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फरीदाबाद: कोरोना के चलते 6 फीट का हुआ रावण, हर घर जलेगा पुतला

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Published : Oct 23, 2020, 10:48 PM IST

मेरठ से आए मुस्लिम कलाकार करीब 80 सालों से यहां रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. पहले ये कलाकार 60 से 80 फीट तक के रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बनाते थे. लेकिन अब परमिशन नहीं मिलने की वजह से इन कलाकारों ने 6-6 फीट के पुतले बनाए हैं.

corona virus pandemic effect on Artists who make effigies of Ravana
रावण पुतला

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोरोना महामारी की वजह से हर वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है. रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर भी इस संकट से नहीं बच पाए हैं. इतना ही नहीं कोरोना महामारी का असर इस बार रावण के पुतलों पर भी पड़ा है. लंबे चौड़े कद वाले रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का कद अब छोटा हो गया है, फरीदाबाद के बाजारों में 6-6 फीट के रावण बेचे जा रहे हैं.

ताकि लोग अपने घर में ये पुतले ले जाकर रावण का दहन कर सकें. क्योंकि कोरोना के चलते दशहरा मैदानों में इस बार ये त्योहार मनाना संभव नजर नहीं आ रहा है. अभी तक प्रशासन की तरफ से रावण का पुतला लागने को लेकर कोई परमिशन भी नहीं मिली है.

अब घर-घर जलेगा रावण का पुतला!

मेरठ से आए मुस्लिम कलाकार करीब 80 सालों से यहां रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. पहले ये कलाकार 60 से 80 फीट तक के रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बनाते थे. लेकिन अब परमिशन नहीं मिलने की वजह से इन कलाकारों ने 6-6 फीट के रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए हैं. ताकि लोग सुरक्षित तरीके से रावण दहन कर दशहरे का त्योहार मना सकें. रावण और कुंभकरण, मेघनाथ के पुतलों को कीमत 15 सौ रुपये से लेकर 25 सौ रुपये तक है.

कलाकारों को अच्छी कमाई की उम्मीद

मेरठ से फरीदाबाद पहुंचे मुस्लिम कलाकारों ने बताया कि ये उनका पुस्तैनी काम है. उनके दादा, परदादा करीब 80 सालों से फरीदाबाद के हनुमान मंदिर में दशहरा के लिए रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने आते रहें हैं. इसलिये वो इस बार भी आए हैं. मगर कोरोना के चलते इस बार दशहरा हर साल की तरह धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा और उतने लंबे चौड़े पुतले नहीं बनाए जाएंगे.

इसलिए उन्होंने फैसला किया कि इस बीमारी के चलते वो त्योहार को फीका नहीं होने देंगे, इन कलाकारों ने लोगों की डिमांड पर 6-6 फीट के रावण तैयार किए हैं. जिन्हें बाजार में बेचा जा रहा है और बताया जा रहा है कि घर ले जाकर सुरक्षित तरीके से रावण दहन करें और दशहरा मनाए. रावण के पुतले का कद छोटा होने से एक तरफ हर आम आदमी घर पर ही रावण का दहन कर सकेगा तो दूसरी तरफ इन कलाकारों की भी कामाई अच्छी खासी हो सकेगी.

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कोरोना महामारी की वजह से हर वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है. रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर भी इस संकट से नहीं बच पाए हैं. इतना ही नहीं कोरोना महामारी का असर इस बार रावण के पुतलों पर भी पड़ा है. लंबे चौड़े कद वाले रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का कद अब छोटा हो गया है, फरीदाबाद के बाजारों में 6-6 फीट के रावण बेचे जा रहे हैं.

ताकि लोग अपने घर में ये पुतले ले जाकर रावण का दहन कर सकें. क्योंकि कोरोना के चलते दशहरा मैदानों में इस बार ये त्योहार मनाना संभव नजर नहीं आ रहा है. अभी तक प्रशासन की तरफ से रावण का पुतला लागने को लेकर कोई परमिशन भी नहीं मिली है.

अब घर-घर जलेगा रावण का पुतला!

मेरठ से आए मुस्लिम कलाकार करीब 80 सालों से यहां रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. पहले ये कलाकार 60 से 80 फीट तक के रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला बनाते थे. लेकिन अब परमिशन नहीं मिलने की वजह से इन कलाकारों ने 6-6 फीट के रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए हैं. ताकि लोग सुरक्षित तरीके से रावण दहन कर दशहरे का त्योहार मना सकें. रावण और कुंभकरण, मेघनाथ के पुतलों को कीमत 15 सौ रुपये से लेकर 25 सौ रुपये तक है.

कलाकारों को अच्छी कमाई की उम्मीद

मेरठ से फरीदाबाद पहुंचे मुस्लिम कलाकारों ने बताया कि ये उनका पुस्तैनी काम है. उनके दादा, परदादा करीब 80 सालों से फरीदाबाद के हनुमान मंदिर में दशहरा के लिए रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने आते रहें हैं. इसलिये वो इस बार भी आए हैं. मगर कोरोना के चलते इस बार दशहरा हर साल की तरह धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा और उतने लंबे चौड़े पुतले नहीं बनाए जाएंगे.

इसलिए उन्होंने फैसला किया कि इस बीमारी के चलते वो त्योहार को फीका नहीं होने देंगे, इन कलाकारों ने लोगों की डिमांड पर 6-6 फीट के रावण तैयार किए हैं. जिन्हें बाजार में बेचा जा रहा है और बताया जा रहा है कि घर ले जाकर सुरक्षित तरीके से रावण दहन करें और दशहरा मनाए. रावण के पुतले का कद छोटा होने से एक तरफ हर आम आदमी घर पर ही रावण का दहन कर सकेगा तो दूसरी तरफ इन कलाकारों की भी कामाई अच्छी खासी हो सकेगी.

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