नई दिल्ली/नूंह: देश के अलग-अलग हिस्सों में बाल विवाह की कुप्रथा अभी भी जारी है. ऐसे में बाल विवाह और बच्चियों की शिक्षा को लेकर अलग-अलग जगहों पर जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. एक ऐसा ही कार्यक्रम दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य में चलाया गया है. जहां नूंह जिले के राजकीय कन्या महाविद्यालय सालाहेड़ी में आयोजित कार्यक्रम में मानव अधिकार हरियाणा के चेयरमैन जस्टिस एस के मित्तल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने लोगों को बाल विवाह जैसी कुरीति पर लोगों को जागरूक किया.
500 साल पुरानी कुरीति है बाल विवाह: जस्टिस मित्तल
जस्टिस एस के मित्तल ने कहा कि बाल विवाह की कुरीति करीब 500 साल पुरानी है. हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद और नूंह में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले सामने आते हैं. उन्होंने कहा कि सिरसा जिला हरियाणा में बाल विवाह की कुरीति के लिए पहले नंबर पर आता है क्योंकि इस जिले की सीमा पड़ोसी राज्य राजस्थान के साथ सटी हुई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में यह सामाजिक कुरीति लंबे समय से चली आ रही है.
अधिकतर लोग नहीं उठा पाते मानव अधिकार का लाभ: जस्टिस मित्तल
जस्टिस एसके मित्तल ने बताया कि उनके पास नूंह पुलिस से संबंधित बहुत ही शिकायतें आती हैं, लेकिन कुछ शिकायतों में सच्चाई होती है तो कुछ शिकायतें झूठी भी पाई जाती हैं. लिहाजा दोनों तरह के मामलों में मानव अधिकार से जुड़ा हुआ मामला है. उन्होंने कहा कि सरकार की बहुत सारी स्कीम चल रही है. जिसका आम आदमी को लाभ उठाना चाहिए. जागरुकता फैलाने में एमएलए, सरपंच, पंचायत प्रतिनिधि और एनजीओ की भुमिका अदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हरियाणा में जहां भी सुधार की जरूरत है उसमें सुधार करना चाहिए.
'लोगों को बेहतर सेवाएं देने के लिए राज्य सरकार है प्रयासरत'
जस्टिस मित्तल ने कहा कि हरियाणा में जहां भी सुधार की जरूरत है उसमें सुधार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दूसरे जिलों के मुकाबले नूंह में शिक्षा के क्षेत्र में कम काम हुआ है, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल लगातार प्रयासरत हैं कि सूबे के लोगों को बेहतर से बेहतर सरकारी सेवाएं दी जाएं.