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पहल: फरीदाबाद का ये दंपति लॉकडाउन में जरूरतमंदों तक पहुंचा रहा खून - blood collect lockdown faridabad

कोरोना महामारी में किसी को रक्त की कमी न हो. इसके लिए एक दंपति ने बीड़ा उठाया. लॉकडाउन में फरीदाबाद के विकास मित्तल और अल्पना मित्तल ने 300 यूनिट रक्त सरकारी ब्लड बैंक में जमा करवाया.

faridabad Couple collected 300 units blood in lockdown
लॉकडाउन में दंपत्ति जरूरतमंदों तक पहुंचा रहा खून
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Published : May 28, 2020, 3:54 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोविड-19 महामारी में हर कोई अपने तरीके से लोगों की मदद कर रहा है. फरीदाबाद की एक दंपति ने अस्पतालों में हो रही रक्त की कमी को पूरा करने का बीड़ा उठाया है. फरीदाबाद के विकास मित्तल और अल्पना मित्तल ने लॉकडाउन में 300 यूनिट रक्त सरकारी ब्लड बैंक में जमा करवाया.

लॉकडाउन के कारण रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं हो पर रहा था. ऐसे में एक्सीडेंटल मरीजों, गर्भवती महिलाओं, कैंसर और थैलेसीमिया जैसे रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए ब्लड की कमी होना स्वाभाविक था. इन मरीजों को खून का कमी न हो इसके लिए विकास मित्तल और अल्पना मित्तल ने लॉकडाउन में रक्त डोनर की तलाश कर जरूरतमंदों तक रक्त पहुंचाया.

लॉकडाउन में दंपत्ति जरूरतमंदों तक पहुंचा रहा खून

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए दंपति ने बताया कि वो पहले स्वस्थ डोनर की तलाश करते हैं. जब 5-6 लोग रक्तदान के लिए राजी हो जाते है फिर वो रक्तदान वैन को लेकर डोनर के घर जाते. उसके बाद उनका रक्तदान कराते. उस रक्त को वो सरकारी ब्लड बैंक में जमा करा देते. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में उन्होंने 300 यूनिट रक्त सरकारी ब्लड बैंक में जमा कराया है.

परिवार ने पूरा सहयोग किया

विकास मित्तल जो कि पेशे से एक लेक्चरर हैं और कल्पना मित्तल बाल सुरक्षा मिशन की एक अधिकारी हैं. दोनों ने बताया कि अगर वो चाहते तो आराम से घर पर बैठ सकते थे, लेकिन समाज की सेवा और जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उन्होंने लोगों से रक्तदान कराने का बीड़ा उठाया और इसमें उनका उनके परिवार ने पूरा सहयोग किया.

इस दंपति ने रक्तदान कराने की इस मुहिम में अपनी जमा पूंजी खर्च कर डाली. दंपति ने डोनर को रक्तदान के बाद दिए जाने वाली डाइट सहित दूसरे सुरक्षा के उपकरणों का खर्च स्वयं वहन किया जिसमें मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स सहित दूसरे उपकरण शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि काम के साथ-साथ उन्होंने कोविड-19 को लेकर दी गई गाइडलाइन का पालन किया. उन्होंने बताया कि वो पिछले कई सालों से पलवल डोनर्स क्लब चलाकर लोगों की मदद कर रहे हैं. लॉकडाउन के चौथे चरण में अब लोग आसानी से अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी मुहिम को बंद नहीं किया है.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोविड-19 महामारी में हर कोई अपने तरीके से लोगों की मदद कर रहा है. फरीदाबाद की एक दंपति ने अस्पतालों में हो रही रक्त की कमी को पूरा करने का बीड़ा उठाया है. फरीदाबाद के विकास मित्तल और अल्पना मित्तल ने लॉकडाउन में 300 यूनिट रक्त सरकारी ब्लड बैंक में जमा करवाया.

लॉकडाउन के कारण रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं हो पर रहा था. ऐसे में एक्सीडेंटल मरीजों, गर्भवती महिलाओं, कैंसर और थैलेसीमिया जैसे रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए ब्लड की कमी होना स्वाभाविक था. इन मरीजों को खून का कमी न हो इसके लिए विकास मित्तल और अल्पना मित्तल ने लॉकडाउन में रक्त डोनर की तलाश कर जरूरतमंदों तक रक्त पहुंचाया.

लॉकडाउन में दंपत्ति जरूरतमंदों तक पहुंचा रहा खून

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए दंपति ने बताया कि वो पहले स्वस्थ डोनर की तलाश करते हैं. जब 5-6 लोग रक्तदान के लिए राजी हो जाते है फिर वो रक्तदान वैन को लेकर डोनर के घर जाते. उसके बाद उनका रक्तदान कराते. उस रक्त को वो सरकारी ब्लड बैंक में जमा करा देते. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में उन्होंने 300 यूनिट रक्त सरकारी ब्लड बैंक में जमा कराया है.

परिवार ने पूरा सहयोग किया

विकास मित्तल जो कि पेशे से एक लेक्चरर हैं और कल्पना मित्तल बाल सुरक्षा मिशन की एक अधिकारी हैं. दोनों ने बताया कि अगर वो चाहते तो आराम से घर पर बैठ सकते थे, लेकिन समाज की सेवा और जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उन्होंने लोगों से रक्तदान कराने का बीड़ा उठाया और इसमें उनका उनके परिवार ने पूरा सहयोग किया.

इस दंपति ने रक्तदान कराने की इस मुहिम में अपनी जमा पूंजी खर्च कर डाली. दंपति ने डोनर को रक्तदान के बाद दिए जाने वाली डाइट सहित दूसरे सुरक्षा के उपकरणों का खर्च स्वयं वहन किया जिसमें मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स सहित दूसरे उपकरण शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि काम के साथ-साथ उन्होंने कोविड-19 को लेकर दी गई गाइडलाइन का पालन किया. उन्होंने बताया कि वो पिछले कई सालों से पलवल डोनर्स क्लब चलाकर लोगों की मदद कर रहे हैं. लॉकडाउन के चौथे चरण में अब लोग आसानी से अस्पताल पहुंच रहे हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी मुहिम को बंद नहीं किया है.

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