नई दिल्ली/फरीदाबाद: लोकसभा और राज्यसभा में एनआरसी और सीएबी बिल पास हो गया. जिसका नूंह जिले में जमकर विरोध हो रहा है. विरोध के दौरान लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उन्होंने केंद्र सरकार पर बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है.
'बिल के कारण भाईचारा होगा खराब'
एनआरसी और सीएबी बिल का विरोध करते हुए लोगों ने कहा कि इस बिल के कारण मुल्क में सदियों से चला आ रहा भाईचारा पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा और देश में चारों तरफ अराजकता फैल जाएगी. लोगों ने सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए बिल को वापस लेने की मांग की.
इस संबंध में वकील रशीद अहमद सरकार पर धर्म के आधार पर बांटने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार धर्म के आधार पर देश को बांटकर भाई को भाई से लड़ाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वार लाए गए इस बिल से मुस्लिम समाज के लोग काफी नाराज हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस प्रकार के असंवैधानिक बिल को वापस कर लेनी चाहिए.
देश की रक्षा में पूर्वजों ने गंवाई जान
मुस्लिम समाज के लोगों ने बिल के प्रति नाराजगी जाहीर करते हुए कहा कि उनके पूर्वजों ने मुल्क के खातिर ना केवल अपनी जान गवाई बल्की जिस हाल में देश को उनकी जरूरत पड़ी उन्होंने देश की आन, बान और शान की रक्षा के लिए कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने कहा कि इतनी कुर्बानियां देने के बावजूद उन्हें मुल्क में रहने के लिए इस तरह का दिन देखना पड़ रहा है.
इस मुद्दे पर समाजसेवी तौसीफ बिसरू ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है. सरकार को इस असंवैधानिक बिल को वापस ले लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस प्रकार की असवैंधानिक बिल को वापस नहीं लेती तो वो इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
क्या है सीएबी बिल ?
सीएबी यानी नागरिकता संशोधन बिल के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को नागरिकता संशोधन बिल के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी.
देश में नागरिकता संशोधन बिल के चलते जो विरोध की आवाज उठ रही है, उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी. बिल के इसी प्रावधानों का कांग्रेस समेत कई पार्टियां विरोध कर रही हैं.