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फरीदाबाद का किसान बोला, ये जुमलेबाज, घमंडी सरकार है, नहीं मिला कोई फायदा

विकास के मुद्दे पर गांव अटोह के ग्रामीणों में काफी रोष है. गांव के लोगों का कहना है कि जब से चुनाव हुए हैं आज तक सांसद हमारे गांव में आए हैं. विकास के नाम पर आज तक सिर्फ कुछ रुपये है भेजें हैं, लेकिन काम भी शुरू नहीं हुआ. वहीं युवा वर्ग भी निराश नजर आए.

ये जुमलेबाज, घमंडी सरकार है
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Published : Apr 23, 2019, 10:44 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: चुनावी माहौल हो और हरियाणा में चौपाल ना सजे, ऐसा हो नहीं सकता. इतिहास गवाह रहा है कि सूबे की सियासत की बयार गांवों को चौक-चौबारों से चलती है. ऐसे में ईटीवी हरियाणा की टीम भी गांव की गलियों में जनता का मन जानने के लिए निकल चुकी है.

विकास के मुद्दे पर गांव अटोह के ग्रामीणों में काफी रोष है. गांव के लोगों का कहना है कि जब से चुनाव हुए हैं आज तक सांसद हमारे गांव में आए हैं. विकास के नाम पर आज तक सिर्फ कुछ रुपये है भेजें हैं, लेकिन काम भी शुरू नहीं हुआ. वहीं युवा वर्ग भी निराश नजर आए. उनका कहना है कि पूरे गांव में खेलने के लिए कोई मैदान नहीं तैयार किया गया.

ये जुमलेबाज, घमंडी सरकार है

फसल बिक्री को लेकर भी किसान सरकारी नीतियों से परेशान हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हमें वो चाहिए जो हमारी हितैशी हों. किसानों के लिए डिजिटलाइजेशन की नीति पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि काम वो होना चाहिए जिससे आम इंसान के मुश्किलें ना हो. आज भी किसान ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है. ऑनलाइन काम काज होने से परेशानियां बढ़ी हैं. हमारी टीम के साथ किसानों ने और क्या बातचीत की, जानने के लिए रिपोर्ट देखें-

नई दिल्ली/फरीदाबाद: चुनावी माहौल हो और हरियाणा में चौपाल ना सजे, ऐसा हो नहीं सकता. इतिहास गवाह रहा है कि सूबे की सियासत की बयार गांवों को चौक-चौबारों से चलती है. ऐसे में ईटीवी हरियाणा की टीम भी गांव की गलियों में जनता का मन जानने के लिए निकल चुकी है.

विकास के मुद्दे पर गांव अटोह के ग्रामीणों में काफी रोष है. गांव के लोगों का कहना है कि जब से चुनाव हुए हैं आज तक सांसद हमारे गांव में आए हैं. विकास के नाम पर आज तक सिर्फ कुछ रुपये है भेजें हैं, लेकिन काम भी शुरू नहीं हुआ. वहीं युवा वर्ग भी निराश नजर आए. उनका कहना है कि पूरे गांव में खेलने के लिए कोई मैदान नहीं तैयार किया गया.

ये जुमलेबाज, घमंडी सरकार है

फसल बिक्री को लेकर भी किसान सरकारी नीतियों से परेशान हैं. किसानों का कहना है कि सरकार हमें वो चाहिए जो हमारी हितैशी हों. किसानों के लिए डिजिटलाइजेशन की नीति पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि काम वो होना चाहिए जिससे आम इंसान के मुश्किलें ना हो. आज भी किसान ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है. ऑनलाइन काम काज होने से परेशानियां बढ़ी हैं. हमारी टीम के साथ किसानों ने और क्या बातचीत की, जानने के लिए रिपोर्ट देखें-

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