नई दिल्लीः सरबजीत सिंह नामक एक व्यक्ति 15 जून को पोलैंड के रेसिडेंस वीजा के साथ डिपार्चर क्लियरेंस के लिए इमीग्रेशन के पास पहुंचा था. उसे एयर इंडिया की फ्लाइट नम्बर AI-143 से पेरिस जाना था. क्लियरेंस के दौरान उसके ट्रैवेल डॉक्यूमेंट्स की स्क्रूटिनी में इमीग्रेशन डिपार्टमेंट को शक हुआ. जिसके बाद, बारीकी से डॉक्यूमेंटस की जांच की गई, जिसमें उसके वीजा के फर्जी होने का पता चला.
डीसीपी तनु शर्मा ने बताया कि, इस मामले में आरोपी हवाई यात्री के खिलाफ मामला दर्ज कर आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उससे पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई के लिए एसीपी आईजीआईए बिजेंद्र सिंह की देखरेख में एसएचओ यशपाल सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सुमित कुमार, महिला एसआई सरोज, एसआई धर्मेंद्र एएसआई ओमप्रकाश और अन्य की टीम का गठन किया गया. पूछताछ के दौरान आरोपी यात्री ने बताया कि वो पंजाब पुलिस में एएसआई जसवीर से संपर्क में आया था.
एजेंट के द्वारा 12 लाख रुपये में वीजा बनवाने का आश्वासन दिया. इसके बदले उसने सरबजीत से 60 हजार रुपये भी लिए. आरोपी एजेंट दिल्ली के जनकपुरी स्थित डिस्ट्रिक्ट सेंटर में फ्लाइंग स्टार ओवरसीज प्राईवेट लिमिटेड के नाम एजेंसी चलाते हैं. यात्री के गिरफ्तार हाेने की जानकारी के बाद द्वारका में किराए में रहने वाले एजेंट पति-पत्नी फरार हो गए. लगातार अपना लोकेशन बदल रहे थे. पुलिस आरोपियों के सीडीआर की जांच और उनके लोकेशन को लगातार ट्रैक करने में लगी थी.
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आखिरकार इसमें उन्हें सफलता मिली और दोनों को जयपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. उनके पास से 16 पासपोर्ट, 10 डेबिट कार्ड, 7200 कैश और छह मोबाइल फाेन जब्त किये गये. सेक्टर 7 स्थित उनके घर से दाे पासपोर्ट, एक डेबिट कार्ड और सात चेक बुक बरामद हुआ. आरोपियों ने सरबजीत के एक रिश्तेदार को भी विदेश भेजने का झांसा दे कर 49 हजार रुपये की ठगी को अंजाम दिया था. दोनों आरोपियाें ने बताया कि पॉलैंड में रहने वाले विशाल और पंजाब के जसवीर के साथ मिल कर फर्जी वीजा का कारोबार कर रहे थे. ज्यादातर पंजाब, हरियाणा के आसपास के लोगों को यूरोपियन देशों में भेजने के नाम पर ठगी को अंजाम देते थे.