्च स्कॉलर जूझ रहे हैं. छात्रों को जो प्लेजरिस्म मिलता था उसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. अभिषेक ने बताया की पहले 20 फीसदी प्लेजरिस्म था लेकिन अब यह महज 10 फीसदी रह गया है जिससे शोधकार्य और भी कठिन हो गया है.

वहीं डीयू प्रशासन से बार बार गुहार लगाने पर भी किसी तरह की मदद न मिलने को लेकर अभिषेक ने कहा कि रिसर्च स्कॉलर्स का कोई प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं है जिसके चलते उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जाता. साथ ही डीयू में शोधकर्ताओं के लिए कोई शिकायत समिति भी नहीं है जो उनकी समस्याओं का निदान कर सके.

वहीं एनआरएफ की रैंकिंग में हुई गिरावट को लेकर छात्र अभिषेक ने कहा कि इसके लिए डीयू की रिसर्च टीम के प्रति लापरवाही जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग होती है तो उसके इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं के साथ साथ उसमें किये जा रहे शोधकार्यों को गिना जाता है. लेकिन डीयू द्वारा रिसर्च स्कॉलर्स को जरूरी और बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाये जाने से जो शोधकार्य में कमी आयी है उसी के चलते डीयू रैंकिंग में पिछड़ गया.


Conclusion:वहीं डीयू प्रशासन तक अपनी बात पहुचाने के लिए शोधकर्ता छात्रों ने एक सिग्नेचर कैंपेन चलाया जिसमें सभी विभागों के रिसर्च स्कॉलर्स ने हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि लगभग 30 विभागों के करीब 1600 छात्रों ने सभी मुद्दों पर हस्ताक्षर कर अपना ज्ञापन डीयू प्रशासन को सौंपा और अपनी मांगे जल्दी ही पूरी करने की गुहार लगाई.
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