नई दिल्ली/फरीदाबाद: फीस माफ करने वाला फरीदाबाद का जेसी बोस वाईएमसीए विश्वविद्यालय देश का पहला शिक्षण संस्थान बना है. कोरोना महामारी के मद्देनजर वित्तीय कठिनाइयों के कारण फीस देने में असमर्थ विद्यार्थियों को राहत देने के लिए इस शिक्षण संस्थान नीति बनाई है.
यूनिवर्सिटी करेगी छात्रों की फीस माफ
बता दें कि जेसी बोस वाईएमसीए यूनिवर्सिटी ने आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद विद्यार्थियों की शत प्रतिशत तक ट्यूशन फीस माफ करने की नीति जारी की है और ऐसे विद्यार्थियों से आवेदन मांगे हैं जो परिवार में वित्तीय कठिनाईयों के कारण अपनी फीस या बकाया फीस का भुगतान करने में असमर्थ हैं.
इन छात्रों की फीस होगी माफ
परिवार में कमाने वाले एकमात्र सदस्य का रोजगार या कमाई का जरिया खत्म हो गया हो या उसे काफी वित्तीय हानि हुई हो या कमाने वाले एकमात्र सदस्य की मृत्यु हो गई हो और विद्यार्थी या परिवार में किसी सदस्य को किसी ऐसी गंभीर बीमारी हो ग्रस्त हो, जिस पर अत्याधिक खर्च होता है. इस तरह के किसी भी मामले में विश्वविद्यालय विद्यार्थी को फीस माफी की राहत देगा.
ये है कारण
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय कोरोना महामारी के बीच विद्यार्थियों और उनके परिजनों को हो रही कठिनाइयों को समझता है और उन्हें राहत देने के लिए हरसंभव उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस मुद्दे को प्राथमिकता पर लेते हुए विश्वविद्यालय ने आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए एक नीति तैयार की है.
कुलपति ने कहा कि ये नीति ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद विद्यार्थियों को सहयोग देगी, जो परिवार में वित्तीय समस्याओं के कारण फीस या बकाया का भुगतान करने में असमर्थ है. नीति के अंतर्गत ऐसे मामलों पर विचार किया जायेगा, जिसमें इन छात्रों को फीस में राहत दी जाएगी.
नीति के तहत प्रत्येक मामलों को अलग से देखते हुए ट्यूशन फीस में 50 प्रतिशत तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी और ऐसे मामले जहां पर विद्यार्थी के परिवार की वित्तीय स्थिति अत्यंत गंभीर पाई जायेगी, उसे 100 प्रतिशत फीस माफी या प्रतिपूर्ति का लाभ दिया जाएगा.
नीति के अंतर्गत फीस माफी का लाभ उठाने के लिए जरूरतमंद विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध निर्धारित प्रपत्र पर संबंधित विभागाध्यक्ष के माध्यम आवेदन करना होगा. ऐसे सभी आवेदन विभागाध्यक्ष अपनी सिफारिश के साथ डीन स्टूडेंट वेलफेयर कार्यालय को भेजेंगे.