नई दिल्ली/पलवल: जिले के रजौलका गांव में विधायक कोटे से करीब 17 लाख रुपये की ग्रांट से पिछले एक साल से बारात घर का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसकी देखरेख का जिम्मा गांव के सरपंच रामलाल का है. जानकारी के मुताबिक सरपंच ने बारात घर बनाने का ठेका अपने भांजे को दिया है.
ग्रामीणों के अनुसार बिल्डिंग निर्माण में किसी भी मापदंड का पालन नहीं किया गया है, इसमें कच्ची ईंटें लगाई गई हैं और चिनाई में सीमेंट और मसाले की गुणवत्ता बिल्कुल जीरो है. सीमेंट ना के बराबर डाली गई है और क्रेशर मसाला भी पूरा नहीं लगाया जा रहा है. ग्रामीणों का ये भी कहना है कि बारात घर के लिए डाले गए बीम की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है. दीवारें इतनी कमजोर हैं कि हवा के झोंकों से ही हिल रही हैं.
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ग्रामीणों का आरोप है कि जब से बारात घर का निर्माण शुरू हुआ है तब से कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस प्रकार के घटिया निर्माण कार्य को देखने के लिए नहीं पहुंचा है, जबकि उन्होंने बीडीपीओ, डीडीपीओ, एसडीएम और कमिश्नर तक से शिकायतें की हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी इस काम को देखने के लिए नहीं पहुंचा हैं.
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रजौलका गांव में हो रहे बेहद घटिया निर्माण कार्य के बारे जब डीडीपीओ शमशेर सिंह नेहरा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि किसी भी निर्माण कार्य की देखरेख की जिम्मेदारी सबसे पहले जेई की होती है, इसलिए नॉर्म्स का पालन किया जा रहा है या नहीं सबसे पहली जिम्मेदारी जेई की है. उसके बाद एसडीओ और कार्यकारी अभियंता की जिम्मेदारी होती है. उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में अभी ये मामला आया है. जरूरत पड़ी तो इसकी जांच कराई जाएगी.