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पलवल: धरने पर बैठे पीटीआई टीचर्स को 17वें दिन मिला भाकियू का साथ

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Published : Jul 2, 2020, 12:07 PM IST

पलवल में 17 दिन से पीटीआई टीचर्स प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने कोर्ट में उनकी पैरवी नहीं की है, जिसकी वजह से उनकी नौकरी गई. अगर सरकार ने उनकी बहाली नहीं की तो वो बड़ा आंदोलन करेंगे. वहीं पीटीआई को अब अन्य संगठनों का साथ भी मिलने लगा है.

pti teachers protest in palwal haryana
धरने पर बैठे पीटीआई टीचर्स

नई दिल्ली/पलवल: हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ और शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति ने पीटीआई टीचर्स की बहाली को लेकर 17वें दिन भी प्रदर्शन किया. 17वें दिन अखिल भारतीय किसान यूनियन के महासचिव रतन सिंह सौरोत ने पीटीआई आंदोलन का समर्थन किया और आगे भी उनके संघर्ष में योगदान का आश्वासन दिया.

धरने पर बैठे पीटीआई टीचर्स

प्रदर्शन के दौरान हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रधान वेदपाल ने कहा कि सरकार 1983 पीटीआई टीचर्स को अकेला समझने की भूल ना करे. सरकार के अडियल रवैये के कारण सभी कर्मचारी संगठनों में भारी रोष बढ़ता जा रहा है और उनका ये आंदोलन बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी.

17वें दिन में पहुंचा पीटीआई का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की आड़ में 1983 पीटीआई से राजनीतिक बदला लेने का प्रयास कर रही है, जिसको किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि चाहे तो सरकार नियुक्त शिक्षकों के डाक्यूमेंट्स की जांच करा सकती है, लेकिन भर्ती आयोग की कारगुजारियों की सजा पीड़ित परिवारों को न दी जाए और जब तक सरकार शिक्षकों को नौकारी पर बहाल नहीं करेगी. उनका ये आंदोलन जारी रहेगा.

पीटीआई को भाकियू का साथ

इस दौरान अखिल भारतीय किसान यूनियन के महासचिव रतन सिंह सौरोत ने कहा कि पीटीआई अध्यापकों की हक की लड़ाई में अखिल भारतीय किसान यूनियन उनके साथ है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को पीटीआई अध्यापको की मांगों की तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि 1983 शिक्षकों के घरों में आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

क्या है पूरा मामला

हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

नई दिल्ली/पलवल: हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ और शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति ने पीटीआई टीचर्स की बहाली को लेकर 17वें दिन भी प्रदर्शन किया. 17वें दिन अखिल भारतीय किसान यूनियन के महासचिव रतन सिंह सौरोत ने पीटीआई आंदोलन का समर्थन किया और आगे भी उनके संघर्ष में योगदान का आश्वासन दिया.

धरने पर बैठे पीटीआई टीचर्स

प्रदर्शन के दौरान हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रधान वेदपाल ने कहा कि सरकार 1983 पीटीआई टीचर्स को अकेला समझने की भूल ना करे. सरकार के अडियल रवैये के कारण सभी कर्मचारी संगठनों में भारी रोष बढ़ता जा रहा है और उनका ये आंदोलन बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी.

17वें दिन में पहुंचा पीटीआई का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की आड़ में 1983 पीटीआई से राजनीतिक बदला लेने का प्रयास कर रही है, जिसको किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि चाहे तो सरकार नियुक्त शिक्षकों के डाक्यूमेंट्स की जांच करा सकती है, लेकिन भर्ती आयोग की कारगुजारियों की सजा पीड़ित परिवारों को न दी जाए और जब तक सरकार शिक्षकों को नौकारी पर बहाल नहीं करेगी. उनका ये आंदोलन जारी रहेगा.

पीटीआई को भाकियू का साथ

इस दौरान अखिल भारतीय किसान यूनियन के महासचिव रतन सिंह सौरोत ने कहा कि पीटीआई अध्यापकों की हक की लड़ाई में अखिल भारतीय किसान यूनियन उनके साथ है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को पीटीआई अध्यापको की मांगों की तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि 1983 शिक्षकों के घरों में आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

क्या है पूरा मामला

हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

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